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नदी के घाटों में घड़ियाल अभ्यारण के अमले की नहीं होती रात्रि गस्त…

नदी के घाटों में घड़ियाल अभ्यारण के अमले की नहीं होती रात्रि गस्त

 

ठंड बढऩे के साथ ही आती जाएगी अवैध रेत उत्खनन में तेजी

 

सीधी
सीधी जिला खनिज संपदाओं से परिपूर्ण जिला रहा है, यहां वर्तमान में जिस खनिज संपदा की सबसे अधिक वैध या अवैध तरीके से निकासी हो रही है उसमें रेत का कारोबार रहा है।
जिले में सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य के चर्चित घाटों से ठंडक की शुरुआत होते ही रात में फिर से रेत के अवैध उत्खनन में तेजी आ रही है। रेत का ये अवैध उत्खनन सोन नदी के विभिन्न तटों से क्षेत्रीय रेत माफिया द्वारा किया जाता है। माफिया को ग्रामीण क्षेत्रों के सभी अंदरूनी रास्तों की जानकारी होने के कारण उनके द्वारा सोन नदी के तटों में शाम ढ़लने के बाद से ही रेत का अवैध उत्खनन शुरू करा दिया जाता है जो बेखौफ तरीक़े से तडक़े तक किया जाता है।

तत्संबंध में जानकारों का कहना है कि रेत का अवैध उत्खनन हनुमानगढ़ एवं खैरा क्षेत्र के साथ ही पहाड़ी, सोनवर्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर शुरू हो गया है। माफिया द्वारा सोन नदी तट से रेत का अवैध उत्खनन कराने के लिए ट्रैक्टर एवं मिनी ट्रक का उपयोग किया जाता है। रेत के अवैध उत्खनन में सबसे ज्यादा उपयोग ट्रैक्टरों का ही हो रहा है। जिसके चलते माफिया द्वारा ठंड के दिनों में सबसे ज्यादा रेत का अवैध उत्खनन किया जाता है।

विडंबना ये है कि सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य द्वारा रेत के अवैध उत्खनन को रोंकने के लिए कर्मचारियों की तैनाती भी की गई है। फिर भी संबंधित कर्मचारियों की क्षेत्रीय रेत माफिया से सांठ-गांठ के कारण जिस इलाके से रात में रेत का अवैध उत्खनन किया जाता है वहां गस्त नहीं की जाती। इसी वजह से माफिया के वाहनों से धीरे-धीरे रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन बड़ी मात्रा में शुरू हो गया है।

पूरी प्लानिंग के साथ होती है डंपिंग

बताया गया है कि माफिया के वाहनों से सोन नदी तट से जो रेत रात में निकाली जाती है उसे आसपास के सुरक्षित स्थानों में डंप कर दिया जाता है। बाद में इन स्थानों में बड़े वाहन आते हैं और यहां से रेत की लोडिंग करके अन्य जिलों के लिए निकल जाते हैं। बड़े वाहनों के पास पूर्व से ही अन्य रेत खदानों की टीपी मौजूद रहती है। इस वजह से यहां से रेत का उठाव करने के बाद उनको जांच में भी कोई दिक्कत नहीं आती है। बड़े वाहनों से सोन नदी के रेत का परिवहन उत्तर प्रदेश तक शुरू हो चुका है।

रेत का काला कारोबार रात के अंधेरे में शुरू होने के बाद भी इसपर कोई कार्यवाही अभी तक नहीं हो रही है। प्रथम दृष्टया सोन नदी के तट से रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन रोकने की जिम्मेदारी सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य विभाग की होती है। इसके लिए विभाग द्वारा सोन नदी के तटों पर बड़ी संख्या में गस्त करने के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई है। जिन कर्मचारियों की ड्य़ूटी सोन नदी तटों पर लगाई गई है उनके द्वारा वहां कैंप करके गस्त करने की जरूरत नहीं समझी जा रही है। जबकि विभाग के द्वारा गस्त में लगे कर्मचारियों को सोन नदी तटों पर ही टैंट लगाकर रुकने के निर्देश दिए गए हैं। गस्त में लगे अधिकांश कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी सांठ-गांठ क्षेत्रीय माफिया से काफी ज्यादा है। इसी वजह से उनके द्वारा शाम ढ़लने के बाद जिन क्षेत्रों से रेत का अवैध उत्खनन बड़े पैमाने पर होता है वहां रात में गस्त करने से दूरी बना ली जाती है। ये दीगर बात है कि गस्त में लगे कर्मचारी जिस क्षेत्र से अवैध उत्खनन होता है उसके आसपास ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराए रहते हैं। जिससे बचाव में उन्हें सुविधा हो। बड़े अधिकारी भी गस्त में लगे कर्मचारियों की लोकेशन मौके पर जाकर जानने की जरूरत नहीं समझते।

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