नहीं मिल रहा निवेशकों का रिस्पॉन्स फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी को

फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी के 11,327 करोड़ रुपए के आईपीओ को दूसरे दिन भी निवेशकों से अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिली। गुरुवार शाम तक यह केवल 35 फीसदी या 0.35 गुणा ही सब्सक्राइब हुए। यह आईपीओ बुधवार को खुला था, और पहले दिन 12 फीसदी सब्सक्रिप्शन मिले। आंकड़ों के अनुसार, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (क्यूआईबी) का हिस्सा 28 फीसदी, गैर-संस्थागत निवेशकों (एनआईआई) का हिस्सा 14 फीसदी और रिटेल निवेशकों का हिस्सा 84 फीसदी ही सब्सक्राइब हुआ। कर्मचारियों के लिए आरक्षित हिस्सा सबसे ज्यादा 1.15 गुणा सब्सक्राइब हुआ।
स्विगी के आईपीओ में निवेश करने का आखिरी दिन 8 नवंबर था, और कंपनी का प्राइस बैंड 371-390 रुपए के बीच तय किया गया है। कंपनी का अलॉटमेंट 11 नवंबर को होने की संभावना है और लिस्टिंग 13 नवंबर को एनएसई और बीएसई पर हो सकती है। स्विगी का आईपीओ सब्सक्राइब करने के प्रति निवेशकों की कम रुचि का एक प्रमुख कारण कंपनी की कमजोर वित्तीय स्थिति है। स्विगी की प्रतिद्वंदी जोमैटो, जो पहले ही स्टॉक मार्केट में अपनी जगह बना चुकी है, निवेशकों के लिए तुलनात्मक रूप से बेहतर विकल्प है। वित्तीय आंकड़ों के मुताबिक स्विगी ने वित्त वर्ष 2021-22 में 6,119 करोड़ रुपए की आय प्राप्त की, लेकिन साथ ही 3,628.90 करोड़ रुपए का घाटा भी उठाया।
वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी की आय बढ़कर 8,714 करोड़ हो गई लेकिन घाटा भी बढ़कर 4,179 करोड़ रुपए तक पहुँच गया। वहीं, वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी ने 11,634 करोड़ रुपए की आय अर्जित की, लेकिन घाटा घटकर 2,350 करोड़ रुपए हो गया। जून 2024 की तिमाही में कंपनी ने 3,310.11 करोड़ रुपए की आय के साथ 611.01 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा दर्ज किया। बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि स्विगी को अपने ऑपरेशन को लाभकारी बनाने के लिए अपने लागत ढांचे में सुधार करना होगा। फूड डिलीवरी बिजनेस में कड़ी प्रतिस्पर्धा, कम मार्जिन और लगातार बढ़ती लागत स्विगी के लिए चुनौतियां खड़ी कर रही हैं। हालांकि, कंपनी का राजस्व बढ़ा है, लेकिन निवेशकों को अभी भी इसकी दीर्घकालिक लाभप्रदता पर संदेह है।