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कवरेज करने गए पत्रकारों को सिविल सर्जन ने केबिन में बनाया बंधक…

कवरेज करने गए पत्रकारों को सिविल सर्जन ने केबिन में बनाया बंधक…

पत्रकारों को धमकाते रहे सिविल सर्जन..

अस्पताल में दो घंटे हंगामा…

 

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जिले में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जहां एक ओर जमीनी विवाद की जांच के दौरान एएसआई पर बुजुर्ग ग्रामीण की बेरहमी से पिटाई के आरोप लगे हैं, वहीं दूसरी ओर उसी मामले की कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों को जिला अस्पताल के सिविल सर्जन द्वारा बंधक बनाए जाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।

क्या था मामला ?

ग्राम बमुरी निवासी सुखलाल यादव को बीते रविवार को एएसआई राजमणि रजक ने जांच के बहाने कथित रूप से प्लास्टिक के डंडे से करीब 20 बार मारा, जिससे उनकी रीढ़ और पसलियों में गंभीर चोटें आई हैं। परिजनों के अनुसार, एएसआई ने थाने के बगल वाले कमरे में सुखलाल को बुलाकर उनकी पिटाई की और वो किसी तरह सड़क तक पहुंचे। स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें जिला अस्पताल लाया गया।

 

पत्रकारों के साथ क्या हुआ ?

 

घटना का वीडियो कवरेज करने मंगलवार को जिले के कई पत्रकार जब अस्पताल पहुंचे, तो मामला अचानक दूसरी दिशा में मुड़ गया।
घायल सुखलाल का वीडियो बनाने के दौरान जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एस.बी. खरे भड़क उठे और कवरेज कर रहे पत्रकारों को अपने केबिन में अंदर बुलाकर करीब आधे घंटे तक बंद कर दिया।

क्या धमकी दी सिविल सर्जन ने ?

सूत्रों के मुताबिक सिविल सर्जन ने पत्रकारों से कहा कि- “जिला अस्पताल में वही आएगा जिसे मैं अनुमति दूंगा। बिना मेरी परमिशन के बिना कोई भी अंदर आएगा तो उसे जेल जाना पड़ेगा।”

फिर पत्रकारों ने खोला मोर्चा

इस बयान के बाद अस्पताल परिसर में तनाव फैल गया। बंधक बनाए गए पत्रकारों की जानकारी मिलते ही जिलेभर से लगभग 30–35 पत्रकार मौके पर पहुंच गए और भारी विरोध दर्ज कराया। करीब आधे घंटे की जद्दोजहद के बाद पत्रकारों को केबिन से बाहर निकाला गया।

अफरा तफरी का रहा माहौल

विवाद बढ़ने पर कोतवाली पुलिस, अन्य थानों के अधिकारी और राजनीतिक दलों के पदाधिकारी अस्पताल पहुंचे। लगभग दो घंटे तक अस्पताल में अफरा-तफरी और जाम जैसी स्थिति बनी रही, जिसके बाद पुलिस ने स्थिति नियंत्रित की।

उधर, पीड़ित सुखलाल यादव की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने एएसआई राजमणि रजक के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।

 

पत्रकारों ने खड़े किए सवाल ?

सिविल सर्जन की इस कार्रवाई ने जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जिले के पत्रकारों ने यह सवाल खड़े किए हैं कि धारा 144 जिला अस्पताल में कैसे लगाई जाती है ? क्या पत्रकार जिला अस्पताल में कवरेज नहीं कर सकते ? क्या पत्रकार परमिशन लेकर ही जिला अस्पताल की खबर कर सकते हैं ? आखिर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन के ऊपर लगातार कई भ्रष्टाचार के मामले, आउटसोर्स भर्ती में घोटाला, मरीज के परिजनों से अभद्र भाषा में बात करना। अगर पत्रकार इन खबरों को दिखाने की कोशिश करते हैं तो उन पर एफआईआर दर्ज करने की धमकी। आखिर ऐसे सिविल सर्जन को क्यों नहीं हटाया जा रहा है इसका जवाब कौन देगा ? जिला अस्पताल की सीसीटीवी कैमरे की जांच की जाए और डॉक्टर एसबी खरे के ऊपर कार्यवाही की जाए।

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  • सुनील सोनी , " पोल खोल पोस्ट " डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक और संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में कई वर्षों का अनुभव है और वे निष्पक्ष एवं जनसेवा भाव से समाचार प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं।

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सुनील सोनी , " पोल खोल पोस्ट " डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक और संस्थापक सदस्य हैं। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में कई वर्षों का अनुभव है और वे निष्पक्ष एवं जनसेवा भाव से समाचार प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं।

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