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सिंगरौली में बड़े पैमाने पर जंगल कटाई का मुद्दा विधानसभा में गर्माया, कांग्रेस का वॉकआउट

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सिंगरौली जिले में बड़े पैमाने पर हो रही कथित जंगल कटाई का मुद्दा सदन में छाया रहा। कांग्रेस विधायकों ने वन विभाग से स्पष्ट जवाब की मांग की, लेकिन संतोषजनक उत्तर न मिलने पर नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया।कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह और विक्रांत भूरिया* ने आरोप लगाया कि सरकार ने तीन कोल खदानों को अडाणी समूह को देने के नाम पर भारी मात्रा में पेड़ों की कटाई कराई है। उनका कहना था कि वन अधिनियम का पालन नहीं हो रहा और इससे आदिवासी समुदाय पर सीधा असर पड़ेगा। भूरिया ने यह भी दावा किया कि “सिंगरौली में पेड़ काटे जा रहे हैं और उन्हें सागर तथा शिवपुरी में लगाया जा रहा है, यह न्याय नहीं है।”

सरकार की सफाई— नियमों के तहत हुई कटाई

वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने कहा कि कटाई पूरी तरह नियमों के तहत की गई है। उन्होंने बताया कि जितने पेड़ हटाए गए हैं, उतने ही नए पेड़ लगाए जा रहे हैं और जितनी भूमि ली गई है, उतनी ही भूमि अन्य स्थानों पर उपलब्ध कराई गई है।
हालांकि विपक्ष मंत्री की इस सफाई से संतुष्ट नहीं हुआ।

पेसा एक्ट पर भी टकराव तेज**

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सवाल उठाया कि अगस्त 2023 के सरकारी दस्तावेजों में सिंगरौली ब्लॉक को पेसा एक्ट क्षेत्र बताया गया था, लेकिन अब सरकार इसे पेसा क्षेत्र से बाहर क्यों बता रही है? उन्होंने कहा कि सरकार स्पष्टीकरण दे कि 2023 के बाद इसे पांचवीं अनुसूची से क्यों हटाया गया।संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जवाब दिया कि सिंगरौली में कभी भी पेसा एक्ट लागू नहीं रहा और वहां आदिवासी आबादी भी कम है। उन्होंने वन मंत्री का बचाव करते हुए कहा कि वे पहली बार विधायक बने हैं, लेकिन सही और तथ्यों पर आधारित जवाब दे रहे हैं।विपक्ष के लगातार दबाव के बाद विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने हस्तक्षेप कर कहा कि नेता प्रतिपक्ष के साथ अलग बैठक कर मंत्री विस्तृत और स्पष्ट जवाब देंगे।

विपक्ष का आरोप— जंगल कट रहे हैं, आदिवासियों पर असर

डिंडौरी के कांग्रेस विधायक ओंकार सिंह मरकाम ने आरोप लगाया कि सरकार प्रकृति संरक्षण में विफल है। उन्होंने कहा कि “जब विधानसभा परिसर के चंदन के पेड़ सुरक्षित नहीं रहे, तो दूरस्थ जंगलों की रक्षा कैसे होगी?उन्होंने कहा कि जंगल कटने से आदिवासी समुदाय के जीवन, आजीविका और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।विक्रांत भूरिया ने दोहराया कि सिंगरौली में बड़े पैमाने पर जंगल काटे जा रहे हैं और वहां दो हजार पुलिस बल की तैनाती इस बात का संकेत है कि स्थिति सामान्य नहीं है। उन्होंने कहा कि “यदि सब कुछ वैधानिक है तो छिपकर जाने की जरूरत क्यों पड़ रही है?”

 

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