गड़बड़ी उजागर होने के बाद भी समूह पर कार्यवाही करने से गुरेज…
गड़बड़ी उजागर होने के बाद भी समूह पर कार्यवाही करने से गुरेज…
विभाग की मिलीभगत से कागजों में बट रहा था मध्याह्न भोजन…
गत दिनों प्रकाश में आया था बटौली का समूह का कारनामा…
सीधी:- महिला बाल विकास विभाग सीधी इन दिनों भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है, एक तरफ जहां स्व सहायता समूहों से फर्जी हाजिरी के नाम पर जमकर वसूली की जा रही है वहीं दूसरी तरफ विभाग की विभिन्न योजनाओं के संचालन को लेकर केंद्र व राज्य सरकार से मिलने वाले बजट में जमकर बंदरबाट किया जा रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर दूर परियोजना सीधी क्रमांक 1 के सेक्टर जोगीपुर के ग्राम पंचायत बटौली अंतर्गत आने वाली विद्यालय एवं आंगनवाड़ी केंद्र में मध्यान्ह भोजन परोसने वाले समूह का सामने आया था, स्थिति यह है कि यहां शिकायत के बाद भी बच्चों को समय पर मध्याह्न भोजन नहीं दिया जा रहा है।
गौरतलब हो कि 05 नवंबर को ग्रामीणों की सूचना पर बटौली पहुंची मीडिया टीम की जानकारी मिलते ही परियोजना अधिकारी भी मौके पर पहुंच गई थी, जिनके सामने महिलाओं ने समूह की पोल खोल दी थी, महिलाओं ने साफ तौर पर बताया था कि बीते तीन माह से एक भी दिन आंगनवाड़ी केंद्र में मध्यान्ह भोजन नहीं बंटा है, ऐसे में परियोजना अधिकारी ने समूह को पृथक करने का आश्वासन दिया था लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है जिससे यह साफ जाहिर हो रहा हैं कि समूह संचालक ने विभाग के जिम्मेवार अधिकारियों से सेटिंग जमा ली है और यहीं वजह है कि कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। बता दें कि साझा चूल्हा योजना अंतर्गत 3 वर्ष से 6 वर्ष के बच्चों तथा गर्भवती माताओं के भोजन व नाश्ते सहित पोषण आहार की उपलब्धता समूह द्वारा कराई जाती हैं जिसके लिए सरकार द्वारा पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया जाता है।
यह भोजन नाश्ता देने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत स्तर के स्कूल अंतर्गत मध्यान भोजन संचालित करने वाले समूह को दिए जाने का निर्देश है। सूत्र बताते हैं कि अनुबंध से लेकर अब तक कभी भी समूह द्वारा भोजन नाश्ता नहीं दिया गया है लेकिन विभाग में लंबी पहुंच के कारण बराबर प्रतिमाह गेहूं,चावल एवं अन्य सामग्री सहित राशि प्रदान किया जा रहा है, जबकि नियम अनुसार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के प्रतिवेदन के आधार पर भुगतान किया जाना चाहिए लेकिन कार्यकर्ता के बिना प्रतिवेदन दिए समूह को 50 प्रतिशत कमीशन के आधार पर राशि व खाद्यान्न प्रदान किया जा रहा है।
चल रहा नियम विरुद्ध यह समूह
मध्यप्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं एवं कुपोषितों को पोषण आहार दिए जाने की जिम्मेवारी महिला बाल विकास विभाग को सौंपी गई है, नियम अनुसार उसी ग्राम पंचायत में संचालित समूह को इसके संचालन की जिम्मेवारी दी जानी चाहिए, लेकिन यहां परियोजना अधिकारी द्वारा अपने निजी स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए दूसरे ग्राम पंचायत के समूह को साझा चूल्हा कि जिम्मेदारी सौंपी गई है। यहीं वजह है कि इस समूह संचालक को विभाग के आला अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होने के चलते वह कागजों में पोषण आहार बांट कर जमकर बंदरबाट कर रहा है।
एक सप्ताह का दिया था समय
मीडिया टीम के पहुंचने की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची परियोजना अधिकारी ने मीडिया एवं ग्रामीणों को यह आश्वस्त किया था कि समूह संचालक के खिलाफ एक सप्ताह के भीतर कार्यवाही की जाएगी और जितने माह से खाद्यान्न वितरण नहीं किया गया है उसकी वसूली भी की जावेगी। हैरत की बात यह है कि परियोजना अधिकारी के सामने महिलाओं ने समूह संचालक की पोल खोली थी और इसकी पुष्टि होने पर उन्होंने तत्काल कार्यवाही का आश्वासन भी दिया था लेकिन तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी आज तक समूह संचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सूत्र बताते हैं कि परियोजना अधिकारी के जांच प्रतिवेदन पर विभाग से समूह को नोटिस भेजी गई थी लेकिन उस पर क्या कार्यवाही हुई किसी को आज तक भनक नहीं लग रही है।