बाघिन मौसी का कुनबा : पर्यटकों की पहली पसंद…
बाघिन मौसी का कुनबा : पर्यटकों की पहली पसंद
बाघिन मौसी और उसके कुनबे की होती है सबसे अधिक सर्चिंग
संजय टाइगर रिजर्व में बढ़ रही लगातार सैलानियों की संख्या
आर.बी.सिंह ‘राज’। सीधी
वैसे तो जिले के संजय टाइगर रिजर्व में इन दिनों बाघों को लेकर बहार है पर सबसे ज्यादा सर्चिंग का केंद्र बिंदु मौसी बाघिन बनी हुई है, पर्यटक भी इस बाघिन को देखने के दूर-दूर से पहुंच रहे हैं।
मध्यप्रदेश के सीधी में स्थित संजय टाइगर रिजर्व की पहचान इस बाघिन ने विदेश तक पहुंचा दी है, यहां आने वाले पर्यटकों की खास नजर सिर्फ इस बाघिन पर टिकी रहती है।
अखिल ऐसी क्या बात है मौसी बाघिन में
बताया गया है कि इन दिनों इस नेशनल पार्क में बाघिन टी- 28 की तलाश सबसे ज्यादा पर्यटक इसलिए करते हैं कि इसके साथ एक दो नहीं बल्कि चार-चार शावक भी साथ चलते हैं, अगर पर्यटकों को यह बाघिन दिख गई तो उनका संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र के भ्रमण की मंशा पूरी हो जाती है।
उल्लेखनीय है कि इस वन क्षेत्र में रहने वाली बाघिन टी- 28 को मौसी के नाम से जाना जाता है, कारण कि बाघिन टी- 18 की रेल दुर्घटना में मौत हो गई थी जिसके चलते उसके तीन शावक अनाथ हो गए थे, ऐसे में संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र के आला अधिकारियों को शावकों की सुरक्षा चिंता का विषय बन गई थी लेकिन विभाग की ये चिंता एक झटके में ही दूर हो गई, कारण कि इसी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में रह रही बाघिन टी- 28 ने अपने शावकों के साथ-साथ रिश्ते में लगने वाली अपनी बहन बाघिन टी- 18 की मौत के बाद अनाथ हुए शावकों को भी अपना लिया। अब स्थिति ये है कि बाघिन टी- 28 अपने शावकों के साथ-साथ अनाथ हुए शावकों को भी अपने साथ लेकर भ्रमण कर रही हैं। यही वजह है कि पर्यटकों को इस बाघिन के दीदार का विशेष इंतजार रहता हैं। इन दिनों बाघिन टी- 28 के साथ चलने वाले चार शावकों का झुंड संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र माना जा रहा है।
विभाग ने बाघिन टी- 28 को दिया मौसी का नाम
बाघिन टी- 18 की रेल लाइन की चपेट में आने से मौत हो जाने के बाद अनाथ हुए उसके शावकों का सहारा बनीं बाघिन टी- 28 को संजय टाइगर रिजर्व में मौसी के नाम जाना जाता है। विभाग ने उसकी उदारता को देखते हुए कॉलर आईडी की पहचान के साथ-साथ नया नाम दिया है, अब बाघिन टी- 28 को मौसी के नाम से जाना जाता है और ये पूरे टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
बाघों के इतिहास में जुड़ा नया अध्याय
संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र दुबरी हमेशा से अपनी नई कहानी को लेकर चर्चा में रहा है। इन दिनों ये टाइगर रिजर्व क्षेत्र बाघिन टी- 28 को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है। खास बात ये है कि ये बाघिन अब तक दो बार शावकों को जन्म दे चुकी है, इसके अलावा ये बाघिन इसलिए भी चर्चा में है कि इसने पहली बार जब शावकों को जन्म दिया था तो महज पांच माह के भीतर ही उसकी बहन बाघिन टी- 18 की रेल हादसे में मौत हो गई, ऐसे में उसने अपने शावकों के साथ बहन के तीन शावकों की परवरिश कर इतिहास रच दिया है।
एक साथ चलता है चार शावकों का झुंड
बाघिन टी- 28 संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आने वाले सैलानियों के आकर्षण का केंद्र इस बना है कि अगर उन्हें मौसी बाघिन टी- 28 के दीदार हो गए मतलब उसके साथ चलने वाले चार शावकों के भी दीदार होना तय है। बताया गया है कि इसके साथ चलने वाले शावकों की उम्र 8 से 9 माह की हो चुकी है और झुंड में जब ये चारों शावक टी- 28 के साथ चलते हैं तो जंगल सफारी के शौकीन पर्यटकों के लिए ये नजारा अपने आप में बेहद रोमांचक होता है। यही वजह है कि इन दिनों मौसी मां को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक पहुंच रहे हैं। मौसी मां के चलते जिले का संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
पर्यटकों के लिए बाघिन मौसी का कुनबा पहली पसंद : सुभाष
संजय टाइगर रिजर्व में एमपी टूरिज्म से अधिकृत प्रमुख टूरिस्ट गाइड सुभाष सिंह बताते हैं कि जो भी पर्यटक यहां पर परसिली रिसोर्ट में रुकने के लिए आते हैं उन्हें जब जंगल सफारी के लिए ले जाया जाता है तो उनकी फर्स्ट डिमांड बाघिन मौसी टी-20 और उसके चार शावकों के कुनबे को देखने के लिए रहती है, सबसे अधिक जंगल में उसी की सर्चिंग पर्यटकों के डिमांड पर बनी हुई है।