एनजीओ की छुट्टी वन स्टाफ सेन्टर सखी के
पोल खोल पोस्ट सिंगरौली
घेरलू हिंसा पीड़ित परेशान, काउन्सलिंग के लिए नही है कोई स्टाफ, डीपीओ ने लिया निर्णय वन स्टाफ सेन्टर सखी में कार्यरत एनजीओ जयप्रकाश नारायण का अनुबन्ध एक सप्ताह के पूर्व से समाप्त कर दिया गया है। जहां दर्जनों घरेलू हिंसाा से पीड़ित महिलाएं परेशान हैं। आईसीडीएस डीपीओ ने एनजीओ का अनुबन्ध समाप्त करने का पत्र जारी कर दिया ।
दरअसल भारत सरकार द्वारा सहायित योजना के तहत महिला एवं बाल विकास विभाग के देख-रेख में वन स्टाफ सेन्टर जिला मुख्यालय बैढ़न में संचालित किया गया है। जहां घरेलू हिंसा के पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एकीकृत रूप से सहायता एवं सहयोग प्रदान करना है। पीड़ित महिला एवं बालिका को तत्काल आपातकालीन एवं गैरआपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध कराना जैसे चिकित्सा, विधिक, मनोवैज्ञानिक परामर्श सहित अन्य शामिल है।
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जिला मुख्यालय बैढ़न में जयप्रकाश नारायण स्वयं सेवी संस्था को यह जिम्मा सौंपा गया था। जहां पिछले सप्ताह 3 अगस्त को तीन साल का अनुबन्ध पूर्ण होने पर डीपीओ ने उक्त एनजीओ का अनुबन्ध समाप्त कर दिया। किन्तु डीपीओ राजेश राम गुप्ता महिला एवं बाल विकास विभाग ने वैकल्पिक कोई व्यवस्था नही किया। लिहाजा दर्जन भर घरेलू हिंसा पीड़ित महिला एवं बालिकाएं परेशान है। इन्हे विधिक जानकारी एवं काउन्सलिंग नही हो पा रही है।
सूत्र बताते है कि वन स्टाफ सेन्टर के प्रशासक को यह सब अकेले भार उठाना पड़ रहा है। आउट सोर्स के केशवर्कर, काउन्सलर, विधिक सलाहकार इन दिनों नही है। जिसके चलते यह दिक्कतें खड़ी हो रही है। जबकि यह संवेदनशील मामला है। इसके बावजूद डीपीओ ने वरिष्ठ अधिकारियों से बिना सलाह लिये एनजीओ का अनुबन्ध समाप्त कर दिया है।
जबकि नियमानुसार जब तक कोई व्यवस्था नही हो जाती तब तक इस संवेदनशील कार्य की जिम्मेदारी आगामी दिनों तक उसी एनजीओ को सौंपी जा सकती है। बशर्ते एनजीओ पर भ्रष्टाचार आरोप न हो। इधर आरोप है कि डीपीओ सोची समझी रणनीति के तहत ऐसा कदम उठाया है। यहां बतातें चले की वन स्टाफ सेन्टर में पिछले आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो प्रत्येक माह 70 से 80 घरेलू हिंसा महिलाएं एवं बालिकाएं आती थी।
अब इनकी काउन्सलिंग कैसे होगी। विधिक जानकारी कौन देगा। अभी तो एनजीओ का चयन के लिए विज्ञापन दोबारा जारी नही हुआ। ऐसे हालात में डीपीओ की मनमानी कार्यप्रणाली से किरकिरी भी जमकर हो रही है। कहा जा रहा है कि डीपीओ पर एक नही अनेक गंभीर आरोप है। फिर भी भोपाल में बैठे आंका ऑख-कान पूरी तरह से बन्द कर रखा है। डीपीओ ने विज्ञापन में ही कर दिया था छोड़छाड़
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जुलाई महीने में डीपीओ ने वन स्टाफ सेन्टर एनजीओ के चयन के लिए विज्ञापन जारी किया । लेकिन आरोप है कि डीपीओ ने कुछ बिन्दुओं को अपने स्वेच्छानुसार उल्लेख कर दिया। जिसकी शिकायत कलेक्टर के यहां पहुंची तो डीपीओ ने अचानक यूूटर्न लेते हुये विज्ञापन को ही निरस्त कर दिया। आरोप है कि डीपीओ ने सोची समझी रणनीति के तहत विज्ञापन जारी करने में ही लेटलतीफी किया।
जिसके कारण वन स्टाफ सेन्टर में शासन के मापदण्ड एनजीओ के रखने की प्रक्रिया आरंभ नही हो पाई। आरोप है कि इतनी बड़ी लापरवाही एवं शासन के दिशा-निर्देश से हटकर अपने मन मुताबिक विज्ञापन में बिन्दु शामिल करने के बावजूद डीपीओ पर अब तक कोई कार्रवाई न किये जाने से उक्त विभाग के स्टाफ में भी तरह-तरह की चर्चाएं चलने लगी है।
इनका कहना:-
काउन्सलिंग के लिए आउटसोर्स रखने के शासन का निर्देश है। विज्ञापन जारी करने की कार्रवाई प्रगति पर है। कुछ लोग केवल नियम को तोड़कर फायदा उठाना चाहते हैं और डब्ल्ूयसीडी को 15 साल से लूट रहे हैं।
राजेश राम गुप्ता
जिला कार्यक्रम अधिकारी
महिला एवं बाल विकास विभाग सिंगरौली