बढ़ रहे ई-रिक्शा, लेकिन चार्जिंग प्वाइंट नहीं, घरों में बैटरी चार्ज कर रहे मालिक…
बैटरी लो होते ही घर वापस जाना पड़ रहा..
बढ़ रहे ई-रिक्शा, लेकिन चार्जिंग प्वाइंट नहीं, घरों में बैटरी चार्ज कर रहे मालिक…
सीधी:- केंद्र और राज्य सरकार ई-रिक्शा को बढ़ावा देने की नीति पर काम कर रहीं हैं। गाड़ियों को लोग आसानी से खरीद सकें इसके लिए सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है। इसका असर हुआ है कि शहर में ई-रिक्शा और ई-बाइक के साथ- साथ इलेक्ट्रीकल कारों की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ रही है। ई- गाड़ियों की संख्या तीन के करीब पहुंच गई है मगर अभी तक जिले में एक भी चार्जिंग प्वाइंट नहीं है। लोगों को अपना वाहन घरों में ही चार्ज करना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी ई-रिक्शा को लेकर है। शहर में चार्जिंग प्वाइंट नहीं होने से रिक्शा चालक अपनी गाड़ियां कई बार समय से पहले ही लेकर घर लौट जाते हैं।
ई रिक्शे को बढ़ावा देने – के लिए एक तरफ सरकार सब्सिडी दे रही है। तो दूसरी तरफ इसकी चार्जिंग के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। शहर में अभी तक एक भी चार्जिंग प्वाइंट नहीं बनाया गया है। न जिसके कारण ई रिक्शा मालिक घरों पर ही इन्हें चार्ज कर रहे हैं। जबकि कुछ जगहों पर चोरी छिपे गैराज पर भी चार्ज किया जा रहा है।
शहर में ईको फ्रेंडली वाहनों के व नाम पर चलाए जाने वाले इ-रिक्शा का उपयोग कॉमर्शियल होता है, ई लेकिन यह घरेलू बिजली से चार्ज न हो रहे हैं, जिससे हर साल लाखों की चपत विद्युत वितरण कंपनी को लग रही है। इसके अलावा हादसे की आशंका बनी रहती है। घर पर ई- रिक्शा चार्ज करते समय शॉर्ट सर्किट हो सकता है। आग भी लग सकती है। इस तरह की घटनाएंअन्य प्रदेशों में हो चुकी हैं,जिसमें ई-रिक्शा की चार्जिंग के समय शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। इसके बावजूद न तो प्रशासन, न ही विद्युत वितरण कंपनी ने इस ओर ध्यान न दिया है।
जिले मे करीब एक सैकड़ा ई-रिक्शा चल रही हैं। एक इ-रिक्शा को चार्ज करने में 6 से 7 घंटे लगते हैं। इस दौरान लगभग 9 यूनिट बिजली खर्च होती है। इस तरह देखें तो एक दिन में चार्जिंग पर लगभग 1 हजार यूनिट बिजली की खपत होती है। घरेलू बिजली की दर प्रति यूनिट कॉमर्शियल से कम है।
चार्जिंग फुल करने के बाद 70 से 80 किमी तक चलता है यह रिक्शा में उपयोग की गई बैट्री पर निर्भर करता है। अगर बैट्री लैंड की है तो ये 60 से 70 किमी तक चलता है। वहीं अगर लीथियम बैट्री है तो इसकी क्षमता बढ़ जाती है और ये 70 से 80 किमी तक चलता है।
बस स्टैंड में चार्जिंग प्वाइंट बनाना जरूरी
ई रिक्शा संचालित करने वाले चालकों की मांग है कि बस स्टैंड में चार्जिंग प्वाइंट बनाया जाए। जहां एक साथ छह से आठ वाहनों को चार्ज किया जा सके। बड़े शहर में कई जगह चार्जिंग प्वाइंट बनाया जा चुका है। शहर में अगर ये बन जाए तो रिक्शा संचालकों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कर रहे अच्छी कमाई
ई- रिक्शा मालिक अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं, लेकिन चार्जिंग प्वाइंट नहीं होने की वजह से परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है। बैटरी लो होते ही चार्जिंग के लिए सीधे घर जाना पड़ता है। कई बार रास्ते में ही रिक्शा बंद पड़ जाती है। इससे काम प्रभावित हो रहा है। यही वजह है कि बहुत सारे लोगों ने ई रिक्शा बंद कर दिया है।
इस वजह से हादसे का डर
शहर में ई रिक्शा चार्जिंग प्वॉइंट नहीं बनाए गए हैं। लोग घरों में और बिल्डिंग में ही ई रिक्शा चार्ज कर रहे हैं। घरों में चार्जिंग के दौरान शार्ट सर्किट की संभावना अधिक रहती है। दरअसल चार्जिंग के लिए घरों में पॉवर प्लग नहीं होते ऐसे में शार्ट सर्किट अधिक होते हैं। शहर में ई वाहनों के लिए चार्जिंग प्वाइंट का होना वर्तमान जरूरत है।