सीधी

मझौली में बंद रहा बेअसर खुली रही 70 से 80 प्रतिशत दुकाने।

मझौली में बंद रहा बेअसर खुली रही 70 से 80 प्रतिशत दुकाने।

पर्दे के पीछे से हुआ जमकर व्यापार, दबाव में दिखे छोटे व्यापारी।

सीधी मझौली

विगत 25 नवंबर को नगर परिषद मझौली में हुए षड्यंत्र कारी विवाद व अन्य अनलगल आरोपित मुद्दों को लेकर रैली व धरना प्रदर्शन का परमिशन नहीं मिलने पर राजनीतिक लड़ाई को व्यापारिक बनाते हुए आज नगर परिषद अध्यक्ष शंकरलाल गुप्ता के गुट द्वारा बाजार बंद किए जाने का आवाहन किया गया जहां यह बन्द बेअसर रहा जहां सुबह 10 बजे तक 70 से 80 दुकाने खुली रही लेकिन 12 से 2 बजे तक 60से70 प्रतिशत दुकानों के शटर मुख्य बाजार के गिरे रहे लेकिन पर्दे के आड़ में व पीछे से व्यापार चलता रहा इस दौरान यह भी देखा गया कि छोटे व्यापारी जो जीविको उपार्जन के लिए व्यापार करते हैं काफी दबाव महसूस करते देखे गए जो जहां एक गुट को आता देख शटर गिरा लेते थे वहीं दूसरे गुट के लोगों को देख शटर उठा देते थे।

बताते चलें कि राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई को लेकर नगर परिषद प्रतिनिधियों के दोनों गुट आमने-सामने है जो लगातार अपने कर्तव्यों का निर्वाहन न करते हुए वर्चस्व की लड़ाई में पुलिस ,नगर एवं खंड प्रशासन पर दबाव बनाने के प्रयास में लगे हुए हैं। नगर परिषद की राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में कहीं ना कहीं पुलिस प्रशासन पर नाजायज दबाव बनाने का प्रयास नजर आ रहा है। विगत लगभग 2 वर्ष से जब से नगर अध्यक्ष का चुनाव हुआ है दोनों गुटों द्वारा एक दूसरे पर मार- पीट, लड़ाई -झगड़ा , चोरी -चन्डाली आदि का अनलगल आरोप लगाते हुए फर्जी मुकदमे दर्ज करने। तथा दोषियों को कार्यवाही से बचाने के लिए लगातार पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाया जा रहा है। सफल न होने पर अब गुटों द्वारा पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाने संघ एवं संगठन का उपयोग किया जा रहा है यहां तक की जबकि पुलिस अधीक्षक सीधी द्वारा निष्पक्ष जांच कराकर कार्यवाही की बात कही गई है लेकिन एक गुट लगातार हमलावर है। एक हफ्ते तक का समय नहीं जाना लोगों में सन्सय उत्पन्न कर रहा है ।थाना प्रभारी की शिकायत पुलिस अधीक्षक से तो पुलिस अधीक्षक की शिकायत रीवा आईजी से की गई है जहां जांच कराकर कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया गया है लेकिन जांच कार्यवाही का समय न देते हुए लगातार आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए थाना प्रभारी के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। जो 6 दिसंबर को उपखंडी अधिकारी मझौली को ज्ञापन पत्र सौंपते हुए 25, नवंबर की लड़ाई एवं अन्य कई अनलगल आरोप का जिक्र करते हुए थाना प्रभारी को निलंबित कर हटाए जाने एवं जांच कार्यवाही की मांग को लेकर रैली एवं धरना प्रदर्शन की अनुमति चाहा था लेकिन स्थिति को भागते हुए तथा शांति व्यवस्था बनाए रखने को दृष्टतगत रखते हुए अनुमति प्रदान नहीं की गई। इसके विरोध में व्यापारियों से साथ गांठ कर बाजार बंद किया जाकर पुलिस एवं खंड प्रशासन के खिलाफ विरोध जताया गया लेकिन इनका यह विरोध बेअसर रहा जिसकी चर्चा दबाव में आए छोटे व्यापारियों के बीच भी होती रही।

 

फर्जी वसूली कार्यवाही से बचाना षड्यंत्र तो नहीं?

बताया जा रहा है कि 25 नवंबर को जब परिषद की बैठक जारी थी इस दौरान प्रदीप नाम के व्यक्ति द्वारा बैठक में आकर बताया गया कि यहां फर्जी पर्ची से ऑटो वहांन वसूली चल रही है बैठक उपरांत जब पार्षद और सीएमओ फर्जी पर्ची पकाने कार्यालय से बाहर चले गए तथा फर्जी पर्ची पकड़ी गई। जिसकी कार्यवाही के लिए पुलिस भी बुला ली गई इस दौरान नगर परिषद कार्यालय की तरफ शोर गुल होने लगा जब वहां पर लोग पहुंचे तो 4–5 लड़के एवं अध्यक्ष पार्षद व पार्षद पति सहित 7–8 लोग थे जो वाद विवाद कर रहे थे जिन्हें शांत करते हुए वहां से भगा दिया गया। तथा फर्जी पर्ची की जांच कार्यवाही पुलिस को सौंप दी गई । तब कुछ देर बाद अध्यक्ष के साथ पार्षद हितेश गुप्ता तथा अन्य उनके सहयोगी थाने जाकर कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए। दूसरे दिन सुबह नगर अध्यक्ष के साथ कुछ पार्षद एवं सहयोगी पुलिस अधीक्षक कार्यालय सीधी पहुंच आवेदन पत्र देते हुए आरोप लगाया कि झगड़े के मुख्य दोषी के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किया गया।

 

जिसकी जांच कार्यवाही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक से कराए जाने के लिए पुलिस अधीक्षक द्वारा कहा गया। उसके ठीक तीसरे -चौथे दिन रीवा आईजी कार्यालय पहुंच पुलिस अधीक्षक पर भी आरोप लगाते हुए जांच कार्यवाही की मांग की जहां भी जांच कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया गया लेकिन जांच कार्यवाही का इंतजार किए बिना लगातार धरना प्रदर्शन करने पर उतारू हो गए दोनों गुटों में बढ़ते तनाव को दुष्ट गत रखते हुए उपखंडीय अधिकारी मझौली द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिया गया फिर भी 6 दिसंबर को उपखंडीय अधिकारी मझौली को ज्ञापन पत्र सौंपते हुए रैली एवं धरना प्रदर्शन की अनुमति चाही गई अनुमति नहीं मिलने पर बाजार बंद कर विरोध जताने का प्रयास किया गया जो पूर्ण रूपेण असफल रहा।

 

उनकी इस कर प्रणाली से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कहीं ना कहीं पकड़ी गई फर्जी पर्ची की जांच कार्यवाही प्रभावित करने के लिए पुलिस प्रशासन पर नाजायज दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

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