सीधी

7 लाख लागत से बनी नाली मे फर्जी बिल।

7 लाख लागत से बनी नाली मे फर्जी बिल लगाने का सचिव पर लगा आरोप।

अमित श्रीवास्तव पोल खोल 
मध्य प्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास के द्वारा ग्राम पंचायतो में विकास कार्य को लेकर पंच परमेश्वर 15वां वित्त,पांचवा राज्य वित्त में राशि भेजी जाती है जिससे विकास ग्रामीण क्षेत्र में हो विकाश हो सके लेकिन भ्रष्टाचार करने वाले सरपंच सचिवो के द्वारा गुणवत्ता विहीन कार्य करके पूरे पैसे निकाल कर बंदरवाट कर लिया जा रहा है और एक बार निर्माण कार्य बनने के बाद दोबारा उस तरफ पंचायत कर्मी देखने तक नहीं जा रहे हैं।


कुछ ऐसा ही मामला सीधी जिले के कुसमी जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत दुआरी से निकाल कर आया है जहां सरपंच सचिव भ्रष्टाचार करने में इतना मगन हो गये हैं कि निर्माण कार्य के लिये मटेरियल की एजेंसी नजदीकी वेंडरो से करने की बजाय जिला 80कि.मी.सीधी के वेंडर से खरीदी कर रहे हैं।जिसमे दुआरी के ग्रामीणों ने आपत्ति जताई है वही उनका कहना है कि यही पास से ही मटेरियल सप्लायर से नाली निर्माण कार्य में क्रय किया गया है तो फिर बिल दूसरे सीधी के बेंडर का कैसे फीड किया गया है। जिसकी जांच आवश्यक है।


घटिया मटेरियल से बनी है नाली
मामले पर ग्रामीणो ने बताया कि पांचवा राज्य वित्त आयोग से पक्की नाली का निर्माण कार्य करीब 787290 की लागत से नाली घटिया मटेरियल से बनाई गई थी जिसका बिरोध किया गया था जो 1 साल के अंदर ही क्षतिग्रस्त हो गई है एवं पट गई है जिसकी गंदगी की बदबू से ग्रामीण परेशान हैं।इसकी पंचायत पदाधिकारी को सूचना भी दी गई मगर सुधार एवं सफाई कार्य नहीं कराया गया और जमे कचडो को साफ भी नही कराया गया। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर 7 लाख की लागत से बनाई गई नाली कैसे क्षतिग्रस्त हो गई।लोगो का कहना है कि इस तरह के कई ऐसे निर्माण कार्य दुआरी में पंचायत सचिव के द्वारा किए गए हैं जो गुणवत्ता विहीन है पूरे निर्माण कार्यों की जांच यदि हो तो चौंकाने वाले खुलाशे सामने आ सकते हैं।

फर्जी बिल लगाकर हुआ भुगतान
ग्रामीणो ने बताया कि यदि कोई वेण्डर अपनी दुकान से किसी सामान का क्रय विक्रय करता है तो उसे बिल में दिनांक अवश्य लिखता है मगर दुआरी सचिव के द्वारा इस नाली निर्माण कार्य में दो बिल जिसमे एक बिल 211000रूपये एवं दूसरा बिल361500 रूपये सार्वजनिक पोर्टल पंचायत दर्पण में फीड किया गया है जिसमें महादेव कान्टेक्शन सप्लायर बेण्डर ने किस तारीख को मटेरियल पंचायत को दिया इसका किसी तरह का उल्लेख दिनांक का नहीं है।और बिल सचिव ने फीड कर लिया, इससे साफ जाहिर होता है कि 80 किलोमीटर के वेंडर का बिल सचिव ने निर्माण कार्यों पर भले ही लगाये हैं लेकिन इस तरह के बिल बिना दिनांक के फीड करने का तात्पर ही यह निकलता है की फर्जी तरीके से बिल लगाया गया हैं।जबकि सामग्री कुसमी और टमसार के दुकानो से क्रय की गई है।इसके साथ साथ सामग्री खरीदी करने का वकायदा वैठक मे कोटेशन के साथ ली जाती और उसका प्रस्ताव बनता जिससे पंचायत अपना राशि बचा भी सकती थी मगर ऐसा न करके दूगने दर पर मटेरियल वो भी सीधी से क्रय करना संदेहात्मक है। जिसकी ग्रामीणो ने जांच की मांग की है।

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