सीधी

अस्पताल में मरीजों की हो रही फजीहत,चिकित्सकीय व्यवस्था भी चल रही भगवान भरोसे।

अस्पताल में मरीजों की हो रही फजीहत,चिकित्सकीय व्यवस्था भी चल रही भगवान भरोसे।

भर्ती मरीजों को न बेड मिल रहा,न पंखे,उमस भरी गर्मी से राहत पाने घर से पंखे ले आ रहे मरीजों के परिजन।

सीधी:- माह भर से पड़ रही भीषण गर्मी के बाद हल्की बारिश और फिर तेज धूप से मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। बुखार तथा उल्टी दस्त के मरीजों की संख्या बढऩे से जिला अस्तपताल में की व्यवस्था बिगड़ गई है। मेडिकल वार्ड में मरीजों को भर्ती करने की जगह नहीं बची है, अब मरीजों को बरामदे में लिटाकर उपचार करना पड़ रहा है। बरामदे का आलम यह हो गया है कि भर्ती मरीजों को पैर फैलाने तक की जगह नहीं मिल रही है। बरामदे में पंखे व कूलर की व्यवस्था नहीं होने से मरीज उमस भरी गर्मी से बेहाल हैं, गर्मी से राहत पाने मरीजों के परिजन अपने घरों से कूलर व पंखे लेकर जा रहे हैं।


सोमवार की रात जिला अस्पताल का भ्रमण कर जायजा लिया गया तो प्रथम तल के बरामदे में मरीज गर्मी से बेहाल मिले। बरामदे में उपचार के लिए भर्ती मरीज रंजीता वर्मा ने कहा, यहां व्यवस्था कैसी है, बताने की जरूरत नहीं, स्वयं दिख रहा है। दर्द से बुराहाल है, कोई सुनने वाला नहीं। सुखरतिया देवी ने कहा, वार्ड में जगह नहीं मिली, बरामदे में भर्ती कर दिया गया, यहां पंखा तक नहीं है, गर्मी से राहत पाने घर से पंखा मंगवाए हैं। प्रभादेवी सिंह ने कहा, बरामदे में ही इतने मरीज भर्ती हो गए हैं कि सीमेंट की कुर्सियों में पैर फैलाने तक की जगह नहीं मिल रही है।
*हर दिन भर्ती हो रहे 20 से 30 मरीज-*
मौसम के मिजाज के कारण बुखार, उल्टी दस्त का प्रकोप बढ़ा है। खान पान की लापरवाही के कारण लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। सिविल सर्जन डॉ.एसबी खरे ने बताया, मेडिकल वार्ड में पचास बेड की व्यवस्था, मरीज दो सैकड़ा से अधिक हो गए हैं। हर दिन 20 से 30 मरीज भर्ती हो रहे हैं। ऐसे में बरामदे में भर्ती कर उपचार करना मजबूरी है। भर्ती मरीजों की संख्या बढऩे से व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं। सिविल सर्जन डॉ.खरे ने बताया, एक नया वार्ड बनकर तैयार हो गया है, कल से मरीजों को वहां भी भर्ती किया जाएगा, जिससे कुछ राहत मिलेगी।

ओपीडी पहुंच रही सात सैकड़ा के पार-
जिला अस्पताल में इन दिनों सबसे अधिक बुखार और उल्टी दस्त के मरीज पहुंच रहे हैं। ऐसे मरीजों को कम से कम पांच दिन भर्ती करना पड़ता है। वहीं ओपीडी में मरीजों के पंजीयन की संख्या सात सैकड़ा के पार जा रही है। दस दिन पहले तक प्रतिदिन तीन सैकड़ा के आस-पास ओपीडी रहती थी, लेकिन मौसम का मिजाज बदलने से यह संख्या 700 से अधिक हो गई है।

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