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टाटा समूह ज्यादा ए‎क्टिव सेमीकंडक्‍टर सेक्‍टर में

केंद्र सरकार सेमीकंडक्‍टर निर्माण में भारत को एक अग्रणी देश बनाने के प्रयास में लगी हुई है। टाटा समूह इस सेक्‍टर में अब सबसे ज्‍यादा एक्टिव है। टटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने चिप निर्माता एनालॉग डिवाइसिस, एनएक्‍सपी सेमीकंडक्‍टर्स और माइक्रॉन जैसे वैश्विक कंपनियों के साथ चिप निर्माण के लिए समझौते किए हैं। टाटा समूह की सेमीकंडक्‍टर मैन्‍यूफैक्‍चरिंग क्षमता से सिंगापुर भी प्रभावित है। सिंगापुर सरकार टाटा समूह के साथ मिलकर सेमीकंडक्टर्स निर्माण करना चाहती है।

 

इसी साझेदारी को लेकर सिंगापुर के कानून और गृह मामलों के मंत्री के. शन्मुगम के नेतृत्व में सिंगापुर सरकार के अधिकारियों ने इस हफ्ते टाटा समूह के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन से मुलाकात की। सेमीकंडक्टर विकास के अलावा, सिंगापुर भारत के साथ कौशल विकास, डिजिटल तकनीक, औद्योगिक पार्क और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भी साझेदारी की तलाश में है। सिंगापुर, टाटा समूह के लिए भी एक अहम व्‍यापारिक ठिकाना है। सिंगापुर एक ऐसा देश है, जहां टाटा समूह की करीब 50 वर्षों से गहरी और लंबी उपस्थिति है।

 

कारों और टेलीकॉम उपकरणों से लेकर कई प्रोडक्‍ट्स में उपयोग होने वाले सेमीकंडक्टर्स की आपूर्ति सुनिश्चित करने का प्रयास भारत कर रहा है। यह बात सिंगापुर को भी अच्‍छे से पता है, इसलिए वह भारतीय कंपनियों को लुभाने की कोशिश कर रहा है। टाटा समूह का आकार और बाजार पूंजीकरण सिंगापुर की जीडीपी के बराबर है। आकार में सिंगापुर भले ही छोटा हो, लेकिन वहां 25 फाउंड्रीज और एक मजबूत सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन है, जो हर चिप निर्माता को सिंगापुर की ओर आकर्षित होने के लिए पर्याप्‍त है। यही कारण है कि सिंगापुर के मंत्री शन्मुगम पूरे आत्‍मविश्‍वास से कहते हैं, हमारे पास एक पूरी वैल्यू चेन है। केवल उंगलियां चटकाने से सब कुछ अपने आप नहीं होता, इसके लिए पूरा ढांचा चाहिए।

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