भ्रम और दहशत फैलाते दौड़ रहे सायरन और प्रेशर हॉर्न लगे वाहन…
ट्रैफिक पुलिस ने साधी चुप्पी, आरटीओ को मतलब ही नहीं, साइलेंट जोन से लेकर रिहायशी इलाकों तक में खौफ, लोग परेशान
भ्रम और दहशत फैलाते दौड़ रहे सायरन और प्रेशर हॉर्न लगे वाहन…
सीधी:- सड़कों पर बेखौफ होकर सायरन और प्रेशर हॉर्न लगे वाहन दौड़ रहे हैं। भीड़-भाड़ वाले इलाके में भ्रम और दहशत का माहौल बनाते हुए ये वाहन धड़ल्ले से निकलते हैं। न तो ट्रैफिक विभाग इन पर कार्रवाई कर रहा है और न ही आरटीओ। सब बेलगाम नजर आ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि सायरन का उपयोग एम्बुलेंस, पुलिस और प्रोटोकाल व्हीकल में ही हो सकता है। लेकिन शहर में तो चार पहिया वाहनों तक मे एम्बुलेंस और पुलिस के सायरन लगे हैं।
इससे लोग भ्रमित हो जाते हैं। लोगों का कहना है कि सायरन की आवाज सुनते ही लोग पीछे से आ रहे वाहन को रास्ता तो देते हैं, लेकिन बाद में एम्बुलेंस या प्रोटोकॉल वाहन की बजाय जब ये सायरन चार पहिया वाहनों में लगा हुआ पाते हैं, तो हैरान रह जाते हैं। वे ट्रैफिक पुलिस, आरटीओ व अन्य जिम्मेदार विभागों पर सवाल भी उठाते जाते हैं, लेकिन जिम्मेदारों का इससे कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा है। यही हालात प्रेशर हॉर्न के इस्तेमाल का भी है।इससे लोग त्रस्त है।
ये है नियम… तीन बार जुर्माना तो लाइसेंस रद्द:-
यदि कोई वाहन चालक प्रेशर हॉर्न, सायरन का गलत उपयोग वाहन में करता है तो चालान की कार्रवाई के रूप में 3 हजार रुपए लेने का प्रावधान है। यह पेनाल्टी यदि तीन बार लगाई जा चुकी है तो लीगल प्रोसेस के साथ ऐसे वाहन मालिक का लाइसेंस निरस्त करने का भी नियम है। नियम तोड़ने पर अफसोस शहर में आज तक कोई ठोस लगातार कार्रवाई तक नहीं की गई है।
यह पूरी व्यवस्था को ही चुनौती:- प्रबुद्ध नागरिकों का कहना है कि शासकीय कार्यालयों, चिकित्सालयों, न्यायालय व विद्यालयों के पास साइलेंस जोन होता है। जहाँ तेज ध्वनि वाले हॉर्न का प्रयोग नहीं किया जा सकता लेकिन नियम-कायदों को ताक पर रखकर वाहन चालक प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रेशर हॉर्न बजाकर पूरी व्यवस्था को ही चुनौती देते हैं।
सीधे हार्ट पर इफेक्ट:-
30-50 डेसिबल की ध्वनि से अधिक तेज बजने वाले हॉर्न सीधे-सीधे हमारे दिमाग व कान को प्रभावित करते हैं। सड़क पर पैदल चल रहे बुजुर्ग या उच्च रक्त चाप से ग्रसित व्यक्ति को तेज आवाज के कारण सीधे दिल पर असर पड़ता है।