तुलसी जयंती मनाई गई सरस्वती विद्या मंदिर पिपलानी में
भोपाल। चिन्तन मण्डल कल्पनानगर एवं किशोर शिक्षा समिति के संयुक्त तत्वाधान में सरस्वती विद्या मंदिर उ.मा.विद्यालय पिपलानी के सभागार में तुलसी जयंती उल्लास पूर्वक मनाई गई। समारोह के मुख्य अतिथि आर जी द्विवेदी व कार्यक्रम अध्यक्ष जमनाशंकर ठाकुर के साथ सुरेशचन्द्र दुबे मंचासीन थे। कार्यक्रम का कुशल व व्यवस्थित संचालन श्रीमती सुषमा दुबे द्वारा अतिथि परिचय तथा स्वागत भाषण बसंत कुमार गर्ग द्वारा दिया गया।
अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन पश्चात ईश्वर वंदना के साथ कार्यक्रम शुरू होकर श्रीरामचरित मानस के दोहा-चौपाईयों के सरस वाचन के साथ- (1) बालकाण्ड-मंगलाचरण एवं गुरूवन्दना, श्रीरामजन्म, गौरी वन्दना (2) अयोध्याकाण्ड-श्रीराम-लक्ष्मण द्वारा वन गमन हेतु, कौशल्या जी से अनुमति लेना जाना, श्रीराम केवट संवाद (3) अरण्यकाण्ड-सीता हरण, श्रीराम विलाप, शबरी पर कृपा, नवधा भक्ति उपदेश,
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(4) किष्किन्धाकाण्ड-श्रीराम एवं हनुमान भेंट (5) सुन्दरकाण्ड-विभीशण रावण संवाद (6) लंकाकाण्ड-लक्ष्मण शक्ति-श्रीराम विलाप, श्रीराम का विजय रथ (7) उत्तरकाण्ड-रूदªाष्टक (8) विनय पत्रिका-श्रीराम स्तुति पर नृत्य, सामूहिक गायन, श्रीहनुमान चालीसा मंचन किया गया। अतिथियों द्वारा सरस्वती विद्या मंदिर पिपलानी, बागमुगालिया व अयोध्यानगर के सभी प्रतिभागी छात्र-छात्राओं (भैया-भगिनियों) को पुरस्कृत किया गया।
मुख्य अतिथि के अपने उद्बोधन में उपरोक्त प्रस्तुतियों से भाव विभोर होकर श्रीरामचरितमानस के सभी प्रसंगों से सार व तथ्य ग्रहण करने की प्रेरणा दी और कहा कि सफलता में अहं तथा विफलता में निराश नहीं होना चाहिए, रामचरित मानस अमंगल दूर मंगल करने वाला है। अतः इसे रोज पढ़ना चाहिए व श्रीराम जैसी उदारता ग्रहण करना चाहिए।
श्रीरामचरित मानस जीवन दर्शन है, हमारे जीवन के सारे प्रश्नों को सुलझाता है। सभी प्रतिभागी भैया-भगिनियों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि जीवन में अच्छाईयों को ग्रहण करे, बुराइयों को तथा आलस्य को छोड़े। रामचरितमानस सारे ग्रंथों (वेद, पुराण, उपनिशद)आदि का सार है। इसके द्वारा तुलसीदास जी ने सनातन संस्कृति को बचाने का कार्य किया है।
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श्रीरामचरित मानस की एक-एक चौपाई मंत्र है, इसके भावों को अपने चरित्र में उतारकर अपना भविष्य उज्जवल बना सकते है। कार्यक्रम अध्यक्ष ने मुक्तकंठ से कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा आज जो कुछ सुना देखा-अद्भुद-अद्भुद। श्रीराम का नाम ही मनुष्य को धन्य कर देता है। जिन विद्यार्थियों ने तुलसीकृत श्रीरामचरित मानस के माध्यम से मौखिक गायन-नाट्य प्रस्तुति दी, आत्मविभोर कर दिया। प्रभु श्रीराम उन सभी के जीवन में उतरेगे।
कार्यक्रम का क्रमवार नियोजन इस प्रकार किया गया कि श्रीरामचरित मानस का पुण्य चित्रण हुआ और कहा गया कि आज की प्रस्तुति आषा से बढ़कर थी। ऐसे आयोजन से ऐसा लगता है कि स्वयं तुलसीदास जी की आत्मा यहां पधारकर हमें आषिर्वाद दे रही है। अन्त में विद्यालय के प्राचार्य मुकेश कुमार शुक्ला द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया। व मिठाई फल का वितरण किया गया।