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धार्मिक आस्था से जुड़े, गाय के गोबर से बनाए दीपक…

धार्मिक आस्था से जुड़े, गाय के गोबर से बनाए दीपक

स्वसहायता समूह की महिलाओं ने बनाए इको फ्रेंडली दीपक

 

गौ वंश के माध्यम से आर्थिक स्थिति संवारने का दिया संदेश

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दीपावली पर इको फ्रेंडली एवं धार्मिक आस्था से जुड़े गाय के गोबर से रंग बिरंगे एवं आकर्षक दीपक तैयार कर समाज में गौ-वंश का महत्व एवं शुद्धता का संदेश देते हुए जिले के मझौली विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम धनौर में संचालित गौशाला का संचालन करने वाली महिलाओं ने समाज में एक बड़ा संदेश देने का काम किया है।
बताया गया है कि तुलसी स्वसहायता समूह की महिलाओं के माध्यम से शुद्ध गाय के गोबर से आकर्षक दीप तैयार किए जा रहे हैं।
स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने कहा कि दीपावली के पावन एवं पवित्र त्योहार में घरों को गाय के गोबर से बने दीपकों से रोशन करने से ये त्यौहार और अधिक पावन एवं पवित्र हो जाएगा।
ज्ञात हो कि गाय के गोबर से दीपक बनाने वाली जिले के महिला स्व सहायता समूहों ने इसे अपने आय के साधन से जोड़ने का प्रयास किया है, जिससे उनकी आय में भी वृद्धि हो और वो आर्थिक रूप से मजबूत बनें तथा उनकी भी दीपावाली अच्छी हो।
वहीं बाजार में मिलने वाले मोम व अन्य दीपकों की तुलना में ये सस्ता भी होगा, जिससे ग्राहकों को भी दामों की राहत होगी और समूह चलाने वालों को भी इससे लाभ मिलेगा। इसके साथ ही समाज के लोगों को हानिकारक केमिकल से रंगे दियों से मुक्ति मिलेगी। दीपावली शुद्ध और पवित्र हो तो इसका लाभ भी धार्मिक आस्था से जुड़े होने के कारण इसका उपयोग करने वालों को मिलेगा।

 

12 महिलाओं ने लिया है प्रशिक्षण

 

जिला प्रशासन एवं मप्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तत्वाधान में गत वर्षों की तरह इस वर्ष भी गौ माता के गोबर से दीपक बनाने का कार्य जिले के मझौली विकासखंड अंतर्गत तुलसी स्व सहायता समूह के द्वारा प्रारंभ कर दिया गया है। गौ माता के गोबर से बनाया गया दिया पूर्ण रूप से पवित्र है, इसके लिए स्व सहायता समूह की 12 महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया था, जो लगातार रंग-बिरंगे दीपक का निर्माण कर रही हैं। तुुलसी स्व-सहायता समूह धनौर गौशाला संचालन का कार्य कर रही है, जहां से निकलने वाले गोबर से दिया बनाने का कार्य शुरू किया गया है। इससे गोबर का सदुपयोग होने के साथ ही समूह की महिलाओं की आय बढ़ेगी। इसके अलावा सबसे बड़ी बात ये है कि गौवंश के माध्यम से लोगों की बढ़ती आय से लोगों की सोच भी गौवंश के प्रति बदलेगी।

महिलाओं को मिलेगी आर्थिक आजादी

दीपावली पर गाय के गोबर से दीपक बनाने का कार्य बीते वर्ष में शुरू किया गया था, इस वर्ष भी निर्माण किया जा रहा है। गाय के गोबर से बनाए जाने वाले दीपक को आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न रंगों का भी प्रयोग किया जा रहा है। हरे, नीले, लाल सहित अन्य रंगो का प्रयोग करने से गाय के गोबर से बने दीपक और अधिक आकर्षक दिखाई दे रहे हैं। दीपक को आकर्षक आकार के सांचे में ढालकर डिजाइन भी दी जा रही है, जिससे उनकी सुंदरता पर चार चांद लग रहे हैं। इससे बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है।
तुलसी स्व सहायता समूह की अध्यक्ष पुष्पकली कोल बताती हैं कि हम लोग तीन वर्षों से इसका काम कर रहे हैं, इस बार 70 से 75 हजार दिए बनाने का लक्ष्य बनाकर रखे हैं।
मीरा बताती हैं कि 12 महिलाएं मिलकर दीपक बनाते हैं जब ये सूख जाते हैं तो उसको बाजार में बिक्री कर दिया जाता है।
सीमा साकेत बताती हैं कि गौशाला से गोबर एकत्रित कर दीपक का निर्माण करते हैं जो इसकी बिक्री से आमदनी होती है उसे आपस में बांट लेते हैं, इसकी ग्रामीण क्षेत्रों के साथ साथ शहरी क्षेत्र में भी बिक्री कराई जाती है।

 

इनका कहना है

बीते तीन वर्ष से गाय के गोबर से दिया बनाने का कार्य किया जा रहा है, कई जगहों पर स्टाल लगवाए जाते हैं, वही सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार करके उसकी बिक्री करवाई जाती है। पिछले वर्ष 75 से 80 हजार दीपक बिक्री किये गए थे इसमें निर्माण की कोई पूंजी नहीं लगती हैं। दीपक हर सीजन में बिक्री की जाती है, जिले के पड़ोसी जिले रीवा, सिंगरौली, शहडोल में इसकी मांग की जाती हैं।
चंद्रकांत सिंह
विकास खण्ड प्रबन्धक
आजीविका मिशन मझौली

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