गांव बने टापू नर्मदा के बैक वाटर से
बड़वानी। बड़वानी में बारिश की वजह से नर्मदा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। फिलहाल, यह 134.40 मीटर है, जो खतरे के निशान से 11 मीटर ज्यादा है। ऐसे में बैक वाटर में भी तेजी से पानी बढ़ा है। इससे 65 गांवों पर खतरा मंडराने लगा है। तीन गांव राजघाट कुकरा, जांगरवा और बड़वा तो टापू बन गए हैं। इन तीनों गांवों के छह हजार से ज्यादा लोगों पर जीवन का संकट गहरा रहा है।
इनमें से बड़ी आबादी को 2019 में टीनशेड में पुनर्वास कर दिया गया था, लेकिन 17 परिवार अभी भी यहीं रह रहे हैं। राजघाट गांव के लोग नाव से आना-जाना करते हैं। सरकार से पुनर्वास की मांग कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। अगर घर छोडक़र चले गए तो सब लुट जाएगा। बड़वानी जिले के 65 गांवों में करीब 23 हजार परिवार रहते हैं। इनमें एक लाख से ज्यादा की आबादी है। 138 मीटर जलस्तर पहुंचता है तो 65 गांवों में से 13 टापू बन जाते हैं। इनका संपूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ।
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चारों ओर पानी, टूटे घरों में गुजर रही जिंदगी जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर नर्मदा के बैक वाटर के पास बसा राजघाट कुकरा गांव साल में चार महीने टापू बना रहता है। यहां 17 परिवार रहते हैं। फिलहाल खेतों और सडक़ों पर पानी भरा है। हालत ये है कि अगर तबीयत खराब भी हो जाए, तो नाव से जाना पड़ता है। जिला मुख्यालय के करीब होने के बाद भी यहां लाइट नहीं है।
ज्यादातर घर टूटे हैं। सामान बिखरा है। कीचड़ के बीच ही कुछ जानवर भी बंधे हैं। गांव के पास प्रशासन ने टीन शेड बनाए हैं। इसी के नीचे कई लोगों का अस्थाई पुनर्वास कर दिया है। यहीं खाना बनाया जाता है। लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण डर भी लगा रहता है। तट पर मौजूद श्रीदत्त मंदिर भी डूब गया है। 65 गांवों पर डूब का खतरा बारिश में सरदार सरोवर बांध परियोजना के पूरा भरने पर राजघाट कुकरा में पानी का हाई लेवल 138.38 मीटर पहुंचता है।
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जिले में डूब प्रभावित 65 गांव हैं। कोई गांव शत प्रतिशत तो कोई 20, 40 या 50 प्रतिशत तक डूब में शामिल है। ओंकारेश्वर परियोजना बांध के टरबाइन से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। इस वजह से जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। नतीजतन जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर डेढ़ एकड़ क्षेत्रफल में फैला ये गांव टापू बन गया है। गांव में बसे 17 परिवार यहीं फंस कर रह गए हैं।