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सुरक्षित नहीं है स्कूल वाहनों में बच्चे,वाहनों में भूसे की तरह भरे जाते हैं नौनिहाल।

सुरक्षित नहीं है स्कूल वाहनों में बच्चे,वाहनों में भूसे की तरह भरे जाते हैं नौनिहाल।

संजय सिंह मझौली सीधी
विकास खंड शिक्षा केंद्र मझौली अंतर्गत विभिन्न ग्रामों में कुकुरमुत्ता की तरह संचालित निजी विद्यालयों में जहां शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं वहीं विद्यालय में संबद्ध वाहनों में भी भूसे की तरह भरकर बच्चों को लाया एवं ले जाया जाता है इतना ही नहीं विद्यालयों में संबद्ध वाहनों में अधिकांश के जहां फिटनेस एवं बीमा नहीं है ऐसी हालत में होने वाली दुर्घटना का जिम्मेवार कौन होगा इस ओर भी जिम्मेवारों के द्वारा अनदेखी की जा रही है। बताते चलें कि जनपद शिक्षा केंद्र अंतर्गत 2 सैकड़ा से अधिक निजी विद्यालय संचालित हैं जहां भवन, खेल मैदान व शौचालय तक नहीं हैं कई विद्यालय मुख्य मार्ग से लगे हुए संचालित है जहां बाउंड्री तक नहीं है जिस कारण 24 घंटे अप्रिय वारदात का खतरा बना रहता है बावजूद जिम्मेवार आंख मूंदकर जिला मुख्यालय से उक्त विद्यालयों के संचालन हेतु डायस कोड इत्यादि जारी कर विद्यालय संचालन की अनुमति दे देते हैं।


एक दो विद्यालयों को छोड दिया जाय तो कई विद्यालयों में लगे वाहन कबाड़ हो चुके हैं। सभी वाहन बच्चों को भेड बकरियों की तरह भरकर ला रहे हैं। इतना सब होने के बाद भी न तो इस ओर स्कूल संचालकों की नजर है और न ही परिवहन विभाग की जबकि इन्ही दोनों की पूर्ण जावाबदारी होती है।

ऊपरी मंजिल में नियम विरुद्ध संचालित हैं कई विद्यालय
प्राथमिक स्तर के विद्यालय जहां ऊपरी मंजिल में संचालित नहीं कराए जाने के प्रावधान होने के बावजूद भी नियम को ठेंगा दिखाते हुए संचालकों द्वारा धड़ल्ले से ऊपरी मंजिल में विद्यालय संचालित किए हुए हैं वहीं विभाग के जिम्मेवार मूकदर्शक बने हुए हैं

जारी हुई है गाइडलाइन
जानकारी के अनुसार बाल आयोग ने मध्य प्रदेश में स्कूली वाहनो के लिए गाइडलाइन जारी कर दिया है। की बस,आटो तथा अन्य वाहन जो बच्चो को स्कूल पहुंचा रहे हैं उन्हे इस नियम का पालन करना होगा।जारी किये गये नियम के मुताबिक सभी वाहनो को सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन करना होगा।

जिन वाहनों में एलपीजी गैस किट लगी होगी वह प्रतिबंधित किये गये हैं।वाहनों में निर्धारित संख्या से ज्यादा बच्चों को बैठाने की मनाहीं रहेगी।स्कूली वाहन में कोई भी म्यूजिक सिस्टम नहीं लगा होना चाहिए।
वाहन चालक तथा उसके सहायक का पुलिस वेरिफिकेशन होना आनिवार्य है।
स्कूल द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जो वाहन चालक है वह किसी भी तरह का नशा नहीं करता है।
वाहन की क्षमता सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार स्कूली वाहन के रूप में चलने वाले पेट्रोल ऑटो में 5, डीजल ऑटो में 8, वैन में 10 से 12, मिनी बस में 28 से 32 और बड़ी बस में ड्राइवर सहित 45 विद्यार्थियों को ही सवार कर लाया ले जाया जा सकता है।
बसों में स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए।स्कूली बस में ड्राइवर व कंडक्टर के साथ उनका नाम व मोबाइल नंबर लिखा होना चाहिए
वाहन पर पीला रंग हो जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम होना चाहिए।वाहन चालक को न्यूनतम पांच वर्ष का वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए।

 

सीट के नीचे बस्ते रखने की व्यवस्था ,बस में अग्निशमन यंत्र रखा हो। तथा बस में कंडक्टर का होना भी अनिवार्य है।
बस के दरवाजे तालेयुक्त होने चाहिए तथा बस में प्राथमिक उपचार के लिए फस्ट ऐड बॉक्स अवश्य लगा होना चाहिए।
बसों में जीपीएस डिवाइस लगी होनी चाहिए ताकि ड्राइवर को कोहरे व धुंध में भी रास्ते का पता चल सके।बसों की खिड़कियों में आड़ी पट्टियां (ग्रिल) लगी हो।
बस के अंदर सीसीटीवी भी लगा होना चाहिए ताकि बस के अंदर होने वाले किसी तरह की वारदात के बारे में पता लगाया जा सके।
स्कूल लेकर आने वाले प्राइवेट वाहनों की जानकारी और निगरानी विद्यालय प्रबंधन को रखना होगा।

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