दुनिया का सबसे गर्म दिन रहा रविवार का दिन
वॉशिंगटन। गत रविवार को पृथ्वी का सबसे गर्म दिन दर्ज हुआ है, जो पिछले कुछ वर्षों में टूटे कई तापमान रिकॉर्ड में एक और इजाफा है। यह जानकारी यूरोपीय जलवायु सेवा कॉपरनिकस ने दी। रविवार 21 जुलाई को पिछले 100,000 वर्षों में सबसे गर्म दिन माना जा सकता है। कॉपरनिकस के अनुसार, साल 2024 बेहद गर्म रहा है, लेकिन रविवार को नई ऊंचाई पर पहुंचाने वाला मुख्य कारण सामान्य से अधिक गर्म अंटार्कटिक सर्दी थी। पिछले साल भी जब जुलाई की शुरुआत में रिकॉर्ड सेट हुआ था, तब भी दक्षिणी महाद्वीप में यही स्थिति थी। रविवार को केवल अंटार्कटिका ही नहीं गर्म था कैलिफ़ोर्निया के आंतरिक क्षेत्रों में भी तापमान तीन अंकों में पहुँच गया था, जिससे अमेरिका के पश्चिमी हिस्से में दो दर्जन से अधिक आग की घटनाओं को और जटिल बना दिया।
वर्तमान में यूरोप भी अपनी खुद की घातक हीट वेव से जूझ रहा था। 2024 के पहले छह महीनों ने पिछले रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ते हुए, तापमान में और भी अधिक वृद्धि दर्ज की है। कोपरनिकस के अनुसार, 2024 के पहले छह माह में दर्ज हुआ तापमान पिछले वर्षों के रिकॉर्ड से भी अधिक गर्म था, जो एक नया चौंकाने वाला माप है। प्रारंभिक डेटा के अनुसार, रविवार को वैश्विक औसत तापमान 17.09 डिग्री सेल्सियस (62.76 डिग्री फारेनहाइट) था, जो पिछले साल 6 जुलाई, 2023 को स्थापित रिकॉर्ड को 0.01 डिग्री सेल्सियस (0.02 डिग्री फारेनहाइट) तोड़ता है। बता दें कि कॉपरनिकस एक प्रमुख यूरोपीय जलवायु सेवा है, जो जलवायु और मौसम संबंधी डेटा की निगरानी करती है। कॉपरनिकस का डेटा विश्वसनीय और वैज्ञानिक रूप से सटीक माना जाता है।
अनुमान है कि 2024 के 2023 को सबसे गर्म वर्ष के रूप में पार करने की 92 प्रतिशत संभावना है। पिछले 13 महीनों के तापमान में भारी वृद्धि ने हमें अपरिचित क्षेत्र में ला दिया है। सामान्य से अधिक गर्म अंटार्कटिक सर्दी ने रविवार के तापमान को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।अत्यधिक गर्मी के कारण ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्र के स्तर में वृद्धि और जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक अत्यधिक गर्मी से हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके अलावा फसलों पर नकारात्मक प्रभाव और जल संसाधनों की कमी हो सकती है।