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अपयंत्री के संरक्षण में जारी है मनरेगा में फर्जीवाड़ा,रोजगार को भटक रहे ग्रामीण…

अपयंत्री के संरक्षण में जारी है मनरेगा में फर्जीवाड़ा,रोजगार को भटक रहे ग्रामीण…

मशीनरी से हुए कार्यों को क्यों सत्यापित कर रहा उपयंत्री…

रोजगार सहायक के फर्जीवाड़े की ग्रामीणों ने खोली पोल…

संजय सिंह मझौली सीधी पोल खोल

एक तरफ जहां बेरोजगार ग्रामीणों को स्थानीय स्थान स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना केंद्र सरकार के द्वारा लागू की गई है जिसके लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का बजट जारी किया जाता है लेकिन रोजगार गारंटी योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत स्तर पर दी गई है जिसमें सरपंच, सचिव एवं रोजगार सहायक एवं उपयंत्री जिम्मेदार होते हैं लेकिन यही जिम्मेदार लोग जब योजना को पलीता लगाते हुए फर्जी तरीके से मस्टर रोल जारी कर मशीनरी से हुए कार्य को उपयंत्री द्वारा फर्जी तरीके से सत्यापित किया जाता है एवं उसी आधार पर मजदूरी की राशि भुगतान होती है जिसका बंदर बांट करते हैं तब पूरे तंत्र पर सवाल खड़ा होता है जबकि जरूरतमंद लोग रोजगार के लिए परेशान और भटकते रहते हैं। वहीं रोजगार सहायक के फर्जीवाड़े की ग्रामीणों ने पोल खोल दिया है।

 

कुछ इसी तरह का मामला जनपद पंचायत मझौली अंतर्गत ग्राम पंचायत खजुरिहा का देखा जा सकता है।
ग्रामीणों के मुताबिक यहां उपाध्याय के खेत में खेत तालाब निर्माण के नाम पर 118246 रु की मजदूरी फर्जी मस्टर रोल के जरिए भुगतान की गई है वहीं डक पौंड निर्माण हनुमान मंदिर के पास झपरी इसमें 4115 मानव कार्य दिवस के अनुसार 484533 रु मजदूरी भुगतान की गई है वही पार्कोलेशन टैंक निर्माण कलावती सिंह के घर के पास झपरी में 1236 मानव कार्य दिवस के अनुसार 294242 रुपए मस्टर रोल के जरिए मजदूरी भुगतान की गई है। उपरोक्त सभी कार्यों में नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के मध्य मस्टर रोल जारी किए गए हैं। ग्रामीणों द्वारा बताया गया है कि उपरोक्त अवधि में कोई कार्य नहीं हुए हैं फर्जी मस्टर रोल जारी किए गए हैं जबकि कुछ कार्य बरसात के पहले एवं कुछ सितंबर अक्टूबर 2024 में जेसीबी मशीन से कराए गए हैं जहां एक भी मजदूर काम नहीं किए हैं।जरूरतमंद ग्रामीण जब सरपंच सचिव के पास रोजगार मांगने जाते हैं तो उन्हें गुमराह किया जाता है और कहा जाता है कि अभी मनरेगा का बजट नहीं आया है जब आएगा तब काम बताएंगे।ऐसे में यही कहा जा सकता है कि जिन्हें योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी दी गई है वही लोग राहु केतु जैसे कुंडली मार कर बैठे हैं और योजना को पलीता लगा रहे हैं। ग्रामीणों ने सी ई ओ जिला पंचायत एवं कलेक्टर का ध्यान आकर्षित कर मामले की जिला स्तर से जांच कार्यवाही की मांग की है।

रोजगार सहायक एवं उपयंत्री हैं प्रमुख जिम्मेदार
मनरेगा के कार्यों में रोजगार सहायक एवं उपन्यत्री मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं क्योंकि मनरेगा में मांग आधारित कार्य कराया जाता है जिसमें जिन लोगों के द्वारा रोजगार की मांग की जाती है पहले उनका आवेदन लेकर उनकी सूची तैयार की जाए फिर उन्हीं के नाम से मस्टर रोल जारी किया जाए एवं कार्य कराया जाए। जब प्रावधान है कि रोजगार मूलक कार्य मजदूरों से ही कराया जाए फिर मशीनरी से कराए गए कार्य को उपयंत्री द्वारा कमीशन के आधार पर सत्यापित कर दिया जाता है जिस कारण मनरेगा के उद्देश्य की पूर्ति दूर-दूर तक नहीं होती है जिस कारण रोजगार सहायक शंभू कुशवाहा एवं उपयंत्री बृजेंद्र कोरी के ऊपर कार्यवाही की मांग ग्रामीणों ने की है।

 

इनका कहना
यहां सारे काम जेसीबी मशीन से होते हैं जबकि फर्जी मस्टर रोल के जरिए मजदूरी आहरण की जाती है हम लोगों को रोजगार नहीं मिलता है सरपंच सचिव मनमानी कर रहे हैं। इतना ही नहीं उपयंत्री द्वारा मशीनरी के कार्य को क्यों सत्यापित किया जाता है?

गया राम सिंह गाेंड़ ग्रामीण
हमारा परिवार गरीबी से जूझ रहा है और छोटे-छोटे बच्चे हैं बाहर जाने की स्थिति में नहीं हैं जबकि ग्राम पंचायत में सारे काम मशीन से कराए जाते हैं हम लोगों को रोजगार नहीं दिया जाता है जिला प्रशासन से जांच कार्यवाही की मांग करते हैं।

 

जनार्दन सिंह गोंड़ ग्रामीण
हम तो बूढ़े हो गए हैं लेकिन हमारे बच्चों को ग्राम पंचायत में रोजगार नहीं मिलता है सब काम जेसीबी मशीन से कराए जाते हैं। *बाबूलाल सिंह गोंड़ ग्रामीण*
मनरेगा योजना ही रोजगार मूलक योजना है जिसमें स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार देने की गारंटी रहती है अगर उन्हें रोजगार नहीं मिलता है और मशीनरी से काम कराए जाते हैं तो यह गलत है जांच कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी।

अरविंद तिवारी अतिरिक्त कार्य अधिकारी मनरेगा

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