अपनी रक्षा साझेदारी बढ़ाई भारत ने रुस से नहीं बल्कि अमेरिका और इजराइल के साथ

पोल खोल पोस्ट / रूस पर निर्भरता कम करने और अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भारत ने अमेरिका और इजराइल के साथ अपनी साझेदारी बढ़ाई है।
इजराइली मीडिया के अनुसार, यह सिर्फ हथियारों की खरीद-फ़रोख़्त नहीं है, बल्कि तकनीक हस्तांतरण, संयुक्त उत्पादन और अनुसंधान एवं विकास का एक रणनीतिक बदलाव है। इजराइली अखबार ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत अब केवल हथियार ख़रीदने वाला नहीं, बल्कि एक रक्षा भागीदार बन गया है।
भारत अब अमेरिका के साथ मिलकर जैवलिन एंटी-टैंक मिसाइल और एमक्यू-9बी ड्रोन जैसे हथियार बना रहा है। पहले भारत को बिना तकनीकी नियंत्रण के बने-बनाए हथियार मिलते थे, लेकिन अब भारत अपने रक्षा उद्योग में विदेशी तकनीकों को शामिल कर रहा है।
इतना ही नहीं भारत इजराइल के साथ मिलकर साइबर सुरक्षा और ड्रोन तकनीक जैसे क्षेत्रों में संयुक्त कार्यक्रम चला रहा है। यह रणनीति आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य भारत को रक्षा उत्पादन का एक वैश्विक केंद्र बनाना है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का यह रणनीतिक विविधीकरण अमेरिका और इजराइल के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि भारत एक मजबूत, स्वायत्त और भरोसेमंद साझेदार है। यह निर्भरता से विविधता की ओर भारत की यात्रा को दर्शाता है, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा में भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह बदलाव रूस पर भारत की पारंपरिक निर्भरता को कम कर रहा है और भारत के अंतरराष्ट्रीय दर्जे को फिर से परिभाषित कर रहा है।
दिल्ली के डिफेंस इको सिस्टम का हिस्सा बना हुआ है, फिर भी भारत उसपर अपनी निर्भरता काफी कम कर चुका है। अमेरिका और इजरायल के साथ साझेदारी के माध्यम से, भारत एक ऐसा सुरक्षा ढांचा तैयार कर रहा है जो काफी मजबूत, काफी नया और काफी लचीला है।
यह सिर्फ मास्को पर निर्भरता कम करने के बारे में नहीं है, बल्कि यह भारत को डिफेंस प्रोडक्शन के एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के बारे में है, एक ऐसा राष्ट्र जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सुरक्षा परिवेश को आकार देने में इनोवेशन, प्रोडक्शन और लीडरशिप दे सके।













