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रस्सी पर जिंदगी का बैलेंस…6 घंटे रस्सी पर चलती है राजकुमारी…

सर्कस:छग से बैलाडीह से परिवार के साथ आई राजकुमारी,परिवार की कई पीढ़ियां रस्सी पर चलते हुए गुजर गई…

रस्सी पर जिंदगी का बैलेंस…6 घंटे रस्सी पर चलती है राजकुमारी…

ब्यूरो सीधी:- जब सडक किनारे 6 फीट ऊपर रस्सी पर चलते हुए लोग बालिका को देखते हैं तो लोगों के पैर थम जाते हैं, हर कोई रुककर उस बालिका की हिम्मत को देखने लगता है, उसके इस करतब और हिम्मत की सराहना करने लगता है, लेकिन बालिका के पैर रस्सी पर रुकते नहीं है, फिल्मी गीतों के बीच वह रस्सी पर गले में टंगे डंडे के बैलेंस से 20 फीट की दूरी को तय करती है। ये जोखिम से भरा करतब छत्तीसगढ़ की बैलाडीह गांव की रहने वाली 11 साल की राजकुमारी दिखाती है।


नाम तो राजकुमारी है, लेकिन दो वक्त की रोटी के लिए वह अपने परिवार के साथ छत्तीसगढ़ से सीधी इस करतब और हुनर को दिखाने पहुंची है। माता पिता सहित परिवार के सात सदस्य सीधी आए है। जो गांव से लेकर शहर में सड़क किनारे
रस्सी पर चलकर करबत दिखाते हैं। राजकुमारी ने बताया कि पिता अन्य सदस्यों के साथ गांव में जाते हैं और हम शहर में रस्सी पर चलकर सर्कस
दिखाते हैं। राजकुमारी के साथ उसकी मां रीना नट रहती है जो रस्सी के नीचे हमेशा अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए खड़ी रहती है। एक साइकिल पर पानी से लेकर पूरा म्युजिक सिस्टम लगा होता है। 10 से15 दिनों तक यहां रहने के बाद वापस गांव चले जाते हैं। रस्सी पर चलने वाले हुनर को देखकर लोग हैरान रह जाते हैं और फिर सभी लोग कुछ पैसे थाली में रख देते हैं और मदद करते है।


5 से 6 घंटे रस्सी पर गुजरते हैं
राजकुमारी ने बताया कि एक बार रस्सी पर चढने पर करीब 40 मिनट तक चलती है। जिमसें कभी थाली तो कभी साइकिल के रिंग पर चलना होता है। छोटी प्लेट पर भी चलती है। दिनभर में करीब 5 से 6 घंटे राजकुमारी के रस्सी के उपर चलने में ही गुजरते हैं। 11 साल की राजकुमारी ने बताया कि इसके लिए कर्ई माह तक अभ्यास करती है, इस दौरान पर चोट भी लगती है।


किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते हैं
मां रीना नट ने बताया कि बचपन से ही इसका अभ्यास करवाया जाता है। पूरा परिवार बचपन से अभ्यास में जुटता है। यह हमारा एकमात्र परिवार की रोजी रोटी का सहारा है। जो पुश्तैनी काम है, जिसमें हमारी कई पीढियां रस्सी के ऊपर चलते-चलते ही गुजर चुकी हैं। हमारी बच्चियां रस्सी पर चलती है तो इस खेल को देखने रुके लोग हमारी थाली में नगद पैसे डालकर जाते हैं, इस कला को दिखाने के लिए हम किसी भी व्यक्ति से आगे से पैसे नहीं मांगते हैं, लोग अपनी इच्छा से ही हमारी थाली में पैसे डाल जाता है।

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