सीधी

कोयला भंडारको पर आखिर किसका संरक्षण,आखिर क्यों दिखाई जा रही मेहरबानी।

कोयला भंडारको पर आखिर किसका संरक्षण,आखिर क्यों दिखाई जा रही मेहरबानी।

सीधी। जिले में खनिज सम्पदाओं का दोहन जमकर किया जा रहा है इस समय खनिज विभाग की सह पर कोयले का कारोबार यहां जमकर फल-फूल रहा है। कोयला माफिया नियम विरूद्ध तस्करी करते हुए शासन के राजस्व को क्षति पहुंचा रहे है जबकि प्रशासनिक अमला इस काली कमाई से अपनी जेंबे भर रहा है।

जिले में खनिज विभाग द्वारा दर्जनों कोयला भंडारण की अनुमति प्रदान की है जो कोयले के व्यापार में लिप्त है। लेकिन इनमें से कई व्यापारियों द्वारा भंडारण के नियमों का पालन नही किया जा रहा है और संबंधित विभाग नियमों को दरकिनार कर व्यापार करने वालों पर लगाम नहीं कस पा रहा है।

इस संबंध में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में खनिज विभाग से अनुमति प्राप्त करके कोयले का व्यापार करने वाले सभी व्यापारियों को अपना मासिक पत्रक खनिज विभाग में जमा करना होता है लेकिन एक-दो व्यापारियों को छोड़ दिया जाय तो किसी के भी द्वारा मासिक पत्रक नही जमा किया जाता है। जबकि इन व्यापारियों द्वारा काफी लंबे समय से कोयले का व्यापार किया जा रहा है। मौजूदा समय में किस कोयला भंडारण में कितना कोयला भंडारित किया गया है इस संबंध में किसी के पास कोई जानकारी नही है।

जिससे यह साबित हो रहा है खनिज विभाग की सह से बहरी अंचल में यह काला कारोबार जमकर फल-फूल रहा है।

सूत्रों की माने तो हर महीने कोयले की काली कमाई अधिकारियों के टेबिल में पहुंच जाती है जिसके चलते यहां खनिज विभाग द्वारा कार्रवाई नही की जा रही है।

कोयला भंडारकों के पास नही है रिकार्ड

बहरी अंचल में कोयला भंडारित कर व्यापार करने वाले व्यापारियों के पास कोयला कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है इसकी जानकारी नही संधारित की जा रही है। संधारित हो भी कैसे जब एक नंबर का कोयला आयेगा तबतोसभी रिकार्ड मेंटेन रहेगें। लेकिन यहां दो नंबर का कोयला पहुंच रहा है जिसके चलते इन व्यापारियों द्वारा किसी भी प्रकार का रिकार्ड संधारित नही किया जा रहा है।

यूपी भेजते ही कोयला

सूत्रों की माने तो बहरी में संचालित होने वाले कोयला यार्डों सेपूरा कोयला यूपी ईटा खदानों में भेज दिया जाता है। यूपी में ईंटा भट्टा ज्यादा होने के कारण कोयले की मांग ज्यादा रहती है जिसके कारण बहरी पहुंचने वाले कोयले में मिलावट करने के बाद पूरा कोयला उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भेज दिया जाता है।

क्षमता से ज्यादा हो रहा भंडारण

सूत्रों की माने तो बहरी अंचल में संचालित कोयला भंडारकों के यहां अनुमति से ज्यादा कोयले का भंडारण किया जा रहा है। इस बात की पुष्टी विगत माह खनिज निरीक्षक के भ्रमण से हो चुकी है। खनिज अधिकारी द्वारा निखिल खंडेलवाल के भंडारण में निरीक्षण किया गया था यहां क्षमता से ज्यादा कोयले का भंडारण किया गया था बावजूद इसके कार्रवाई करने से परहेज क्यों किया जा रहा है इसकी बात तो वे ही जाने।

नही है एनओसी

बहरी में कोयला का व्यापार करने वाले व्यापारियों द्वारा सिर्फ खनिज विभाग से भंडारण की अनुमति लेकर मुक्त हो गए है लेकिन इनके द्वारा न तो पर्यावरण की एनओसी ली गई है और न ही अन्य विभागों से एनओसी प्राप्त की गई है बावजूद इसके इन व्यापारियों द्वारा धड़ल्ले से कोयले का व्यापार किया जा रहा है। इन व्यापारियों द्वारा जीएसटी की भी जमकर चोरी की जा रही है।

हैरान और चौंकाने वाली बात यह है कि जहां पर कोयला भंडारण किया जा रहा है वहां पर ना तो फॉर्म का नाम लिखा गया है और ना ही कोई साइन बोर्ड लगाया गया है जिससे यह प्रतीत हो सके की भंडारण की क्षमता कितनी है और कब तक का इनको भंडारण का परमिशन विभाग द्वारा दिया गया है यहां तो दाल काली नहीं पूरी दाल ही काली नजर आती है।

अब देखना दिलचस्प होगा कि कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद भी क्या कोई कार्यवाही हो पाती है या फिर ठंडा बस्ती में चला जाएगा यह भी मामला….

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