सीधी: चंबल से लाए हुए नर घड़ियाल की हुई मौत विभाग में मचा हड़कंप…

सीधी: चंबल से लाए हुए नर घड़ियाल की हुई मौत विभाग में मचा हड़कंप…
सीधी: सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार चंबल से लाया गया नर घड़ियाल की मौत की सूचना प्राप्त हो रही है. सोन नदी में तेज बहाव होने की वजह से नर घड़ियाल अभ्यारण जोगदह घाट से कहीं चला गया था लोकेशन आईडी के हिसाब से चोपन में होने की सूचना प्राप्त हुई इस पर टीम रवाना हुई जानकारी के अनुसार टीम के द्वारा चोपन के अघोरी किला के पास जाल फैलाकर रेस्क्यू किया गया घड़ियाल को एवं विशेष वाहन के द्वारा सोन नदी अभ्यारण जोगदह घाट पर लाया गया काफी देर इंतजार करने के बावजूद भी कोई मोमेंट नहीं हो रही थी जिस पर जांच की गई तो जांच के दौरान घड़ियाल की मृत्यु होने की जानकारी मिली फिलहाल पूरा विभागीय अमला एवं अधिकारी मौके स्थल पर मौजूद हैं और डॉक्टर की टीम भी बुलाई जा रही है आखिर मौत का कारण क्या था इसका स्पष्टीकरण हो पाए फिलहाल विभाग के किसी भी अधिकारी से संपर्क नहीं हो पा रहा है ताकि पूरी जानकारी मिल पाए विशेष सूत्रों के हवाले से खबर प्राप्त हुई है।
इस पर भी थोड़ा नजर डालें
मध्य प्रदेश के सीधी जिले में सोन घड़ियाल अभ्यारण जोगदह घाट घड़ियालों के बच्चों से गुलजार हो गया था. 132 घड़ियालों के पैदा होने से विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों और जिले के लोगों में खुशी की लहर जगी थी. यह पहली बार हुआ है, जब इतनी संख्या में घड़ियालों के बच्चे हुए हैं. अब सोन घड़ियाल अभ्यारण अमला उनकी देखरेख एवं सुरक्षा-व्यवस्था में जुटा हुआ था.
वर्ष 1981 में सीधी जिले के सोन नदी के जोगदहा में सोन घड़ियाल अभ्यारण बनाया गया, जहां मगर व घड़ियालों को लाकर रखा गया. शुरुआती दौर के परिश्रम के बाद विभाग को सफलता मिलती रही, लेकिन बाद में घड़ियालों की संख्या बढ़ाना और उन्हें बचाना एक चुनौती सा हो गया.
वर्ष 2021 में दो नर घड़ियालों की मौत हो गई. इसके बाद यहां नर घड़ियालो की संख्या ना के बराबर रही. बाद में चंबल से एक नर घड़ियाल सीधी लाया गया, इसके बाद पांच मादा घड़ियालों से 132 बच्चे पैदा हुए हैं…
दो प्रतिशत ही बच पाते हैं घड़ियालों के बच्चे
घड़ियाल विलुप्त होती प्रजाति है, जिसे बड़ी मुश्किल से बचाया जाता है. अनुपात में जन्म के बाद कुल संख्या में दो प्रतिशत ही घड़ियाल के बच्चे बच पाते हैं. जहां हैचरी की सुविधा है, वहां उनके बचने की संख्या ज्यादा होती है. चंबल क्षेत्र में यह सुविधा उपलब्ध है. अंडे से बाहर आने के बाद बच्चों को हैचरी में रखा जाता है और फिर उन्हें बड़े होने पर छोड़ दिया जाता है…
सीधी जिले में बने सोन घड़ियाल अभ्यारण में अभी तक हैचरी की सुविधा नहीं हो पाई है, जिसके चलते घड़ियालों के बच्चों को बचाना चुनौती रहता है. आगामी समय में यहां भी हेचरी की सुविधा उपलब्ध होगी और घड़ियालों से होने वाले बच्चों को बचाने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा…
38 घड़ियाल, 74 मगर की है संख्या
सोन घड़ियाल अभ्यारण में घड़ियालों की संख्या 38 है तो वहीं, मगरमच्छ की संख्या 74 बताई गई है. स्कीमर की संख्या 41 है. इसके अलावा 49 प्रकार के पक्षी हैं, जिनकी संख्या 4015 होना बताया गया है. इसमें खास बात यह है कि घड़ियालों की संख्या 38 है, जो बच्चों को छोड़कर है. कारण यह कि अभी घड़ियालों के बच्चों में नर और मादा को पहचानना काफी कठिन होता है…
बिहार गया नर घड़ियाल आज तक नहीं आया
सोन घड़ियाल अभ्यारण से एक नर घड़ियाल पानी के बहाव में बिहार चला गया था, जिसके शरीर में चिप लगी होने के कारण उसकी लोकेशन भी मिली. विभाग ने जब बिहार सरकार से बात की तो साफ तौर पर घड़ियाल को वापस देने के लिए मना कर दिया गया और स्थिति यह है कि काफी प्रयास के बावजूद आज भी सीधी का नर घड़ियाल बिहार में है. इसे वापस नहीं लाया जा सका और अब संभावना भी ना के बराबर है. इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने बिहार सरकार से भी बात की, इसके बाद भी बात नहीं बनी और स्थिति वही पुरानी बनी हुई है…
विभाग के लिए खुशी की बात- एसडीओ
सोन घड़ियाल अभ्यारण के एसडीओ राजीव मिश्रा ने बताया कि 5 मादा घड़ियालों से 132 बच्चे पैदा हुए हैं, यह विभाग के लिए खुशी की बात है. उनकी सुरक्षा के लिए प्रयास किए जा रहे हैं एवं आने वाले दिनों में और भी नर घड़ियाल चंबल लाए जाएंगे. इससे यहां घड़ियालों की संख्या में और वृद्धि हो सके. सोन घड़ियाल अभ्यारण (Son Gharial Sanctuary) में इन दिनों घड़ियाल व मगर की संख्या पर्याप्त है. प्रयास रहेगा कि आगामी दिनों में यहां हैचरी की सुविधा उपलब्ध हो और घड़ियालों से जन्म लेने वाले बच्चों को सुरक्षित हेचरी में रख करके बड़ा किया जाए. ऐसा होने से सोन घड़ियाल अभ्यारण में घड़ियालों की संख्या काफी बढ़ जाएगी…
विभाग के लिए फिर चुनौती बनी नर घड़ियाल की
5 वर्ष की लंबी इंतजार के बाद न घड़ियाल सीधी जिले में लाया गया था विभाग में काफी उत्साह था कि अब घड़ियालों की संख्या में वृद्धि होगी और हुआ भी 132 बच्चे निकले परंतु पुणे नर घड़ियाल की मृत्यु के बाद विभाग के पास अब फिर से समस्या खड़ी हो गई है कि नर घड़ियाल को लाना पड़ेगा फिलहाल अभी कोई अधिकारी इस पर स्पष्ट बात करने को तैयार नहीं है देखना दिलचस्प होगा कि आखिर अब विभाग आगे क्या कार्यवाही करता है…













