तकनीकी अमले के कमीशन खोरी की खुल रही पोल।
बरसात का आगाज होते ही बहने लगे लाखों के स्टाप डेम, पुलिया और तालाब
तकनीकी अमले के कमीशन खोरी की खुल रही पोल
मामला जनपद पंचायत मझौली के कई ग्राम पंचायतों का
संजय सिंह मझौली सीधी
जनपद पंचायत मझौली अंतर्गत कई ग्राम पंचायत में लाखों के निर्माण कार्य कराए गए हैं लेकिन उन कार्यों की गुणवत्ता की पोल बरसात के आगाज होते ही खुलने लगी है जहां लाखों रुपए से निर्मित स्टाफ डेम, पुलिया एवं तालाब बह गए।जिससे तत्कालीन तकनीकी अमला सवालों के घेरे में आ रहा है। जिसके कमीशन खोरी की पोल खुल रही है क्योंकि निर्धारित मापदण्ड के तहत निर्माण कार्य हुए होते तो ऐसी स्थिति क्यों आती।
ग्रामीणों की माने तो ग्राम विकास के नाम पर आई राशि खर्च तो जरूर हो गई लेकिन उसकी उपयोगिता शून्य हो जाना सीधे-सीधे पद का दुरुपयोग एवं कमीशन खोरी साबित करता है।
इन ग्रामों में हुए घटिया निर्माण कार्य
ग्राम पंचायत चमराडोल के पटवारी नाला में कछरा जंगल के पास निर्मित 15 लाख रुपए का स्टाप डेम कई जगह से टूट गया है जो किसी भी समय पानी के बहाव में बह सकता है यानी पूर्ण रूप से अनुपयोगी हो गया है इसी तरह ग्राम पंचायत बोदारी के पश्चिम टोला अहिरान बस्ती के पास बनी पुलिया टूट कर अलग हो गई है जिससे लोंगों का आवागमन बन्द है वहीं वार्ड नंबर 13 भुतहा टोला में पडवारी नदी में बना स्टाप डेम पूरी तरह से बह गया है।इसी तरह पिपर नखा नाला में निर्मित चेक डैम भी अनुपयोगी हो गया है क्योंकि उसमें घटिया निर्माण के चलते पानी नहीं रुक रहा है। गुणवत्ता की पोल खुलते ही उसमें भी लीपापोती की जा रही है।
डांगा में बह 15 लाख का नवीन तालाब
इसी विकास की कड़ी में ग्राम पंचायत डांगा में निर्मित 15 लाख रुपए का नवीन तालाब पूरी तरह से बह गया है। ग्रामीणों ने कहा कि जिस स्थान में नवीन तालाब बनाया गया है वहां पर बनना ही नहीं चाहिए क्योंकि उसी के ऊपर पहले से ही एक बड़ा तालाब बना है लेकिन तकनीकी अमला के द्वारा स्थल के बजाय कमरे में बैठकर तकनीकी स्वीकृत देकर अपना कमीशन लेकर मनमानी पूर्वक निर्माण कार्य कराया गया जिस कारण पहले बरसात में ही तालाब बह गया।
तत्कालीन तकनीकी अमला सवालों के घेरे में
इन ग्राम पंचायत के निर्माण कार्य तो महज एक बानगी है फिर भी अगर निर्माण कार्यों के लागत की बात की जाए तो उपरोक्त निर्माण कार्य एक करोड़ रुपए से ऊपर के कराए गए हैं लेकिन गुणवत्ताहीन होने के चलते सभी अनुपयोगी हो गए और एक करोड रुपए खर्च भी हो गए जिसमें निर्माण एजेंसी तो जिम्मेदार है ही लेकिन सबसे ज्यादा जिम्मेदारी तकनीकी अमले की होती है अगर उनके द्वारा अपने जिम्मेदारी का ईमानदारी के साथ निर्वहन किया गया होता और निर्धारित मापदंड के तहत निर्माण कार्य कराए गए होते तो ऐसी स्थिति ना होती इसलिए तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा एवं उप यंत्री सवालों के घेरे में हैं। जानकारों के अनुसार अगर सभी ग्राम पंचायतों में देखा जाए तो इसी तरह ज्यादातर निर्माण कार्य कराए गए हैं जो गुणवत्ताहीन होने के कारण नष्ट हो रहे हैं वा नष्ट हो गए हैं और अनुपयोगी हो गए हैं। सूत्रों की माने तो तत्कालीन तकनीकी अमला अपना कमीशन लेकर कमरे में बैठकर ही तकनीकी स्वीकृति एवं पूर्णता प्रमाण पत्र जारी कर देता था जिस कारण निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार सर चढ़कर बोल रहा है।
इनका कहना
सरिता सिंह अनुविभागीय अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा मझौली
ऐसे निर्माण कार्यों की जानकारी हमें भी मिली है लेकिन निर्माण कार्य हमारे कार्यकाल के नहीं हैं उन कार्यों की जांच कराई जाएगी और सभी पर वैधानिक कार्रवाई के लिए प्रस्तावित किया जाएगा।