संस्कृति के लिए अच्छा हंसी-मजाक कार्यालय
नई दिल्ली । कार्यालयों में हंसी-मजाक होना चाहिए या नहीं इसको लेकर लोगों का कहना है कि मजाक कार्यालय संस्कृति के लिए अच्छा है।ज्यादातर भारतीय प्रोफेशनल्स का मानना है कि वर्कप्लेस पर अधिक संवेदनशीलता से उनकी प्रोडक्टिविटी बढ़ती है। प्रोफेशनल नेटवर्किंग प्लेटफार्म लिंक्डइन की एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकला है। यह रिपोर्ट 25 मई से 31 मई, 2022 के बीच भारत में 2,188 प्रोफेशनल के बीच किए गए सर्वे पर आधारित है।
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लिंक्डइन के सर्वे के मुताबिक, महामारी के बाद भारत में 4 में 3 यानी 76 फीसदी से अधिक प्रोफेशनल अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में अधिक सहज महसूस करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 10 में से 9 (87 फीसदी) प्रोफेशनल ने माना कि काम पर अधिक संवेदनशीलता दिखाना उन्हें अधिक प्रोडक्टिव बनाता है। इसका मतलब यह हुआ कि उनकी कार्यक्षमता बढ़ती है।
वर्कप्लेस यानी ऑफिस ऐसी जगह होती, जहां प्रोफेशनल अपनी जिंदगी के काफी अहम समय गुजारते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में प्रोफेशनल के अपने बॉस के सामने रोने की बात भी सामने आई है। सर्वेक्षण में करीब 76 फीसदी प्रोफेशनल ने इस पर सहमति जताई कि मजाक कार्यालय संस्कृति के लिए अच्छा है। हालांकि, आधे से अधिक (56 फीसदी) प्रोफेशनल इसे गैर-पेशेवर यानी अनप्रोफेशनल मानते हैं।
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रिपोर्ट के मुताबिक, करीब दो-तिहाई यानी 63 फीसदी प्रोफेशनल ने अपने बॉस के सामने रोने की बात स्वीकार की है। यही नहीं, एक-तिहाई (32 फीसदी) प्रोफेशनल ने एक से अधिक अवसरों पर बॉस के सामने आंसू बहाए हैं। हालांकि, 10 में से 7 (70 फीसदी) प्रोफेशनल का मानना था कि काम के दौरान भावनाओं को शेयर करना अच्छा नहीं होता है।
इस रिपोर्ट में ड्यूटी के दौरान महिला प्रोफेशनल की भावनाओं का अलग से उल्लेख किया गया है। 5 में से करीब 4 (79 फीसदी) महिला प्रोफेशनल इस बात पर सहमत हैं कि जब वे अपनी भावनाओं को शेयर करतीं हैं, तो उन्हें अक्सर पुरुषों की तुलना में अधिक आंका जाता है।