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सैकड़ों अन्नदाताओं ने नही किया खेतीबाड़ी , मवेशियों के आतंक से परेशान

हजारों एकड़ खेत पड़ती, एक साथ मवेशियों का चलता है झूण्ड, अब किसी तरह बाड़ी के सहारे खेती बचाने की चल रही कवायद

अन्नदाता एक नही दोहरी मार से झेल रहे हैं। एक ओर प्रकृति करीब-करीब हर साल कहर ढहाती रहती है। वही अब दूसरी ओर मवेशी भी अन्नदाताओं के फसलों के लिए दुश्मन बनते जा रहे हैं। जिसके चलते इस रबी फसल की सीजन में हजारों अन्नदाताओं ने मवेशियों से परेशान होकर खेतीबाड़ी ही नही किया है।

दरअसल तहसील क्षेत्र में मवेशियों का आतंक इतना बढ़ गया है कि अन्नदाता अपने फसलों की रखवाली करने रतजगा करते आ रहे हैं। इस तरह की समस्या पिछले तीन-चार वर्षो से है। आलम यह है कि पिछले वर्ष खरीफ फसल के सीजन में अधिकांश फसलों को मवेशियों ने निपटा दिया था। जिसके चलते अन्नदाताओं में जहां भारी गुस्सा है। वही इस वर्ष रबी फसल की बुआई भी नही किया है। बताया जा रहा है कि ग्राम फुलकेश, खैरा, गांगी, धरौली, बरहट, नौडिहवा, पोड़ी, खैड़ार, बड़रम, तमई, बरवाडिह, क्योंटली, लोहदा समेत दर्जनों गांव के अन्नदाताओं ने अपने खेतो को पड़ती छोड़ दिया है। सबसे ज्यादा फुलकेश, खैरा, चिकनी, बर्दी, कोरसर, खुरमुचा, नौगई सहित अन्य गांव के किसानों ने परेशान होकर अपने अधिकांश रकवे में खेतीबाड़ी नही किया है। अब ये भगवान भरोसे हैं। आरोप है कि प्रशासन इन मवेशियों के बारे में कोई सोच-विचार एवं सार्थक प्रयास नही कर रहा है और न ही ग्राम पंचायतो के द्वारा मवेशियों का इंतजामात किया जा रहा है। परेशान कि सानों ने इस ओर कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट कराया है।

सक्षम किसान ही अपने खेतों में लगा रहे बाड़ी
मवेशियों के आतंक से परेशान होकर बड़े किसान ही खेतों में चारों तरफ बाड़ी लगाकर मवेशियों से फसलों को बचाने जद्दोजहद करने के विवश हैं। वही जो किसान आर्थिक रूप से कमजोर हैं। वे रबी फसल की बुआई ही नही किया है। फुलकेश गावं के किसान सुखसैन नाई, बुद्धसेन कोल बताते हैं कि अब खेतीबाड़ी करना आसान नही है। सैकड़ों की संख्या में मवेशी डेरा डाले हुये हैं। रोजाना रतजगा करना भी संभव नही है। आर्थिक रूप से सभी इतना संपन्न नही है कि चारों तरफ खेतों में बाड़ी लगा सके। जितने की बाड़ी लगायेंगे। उतने लागत का अनाज खरीद लेंगे।

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