जिले की खाद्यान्न वितरण व्यवस्था पस्त

जिला खाद्य अधिकारी विके्रताओं पर नकेल कसने में नाकाम, खाद्य निरीक्षकों का मिला है खुला संरक्षण
जिला में सार्वजनिक खाद्यान्न वितरण प्रणाली पूरी तरह से पस्त हो चुकी है। उचित मूल्य दुकान के सेल्समैनों की मनमानी भारी पड़ रही है। आरोप है कि जिला खाद्य अधिकारी विके्रताओं पर नकेल कसने में जहां नाकाम है। वही खाद्य निरीक्षक का कई विके्र ताओं का खुला संरक्षण मिला है। जिसके चलते उपभोक्ताओं को खाद्यान्न के लिए दुकानों का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि मंगलवार को कलेक्टर की जनसुनवाई में खाद्यान्न वितरण व्यवस्था प्रणाली में मची भर्रेशाही को लेकर आये दिन शिकायतें मिलती रहती हैं। कलेक्टर चन्द्रशेखर शुक्ला के सख्त निर्देश के बावजूद खाद्य अमला शासकीय उचित मूल्य दुकानों के विके्रताओं पर नकेल नही कस पा रहा है। आरोप यहां तक लग रहे हैं कि जिला खाद्य अधिकारी निरीक्षको का कई विके्रताओं को खुला संरक्षण मिला है। इस तरह के आरोप एक नही कई बार लग चुका है। इसके बावजूद खाद्य अमला अपनी हरकतों से बाज नही आ रहा है। चर्चाएं यहां तक हैं कि खाद्य निरीक्षक एवं कई विके्रताओं से सांठगांठ है और उनका महीना भी फिक्स है। इसीलिए अपने चहेते दुकान विके्रताओं पर कृपादृष्टि बनाये हुये हैं। ताजा मामला देवसर विकास खण्ड के सेवा सहकारी संस्था महुआ गांव द्वारा संचालित शासकीय उचित मूल्य दुकान छमरछ का है। जहां फरवरी महीने में करीब 4 दर्जन परिवारजन हितग्राहियों को खाद्यान्न नही दिया गया है।
जबकि विके्रता के द्वारा अंगूठा मशीन में लगा लिया गया है। आरोप यहां तक है कि विके्रता महीने के अंतिम सप्ताह में किसी तरह 5-6 दिन दुकान खुलता है और दुकान खोलने की कोई समय सीमा भी तय नही है। जब दुकानदार को मन आया तक दुकान खोलता है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि विके्रता द्वारा हितग्राहियों का अंगूठा लगवा लिया जाता है, लेकिन राशन नही दिया जाता है। इस तरह की समस्याएं एक ही दुकानों की नही है। जिले के ऐसे कई विके्रता हैं, जिनके द्वारा खाद्यान्न वितरण में अनियमितता कर साहूकारों के यहां रातो-रात बेच दें रहे हैं। जिले में फिलहाल सार्वजनिक वितरण प्रणाली व्यवस्था चौपट होने और जिला खाद्य अमला की लापरवाही का खामियाजा हितग्राहियों को भुगतना पड़ रहा है। वही प्रदेश सरकार की बदनामी कराने में पीछे नही दिख रहा है। विपक्षीय दलों को प्रदेश सरकार के खाद्य अमला के नुमाईन्दे ही बैठे-बैठाए घरने का मुद्दा दे रहे हैं। छमरछ गांव के ग्रामीणों ने इस ओर कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट कराया है।
हंगामा के बाद विके्रता के कारनामों के खुली पोल
शासकीय उचित मूल्य दुकान छमरछ गांव के करीब 5 सैकड़ा हितग्राहियों को मार्च महीने का खाद्यान्न नही वितरण किया गया। जबकि विके्रता ने मशीन में अंगूठा लगवा लिया था। इसकी शिकायत पर कल 28 मार्च की शाम करीब 4 बजे के वक्त एक जांच टीम पहुंची। जिसमें पंचायत के सरपंच, पंच एवं सहायक आपूर्ति अधिकारी शामिल थे। इस दौरान समिति प्रबंधक एवं विके्रता भी मौजूद थे। खाद्यान्न के भौतिक सत्यापन किया गया। जिसमें 54 क्विंटल गेहूॅ, 78 क्विंटल चावल, 17 क्विंटल नमक एवं शक्कर गोदाम में मिली। परंतु 505 हितग्राहियों को मार्च महीने का खाद्यान्न नही वितरण किया था। वही एईपीडीएस पोर्टल में चेक करने में गेहूॅ 384, चावल 330, नमक 1044 सहित अन्य खाद्य सामग्रियां पाई गई। जहां विधिवत पंचनामा तैयार किया गया। इस दौरान निवास चौकी प्रभारी विनय शुक्ला एवं राजस्व अधिकारी भी मौजूद रहे।
दुकानदारों के यहां पहुंच रहा रातों-रात खाद्यान्न
जिले में खाद्यान्न वितरण के नाम पर कई विके्रताओं के द्वारा जमकर भर्रेशाही की जा रही है। आलम यह है कि कई विके्रता साहूकारों से सांठगांठ बनाकर रातों-रात खाद्यान्न उनके दुकानों में पहुंचा दे रहे हंै। अब ज्यादातर ग्रामीणों के शिकायत को खाद्य अमला भी ध्यान नही देता। जब सत्ताधारी दल के नेता व विधायकगण कलेक्टर के यहां शिकायत करते हैं तब खाद्य अमले की नींद टूटती है। जनसुनवाई में इस तरह की शिकायतें आना आम बात हो चुकी हैं।