सिंगरौली

ठेकेदार का प्रहार स्मार्ट सिटी के मॉडल रोड पर

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नगर निगम की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे लोग, मामला माजन मोड़, बिलौंजी बस्ती मार्ग का नगर निगम क्षेत्र में सीवरेज लाइन एवं अमृत जल योजना के संविदाकार ने करोड़ों की सड़कों को विगत 7 वर्षो के दौरान ऐसा तहस-नहस किया कि कई मोहल्लों के सड़कों में आज भी पैदल चलने के लायक नही छोड़ा है।

अब एक बार फिर बिलौंजी, जिला पंचायत माजन मोड़ मार्ग को सीवरेज पाइप लाइन से जोड़ने के नाम पर स्मार्ट सीटी माडल पीसीसी सड़क को तोड़ने का कार्य शुरू कर दिया है। यह मामला ननि के वार्ड क्रमांक 42 का है। ज्ञात हो कि सिंगरौली जिला बनने डेढ़ दशक पूरा कर चुका है। लेकिन शहर में ना तो सही बसावट हुई और ना ही टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के तहत शहर में निर्माण कार्य हो रहे हैं।

नगर निगम में अधिकारियों की मनमानी हो या विभागों में तालमेल का अभाव। खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा हैं। सरकारी धन की बर्बादी हो रही है वह अलग। गौरतलब है कि सीवरेज लाइन के लिए अब तक नगर निगम क्षेत्र में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके है।

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लेकिन कब तक काम पूरा हो जाएगा यह अधिकारी भी नहीं बता पा रहे। अब मुख्यालय के वार्ड क्रमांक 42 में माजन मोड़ बाइपास से ट्रामा सेंटर सह जिला अस्पताल को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण मुश्किल दो साल पहले कराया था। स्मार्ट सिटी के तहत लाखों की लागत से बनी यह मॉडल रोड उसी समय बनी थी जब सीवरेज पाइपलाइन का निर्माण कार्य शुरू हो गया था। लेकिन उसी वक्त नगर निगम के अफसरों ने बिना प्लानिंग के आधा अधूरा सीवरेज का निर्माण कार्य कराया।

लेकिन सीवर लाइन का पूरा काम बिना कराए लाखों रुपए से मॉडल रोड बना दी। वहीं अब नगर निगम टू लेन मॉडल रोड के एक लेन को खोदकर सीवर लाइन डालने का काम शुरू कर दिया है। सड़क खुदाई से आधी से ज्यादा सड़क घेर ली गई है। मिट्टी का ढेर सड़क पर लगा है।

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इससे लोगों ने आने-जाने में असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। वहीं ठेकेदार अधिकतर वार्डो में सीवर लाइन डालने के बाद मिट्टी डालकर छोड़ दिया जा रहा है। बारिश होने पर मिट्टी धंसने पर वाहनों का फ सना तय है। साथ ही दुर्घटना भी होने की आंशका बनी रहेगी। दूसरी तरफ सूखे मौसम में वाहनों के गुजरने से धूल का गुब्बारों से आमजन को दो-चार होना पड़ेगा।

सीवरेज चढ़ी भ्रष्टाचार की भेट

ड्डसाल 2017 में केके स्पंन कम्पनी ने 110.46 करोड़ लागत से सीवरेज निर्माण का कार्य शुरू किया था। निर्माण कार्य कछुआ की चाल से भी धीमी रहा। कंपनी ने बमुश्किल 38 प्रतिशत काम कर पूरे पैसे निकाल ले लिए। नगर निगम सूत्रों की माने तो तत्कालीन कमिश्नर आरपी सिंह और कार्यपालन यंत्री ठेकेदार के काम का न केवल अधिक ज्यादा मूल्यांकन कर भुगतान कराया, बल्कि सिक्योरिटी के जमा 5 करोड़ की एफडी भी गुपचुप तरीके से दे दी। नतीजा ठेकेदार काम छोड़कर भाग गया। पूर्व आयुक्त स्व. आरपी सिंह एफडी रिलीज के मामले मेंघिरे हुये थे।

सड़क मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति

कोई पहली मर्तबा नहीं है जब सीवरेज पाइपलाइन डालने के लिए आईसीसी सड़क को खोदा गया है। कई वार्डो में आईसीसी सड़क को ध्वस्त कर ठेकेदार ने सीवरेज पाइपलाइन डाला। लेकिन सीवरेज लाईन के लिए सड़कों की खुदाई के बाद सीमेंटीकरण मात्र खानापूर्ति तक सीमित है। यदि पूर्व की तरह करते भी हैं तो नाम मात्र के लिए सीमेंट से सड़क बनाते हैं । जिससे आने-जाने वाले वाहनों के दबाव से सड़के धंस जाती हंै। ऐसे में वहां न केवल अनियंत्रित हो जाते बल्कि कई बार हादसे भी हुए हैं।

इनका कहना:-

सीवर लाइन संविदाकार सड़क को खोद कर ना केवल पाइप लाइन डालेगा, बल्कि सड़क को पूर्व की तरह बनाने की भी जिम्मेदारी है।
दया किशन शर्मा
कमिश्नर, नपानि सिंगरौली

 

 

 

 

 

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