विद्यालयों में लटके रहते हैं ताले,फर्जी उपस्थिति का खेल जारी…

वनांचल के स्कूल बने शिक्षकों के चरागाह…
विद्यालयों में लटके रहते हैं ताले,फर्जी उपस्थिति का खेल जारी…
संजय सिंह मझौली सीधी पोल खोल
जिले का वनांचल क्षेत्र कुसमी जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित क्षेत्र किया गया है। जिसमें निवास करने वाले लोगों के विकास के लिए तमाम योजनाएं एवं भारी भरकम बजट प्रतिवर्ष जारी किया जाता है लेकिन जिन कर्मचारियों को वहां पर पदस्थ किया गया है उनके लापरवाही या मनमानी के चलते आज भी इस क्षेत्र के ग्रामीण विकास के मामले में बहुत पीछे हैं जिसका मुख्य वजह लोगों को समुचित शिक्षा न मिलना माना जा रहा है।
पोल खोल पोष्ट की टीम द्वारा सोमवार 7 अप्रैल को कई विद्यालयों का जायजा लिया गया जहां विद्यालय के संचालन समय में ज्यादातर विद्यालयों में ताले लटके मिले।ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि कभी-कभार शिक्षक आते हैं और अपनी मनमानी उपस्थित भरकर चले जाते हैं।
पूरे तंत्र पर उठ रहा सवाल
मामला यहीं खत्म नहीं हो जाता क्योंकि विद्यालयों में नियमानुसार पठन-पाठन एवं संचालन हो जिसके लिए विभाग के तरफ से कर्मचारी तैनात किए गए हैं वही निर्वाचित जनप्रतिनिधि पंच, सरपंच, जनपद सदस्य एवं जिला पंचायत सदस्य की भी जिम्मेदारी है कि विद्यालयों का निरीक्षण समय-समय पर किया जाए ताकि उसमें सुधार हो लेकिन अगर व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है तो पूरे तंत्र में सवाल उठना स्वाभाविक है।
इन विद्यालयों में लटके रहे ताला
शासकीय हाई स्कूल डेवा, शासकीय प्राथमिक शाला देव कोठार डेवा,शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय देउमठ, शासकीय माध्यमिक शाला खरबर, शासकीय प्राथमिक शाला दुबरी कला आदि।
मझौली के वनांचल क्षेत्र में भी यही आलम
कुछ इसी तरह का आलम मझौली जनपद शिक्षा केंद्र के वनांचल क्षेत्र का देखा गया जहां शासकीय प्राथमिक शाला बड़का डोल में ताला बंद रहा जबकि हाई स्कूल बड़काडोल में मात्र दो शिक्षक उपस्थित रहे जब की एक का सी एल बताया गया जहां सबसे गंभीर बात दिखी कि प्राचार्य खुद अनुपस्थित रहे।