सीधी

इधर, टायर का सुलोशन सूंघकर नशाखोरी,पंक्चर हो रहा भविष्य…

बचपन बर्बादः बस्ती से मैदानों तक फैला मुंह में रूमाल ठूंसे बच्चों का गैंग..

इधर, टायर का सुलोशन सूंघकर नशाखोरी,पंक्चर हो रहा भविष्य…

सीधी:- युवाओं में नींद की टैबलेट से बढ़ती नशाखोरी ने पुलिस की नींद पहले ही हराम कर रखी है। अब बच्चों के सिर चढ़कर बोलते पंक्चर नशे में पूरे जिले के भविष्य को लेकर बड़ी चिंता खड़ी कर दी है। दरअसल 10 से 16 साल की उम्र के बहुत से बच्चे इन दिनों टायर का पंक्चर बनाने वाले सुलोशन का नशे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। हैल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये नशा बच्चों को शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है।

 

सुलोशन को लेकर बढ़ती समस्या यह है कि यह जेल नशीले पदार्थ के रूप में बच्चों और किशोरों के बीच तेजी से फैल रहा है।खासकर पान दुकानों और आटो -पार्ट्स की दुकानों में सुलोशन की ट्यूब आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इनकी कीमत 40-50 रुपए होती है। नाबालिग इन ट्यूब्स के अंदर भरे जेल को छोटे कपड़े में भरकर इसे सूंघते हैं। रूमाल में जब तक सुलोशन रहता है, सूंघने को नशे की किक मिलती है। यही वजह है कि कई बच्चे तो मिनटों रूमाल सूंघते देखे जा सकते हैं। सुलोशन ने बच्चों को ऐसी लत लगा दी है कि नशा जब तक मिलता है,अपनी दुनिया में रहते हैं। नशा न मिलने पर एब्नॉर्मल बिहेव करने लगते हैं। इस वक्त बड़े- बुजुर्गों की डांट का भी इन बच्चों पर कोई असर नहीं पड़ता। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर नशे के दुष्प्रभावों ने इसे पालकों के लिए गंभीर मुद्दा बना दिया है।पुलिस जैसे शराब, गांजा और कोरेक्स व टैबलेट के लिए नशामुक्त ऑपरेशन चला रही हैं,उसी तरह बच्चों को नशे की चपेट में लेने वाले सुलोशन पर भी सख्ती करनी चाहिए।

 

इन बस्तियों में रूमाल सूंघते दिखते हैं बच्चे…
जिले की हाईस्कूलों के मैदान सहित सूनसान गलियों व तालाबों,बाधो समेत श्रमिक बस्तियों के आसपास बच्चों को रूमाल पकड़कर सुलोशन सूंघते देखा जा सकता है। गौरतलब है कि शिक्षा संस्थानों में नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान तो चलाए जा रहे हैं, लेकिन किसी ने भी अब तक इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान केंद्रित नहीं किया है। ऐसे में प्रशासन के साथ संगठनों और संस्थाओं को भी जरूरत है कि वे ऐसे दुकानदारों को सख्त चेतावनी दें। नाबालिगों को सुलोशन बेचने पर कड़ी कार्रवाई करें, ताकि भविष्य में इन बच्चों को शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाया जा सके।

 

ट्यूब पर ही चेतावनी छपी- यह खतरनाक
गौरतलब है कि सुलोशन के ट्यूब पर स्पष्ट रूप से चेतावनी लिखी होती है कि सांसों के जरिए सुलोशन का शरीर के भीतर जाना खतरनाक है। अगर किसी ने इसे निगल लिया, तो उसे तुरंत इलाज करवाना जरूरी है। इसके बावजूद जिले में गैर जिम्मेदार दुकानदार इन चेतावनियों की अनदेखी कर बच्चों को ट्यूब बेच रहे हैं। सुलोशन की खतरनाक गंध शरीर में जाने से स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। हैल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो सुलोशन का नशा सबसे पहले बच्चों के फेफड़ों को प्रभावित करता है। बच्चों के शारीरिक-मानसिक विकास पर भी इसके काफी बुरे असर देखने को मिल सकते हैं।

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