सीधी

कमीशन के दम पर अधीक्षक का प्रभार,देखिए पूरी खबर…

कमीशन के दम पर अधीक्षक का प्रभार,देखिए पूरी खबर…

सीधी: जिले में संचालित अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रावासों में कमीशन के आधार पर अधीक्षकों को प्रभार दिए जाने का खेल चल रहा है। इस खेल में शासन के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है, लेकिन कमीशन के खेल के कारण कोई जांच कार्रवाई नहीं हो पा रही है। छात्रावासों में अधीक्षकों के प्रभार के संबंध में शासन द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी अधीक्षक को तीन वर्ष से अधिक किसी भी छात्रावास का अधीक्षक का प्रभार न दिया जाए। जैसे ही किसी अधीक्षक का तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होता है, उसे विद्यालय में पढ़ाने के लिए वापस किया जाए।

 

और पुनः कम से कम तीन वर्ष के बाद ही किसी छात्रावास के अधीक्षक पद का प्रभार सौंपा जाए। लेकिन जिले में कमीशन के खेल के कारण इस नियम का जमकर माखौल उड़ाया जा रहा है, जिला मुख्यालय में ही कुछ छात्रावास अधीक्षक ऐसे हैं जो पिछले 10 से 20 वर्षों से अधीक्षक के पद पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं और प्रभारी सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग द्वारा ऐसे अधीक्षकों को हटाने के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

 

क्या है नियम

आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग मध्यप्रदेश शासन दीपाली रस्तोगी द्वारा पत्र क्रमांक/छात्रावास/164/2017/2 3255 के माध्यम से प्रदेश के छात्रावास अधीक्षकों की पूर्णकालिक संविदा अधीक्षकों की व्यवस्था के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए थे। 3 वर्ष की पदस्थापना के उपरांत अधीक्षकों-संविदा अधीक्षकों, संविदा शाला शिक्षकों को स्कूलों में वापस पदस्थ किया जाए और उसके बाद कम से कम तीन साल उपरांत ही पुनः छात्रावास-आश्रमों में पदस्थ किया जाए।

विकास नियम 3 वर्ष का, जमें है वर्षों से / छात्रावासों में अधीक्षकों के प्रभार के संबंध में शासन द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी अधीक्षक को तीन वर्ष से अधिक किसी भी छात्रावास का अधीक्षक का प्रभार न दिया जाए। जैसे ही किसी अधीक्षक का तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होता है, उसे विद्यालय में पढ़ाने के लिए वापस किया जाए। और पुनः कम से कम तीन वर्ष के बाद ही किसी छात्रावास के अधीक्षक पद का प्रभार सौंपा जाए। विभागीय सूत्र बतातें हैं कि यह सब कमीशन के दम पर चल रहा है। शिकायतें भी की जाती है लेकिन उन सबको दरकिनार करके छात्रावासों का प्रभार सौंपा गया है।

70 फीसदी से ज्यादा अधीक्षक अन्य वर्ग के

आदिवासी विकास विभाग के अंतर्गत जिले में एक सैकड़ा से अधिक छात्रावास संचालित हैं, वहीं जिला मुख्यालय में करीब 20 छात्रावास संचालित हैं। विभागीय सूत्रों की बात माने तो जिले में करीब सत्तर फीसदी छात्रावासों में अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग से परे हटकर अन्य वर्ग के अधीक्षक पदस्य किए गए हैं। अकेले जिला मुख्यालय की बात करें तो 20 छात्रावासों में से करीब 13 छात्रावासों यानि पचास फीसदी से अधिक छात्रावासों में सामान्य वर्ग के अधीक्षक पदस्थ किए गए हैं।

Author

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page