कैसे पाएं काबू :कॉपी-किताब की कीमतें 10 से 12 फीसदी तक बढ़ी, स्कूल या तो खुद बेच रहे किताबें या दुकानें तय कीं…
कैसे पाएं काबू :कॉपी-किताब की कीमतें 10 से 12 फीसदी तक बढ़ी, स्कूल या तो खुद बेच रहे किताबें या दुकानें तय कीं
कमीशन के खेल मे फंसे पैरेंट्स नर्सरी से 12 वी तक की पढ़ाई हुई महंगी
स्कूल और महंगाई साथ कमर तोड़ रहे
सीधी:- स्कूल खुले 15 दिन का वक्त बीत चुका है। इस बीच पैरेंट्स पर महंगी कॉपी-किताब और यूनिफॉर्म खरीदने का दबाव है। स्कूल और महंगाई साथ मिलकर पैरेंट्स की कमर तोड़ रहे हैं। कॉपी-किताबों की कीमतों में 10 से 12 प्रतिशत तक का इजाफा। फा हुआ है। वहीं स्कूलों की तरफ से तय किए गए दुकानों से कॉपी-किताब और यूनिफॉर्म खरीदने के दबाव के चलते भी पैरेंट्स परेशान हैं। इसे लेकर शिकायत करें तो किससे पेरेंट्स निर्णय नहीं ले पा रहे।
कई स्कूल तो खुद ही अपने कैंपस से किताबें बेच रहे हैं। स्कूलों की इस मनमानी को रोकने वाला कोई नहीं है। हर बार की तरह शिकायते तो सामने आ रही है लेकिन इनका समाधान नहीं हो रहा है। राज्य से स्कूल शिक्षा विभाग का स्पष्ट आदेश है कि कोई भी निजी स्कूल प्रबंधन किसी निश्चित दुकान से कॉपी- किताबे या यूनिफॉर्म खरीदने के लिए दत्वाव नहीं बना सकता। इसके विपरीत प्रबंधन ने ना सिर्फ दुकाने तय की है बल्की खुद भी कॉपी- किताब बेच रहे है। महंगाई की मार झेल रहे पैरेंट्स को स्कूल प्रबंधन का भी दबाव झेलना पड़ रहा है।
पैरेंट्स ने कहा- पुस्तकों की सूची चस्पा हो:-
बातचीत में कई पेरेंट्स ने कहा कि निजी स्कूलों को लेखक, प्रकाशक के नाम और मूल्य के साथ कक्षावार पुस्तकों की सूची विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर देनी चाहिए। इससे स्टूडेंट्स और उनके अभिभावकों को इन पुस्तकों को सुविधानुसार खुले बाजार से खरीदने की सुविधा मिलेगी। स्कूल के नोटिस बोर्ड पर यह भी लिखा जाना चाहिए पेरेन्ट्स कि अभिभावक किसी विशेष दुकान से खरीदने के लिए बाध्य नहीं है। कहीं से भी कॉपी-किताबें और गणवेश खरीद सकते है।
समझें, कैसे बढ़ी हैं कीमतें:-
– 164 पेज की कॉपी पिछले साल 30 रुपए में मिलती थी, जिसकी कीमत अब 35 से 40 रुपए की हो गई है।
– 28 पेज की कॉपी 5 रुपए में आती थी, जो अब 20 पेज की होने के साथ 8 से 10 रुपए में मिल रही है।
– 10 रुपए वाली रॉयल कॉपी के पेज कम होने के बाद भी 15 रुपए में मिल रही है।
– रफ कॉपी पहले 20 रुपए में आती थी। अब इसके दाम 25 से 30 रुपए हो गए हैं।
– 120 पेज की कॉपी 15 रुपए की थी, वह अब 20 में मिल रही है। रबर, पेंसिल या शॉर्पनर के सेट भी अब 70 रुपए में मिल रहे हैं।
एलकेजी का ही सालाना खर्च 20 हजार:-
निजी स्कूलों में एलकेजी में पढ़ने वाले बच्चे पर सालाना 15-20 हजार का खर्च हो रहा है। निजी स्कूलों में पहली से पांचवीं तक की पढ़ाई पर 20 से 25 हजार और मिडिल स्कूल के लिए 30 हजार तक खर्च करना पड़ता है।
इस बार कॉपियों की साइज तक घटा दी गई:-
शहर के दुकानदार ने बताया कि कांपियो की कीमतों में दो तरीके से इजाफा किया गया है।एक तरफ ब्रांडेड कंपनियों ने कांपियो के दाम बढ़ाने की जगह पेज कम कर दिए हैं।जबकि कुछ कंपनियों ने साइज कम किया है।इसके अलावा लोकल ब्रांड की कांपियो के दाम बढ़ाने के साथ पेजों की संख्या भी घटा दी है।इतना ही नहीं 128 पेज की कांपी 120 पेज की रह गई हैं।कांपी की कीमत भी 15 से 20 रुपए बढ़ा दी गर्ई है।