सीधी

नहीं मिला एम्बुलेंस ठेले पर हुई डिलीवरी नवजात शिशु ने…

नहीं मिला एम्बुलेंस ठेले पर हुई डिलीवरी नवजात शिशु ने…

सीधी: जिले का नाम सीधी जरूर है परंतु यहां कोई भी काम सीधा होता नजर नहीं आता है. स्वास्थ्य सुविधा को लेकर आए दिन सुर्खियों में बना रहता है जिला अस्पताल. स्वास्थ्य सुविधा को बेहतरीन करने का लाख दावा किया जाता हो परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही निकालकर आती है.
ताजा मामला जिला मुख्यालय के महेश 2 किलोमीटर की दूरी में रहने वाली महिला को एंबुलेंस वहां नहीं मिला जिसकी वजह से परिजनों के द्वारा ठेले पर ही प्रसूता महिला को लेकर आना पड़ा जहां रास्ते पर ही प्रसूता महिला की डिलीवरी हो गई वहीं नवजात शिशु की भी मृत्यु की सूचना प्राप्त हो रही है।
यह है हमारे जिले की स्वास्थ्य सुविधा जनप्रतिनिधि भी कहते हैं कि हम बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा दे रहे हैं. जिसका जीता जागता नमूना सबके समीप है..

 

आईए जानते हैं क्या था पूरा मामला

जिले के वरिष्ठ पत्रकार आरबी सिंह राज के द्वारा देखा गया कि ठेले पर एक महिला को जिला अस्पताल की ओर ले जाया जा रहा है जहां पर स्वयं उपस्थित होकर सारी जानकारियां ली गई और अपने मोबाइल में सारा घटनाक्रम कैद किया गया. जिला अस्पताल का हाल स्वयं अपनी आंखों से देखा गया परिजनों से बात किया गया परिजनों के द्वारा बताया गया कि सीधी पुराने बस स्टैंड के निवासी कोटाहा उर्मिला रजक को डिलीवरी पेन था काफी देर एंबुलेंस को फोन लगाया गया परंतु एंबुलेंस नहीं पहुंच पाई जिस पर परिजनों के द्वारा देर ना करते हुए ठेले के माध्यम से जिला अस्पताल के लिए रवाना हुए परंतु रास्ते पर ही डिलीवरी हो गई परिजनों के द्वारा जिले के वरिष्ठ पत्रकार को सारी जानकारियां दी गई. पत्रकार के द्वारा लगभग आधे घंटे तक अस्पताल के बाहर पूरा नजारा देखा गया हॉस्पिटल का कोई भी कर्मचारी ना तो बाहर निकाला और ना ही प्रसूता महिला को लाने के लिए स्ट्रेचर की व्यवस्था की गई परिजनों के द्वारा स्वयं स्ट्रेचर लाया गया और अस्पताल के अंदर तक पहुंचाया गया जबकि अस्पताल पर इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात कई नर्स और डॉक्टर रहे होंगे परंतु किसी के द्वारा प्रसूता महिला को देखने के लिए बाहर तक नहीं आए. यह पूरा नजारा जिले के नए अस्पताल का है.

अब बड़ा और अहम सवाल यह खड़ा होता है कि अस्पताल को निजीकरण करने की व्यवस्था बनाई जा रही है जब सरकारी व्यवस्था इस प्रकार की है तो निजीकरण होने के बाद क्या हाल होगा अंदाजा लगाया जा सकता है. गरीबों को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार बड़े-बड़े वादे जरूर करती है पर जमीनी हकीकत क्या होती है सबके सामने है. जबकि मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रीवा जिले से ही ताल्लुक रखते हैं और स्वास्थ्य विभाग का जुम्मा भी उनके ऊपर है. जिले में सांसद विधायक सब मौजूद हैं और यह हाल जिला अस्पताल का है.

जिस पर सफाई देते हमेशा नजर आते हैं जिम्मेदार जनप्रतिनिधि अधिकारी कर्मचारी जमीनी हकीकत से रूबरू तो जनता भुगतना पड़ता है.

जनप्रतिनिधि का इलाज तो बेहतरीन हॉस्पिटल में हो जाता है और स्पेशल पैकेज भी मिलता है जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को तो फिर जिला अस्पताल पर ध्यान क्यों देंगे..
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