आचार्य विजय कुलबोधि सूरीश्वर – राष्ट्र बचेगा तभी धर्म व संस्कृति बचेगी :
इन्दौर। यह हमारा दुर्भाग्य रहा कि हमें हिंदुस्तान के वास्तविक इतिहास का परिचय ना कराते हुए अनभिज्ञ रखा गया। नई पीढ़ी को हमारी आजादी के लिए लड़ने और शहीद हुए क्रांतिकारियों के इतिहास का अध्ययन करना चाहिए और सीखना चाहिए कि देशभक्ति क्या होती है और किस तरह देश की सेवा की जाती है। आजादी के 78 वर्षो बाद भी हम आज भी अंग्रेजों के दबाव में हैं।
इससे हमें मुक्त होने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे, तभी सही मायने में आजाद कहलाएंगे। राष्ट्र की रक्षा सर्वोपरी है राष्ट्र बचेगा तो धर्म व संस्कृति बची रहेगी। उक्त विचार कंचनबाग बीसीएम प्राईड स्थित भुवनभानुसूरि प्रवचन मंडपम में स्वतंत्रता दिवस के पर्व पर आचार्य विजय कुलबोधि सूरीश्वर मसा ने श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आचार्यश्री ने स्वतंत्रता आंदोलन में जैन समाज के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। इतिहास बताता है फांसी पर झूलने वालों में अग्रणी जैन ही थे।
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आचार्यश्री ने कहा कि संसार में कोई सुख लम्बे समय तक नहीं टिकता और अगर टिक भी गया तो उस सुख का आनंद खत्म हो जाएगा। नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट ने बताया कि कंचनबाग बीसीएम प्राईड स्थित भुवनभानुसूरिजी मंडपम में गुरूवार को राष्ट्रीय गान भी हुआ। श्रीसंघ पदाधिकारियों ने आचार्यश्री के ससंघ की निश्रा में ध्वजारोहण भी किया एवं देश भक्ति के गीतों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति भी हुई।
भुवनभानुसूरि मंडपम में शुक्रवार को आचार्य विजय कुलबोधि सूरीश्वर मसा सुबह 9.15 से 10.15 तक प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। :: मैं कायम हूं मेरे आसपास कुछ भी कायम नहीं :: आचार्य विजय कुलबोधि सूरीश्वर ने कहा कि संसार में जितने भी जीव है सभी की अवस्थाएं बदलती रहती हैं।
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हमारा जीवन भी बचपन के बाद जवानी, फिर वृद्धावस्था में बदल जाता है। कुछ भी एक जैसा नहीं रहता। इस जगत का कोई भी पदार्थ शाश्वत नहीं है। केवल आत्मा ही है जो सदैव रहती है। इस जगत का अगर सर्वश्रेष्ठ सूत्र है तो वह यह कि मैं (आत्मा) कायम हूँ, मेरे आसपास कुछ भी कायम नहीं है।