चौकीदार ने ही खोल दी अपने वरिष्ठ अधिकारियों की पोल, बिना मौके पर आए ही काट दिया पी ओ आर।
चौकीदार ने ही खोल दी अपने वरिष्ठ अधिकारियों की पोल, बिना मौके पर आए ही काट दिया पी ओ आर।
सीधी जिले का तुर्रा नाथ धाम का मामला लगातार गर्माता हुआ नजर आ रहा है। जहां वन विभाग के निचले स्तर के कर्मचारियों ने ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों की पोल खोल दी है। जिले के आदिवासी अंचल में इतना बड़ा मामला होने के बाद जिम्मेदार अधिकारी केवल कोरम पूर्ति कर रहे है। 21 सितंबर को होने वाली घटना के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं हुई जब मीडिया कर्मी ने बताया तब वन विभाग की भी नींद खुली और 3 अक्टूबर को ही चौकीदार मौके पर पहुंचे। जहां सारी बातें उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारी और मुंशी को बताई।
मामले में नया मोड़ तब आ गया जब एक सिर्फ चौकीदार के कहने पर वन विभाग के अधिकारियों ने पी ओ आर काट दिया। जहां चौकीदार ने ही इन सब घटनाओं की पोल खोल दी है चौकीदार ने बताया कि 3 अक्टूबर को कोई भी अधिकारी हमारे साथ नहीं आया था बल्कि एक दिन बाद 4 अक्टूबर को मुंशी मेरे साथ आए थे। लेकिन मुंशी के बाद उस दिन तक किसी भी अधिकारी का क्षेत्र में दौरा नहीं हुआ इतने बड़े मामले होने के बाद भी सिर्फ मोटी रकम लूटने के चक्कर में यह सब खेल हो रहा है ऐसा सूत्र बताते हैं।
सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि 4 अक्टूबर को आने के बाद बैक डेट में 3 अक्टूबर को पी ओ आर काट दिया जाता है जो की सबसे बड़ी कार्यवाही के रूप में वन विभाग दिखाती है।
मामले का खुलासा उस वक्त और ज्यादा गहरा हो गया जब यह पता चला कि एक भी पेड़ काटे नहीं गए हैं। लेकिन पी ओ आर में दर्ज अनुसार पेड़ की कटाई हुई है जबकि हकीकत यह है कि किसी भी पेड़ को काटा नहीं गया है जिसका खुद बयान वहां के पदस्थ चौकीदार तेजभान सिहं एवं रोहितलाल केवट दे रहे हैं। अपने ही बयानों में वन विभाग हंसता हुआ नजर आ रहा है लेकिन वरिष्ठ अधिकारी अभी भी सिर्फ पैसे खाने के चक्कर में हैं। किसी भी अधिकारी के द्वारा कोई भी जांच नहीं की जा रही है।
पी ओ आर गलत काटने के बाद जांच भी गलत तरीके से हो रही है लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों को यह चाहिए कि वह एक बार फिर से जंगल में जाकर तुरा नाथ धाम मामले में फिर से जांच करें और नियम के विरुद्ध कार्यवाही ना करके नियमानुसार कार्रवाई करें। जो चीज हुई ही नहीं है उसे दिखाना वन विभाग की सबसे बड़ी नाकामयाबी को दिखा रहा है। ऐसे में कई सवाल वन विभाग के क्रियाकलाप में आ रहे हैं।