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बार-बार पहुंच रहे अयोध्या योगी गुरुओं के सपने साकार करने के लिए

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वर्ष 2017 के बाद 62 बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं। कुछ लोग इसमें सियासी नजरिया तलाशते हैं, पर योगी को नजदीक से जानने वालों का कहना है कि वह इसे सियासी नजरिये से नहीं देखते। वह इसे गोरक्षपीठ की चार पीढ़ियों के सपनों को साकार करने का अवसर मानते हैं। इसीलिए यहां के पैराणिक, धार्मिक व सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हुए विशिष्टताओं से जोड़कर वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करने के लिए जुटे रहते हैं।

 

अयोध्या में तैनात एक प्रशासनिक अफसर बताते हैं कि सीएम योगी जब भी आते हैं, दर्शन-पूजन, संतों-महात्माओं से मुलाकात व विचार-विमर्श के बाद यहां चल रहीं 30 हजार करोड़ की योजनाओं-परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हैं। वरिष्ठ पत्रकार चंद्रगोपाल पांडेय कहते हैं, योगी की सक्रियता को कुछ लोगों ने विस चुनाव से जोड़ा। पर, मेरा मानना है कि उनकी अति सक्रियता एक संन्यासी व योगी होने की वजह से है।

महंत गोपालनाथ : महायोगी गोरखनाथ विवि के कुलसचिव प्रदीप राव बताते हैं, 1855-85 के दौरान गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर महंत गोपालनाथ महराज थे। उन्होंने क्रांतिकारी अमीर अली व आंदोलन में सक्रिय रहे बाबा रामचरणदास के साथ विवाद हल करने की पहल की। अमीर का मानना था कि जन्मभूमि हिंदुओं को सौंप देनी चाहिए। अंग्रेजों ने अमीर व रामचरणदास को बागी घोषित कर फांसी पर लटका दिया। बाद में बाबा गंभीरनाथ व ब्रह्मनाथ ने भी इसके लिए कोशिश की।

महंत दिग्विजयनाथ: सीएम योगी के दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने राममंदिर की बात तब की, जब धर्मनिरपेक्षता का नारा उफान पर था। हिंदुत्व की बात करना चुनौतियों को न्योता देना था। वह सड़क से संसद तक आंदोलन की निर्भीक आवाज बने। उन्होंने 1934 से 1949 तक चले आंदोलन को मजबूत बुनियाद और आधार दिया।

महंत अवेद्यनाथ : 1984 में महंत अवेद्यनाथ श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के अध्यक्ष चुने गए। उनके नेतृत्व में ऐसे आंदोलन का उदय हुआ, जिसने सामाजिक-राजनीतिक क्रांति का सूत्रपात किया। अब मंदिर निर्माण का काम अवेद्यनाथ के शिष्य योगी की देखरेख में तेजी से चल रहा है।

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