बहरी से अमिलिया मार्ग: जोगदहा सोन नदी पुल का निर्माण कार्य न पूर्ण होने से लंबी दूरी का ऑटो से लोग कर रहे सफर…

बहरी से अमिलिया मार्ग: जोगदहा सोन नदी पुल का निर्माण कार्य न पूर्ण होने से लंबी दूरी का ऑटो से लोग कर रहे सफर…
ऑटो से सफर से लोग आए दिन हो रहे हादसे के शिकार…
सीधी:- बहरी से अमिलिया मार्ग में आने वाली जोगदहा सोन नदी पुल का निर्माण कार्य मंथर गति से चल रहा है। जहां बसों के आवागमन पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिससे लोग ऑटो में सवार होकर लंबी दूरी का सफर करने को मजबूर हो रहे हैं। ऑटो से लंबी दूरी का सफर हादसे का पर्याय बन रहा है। विगत दिवस शुक्रवार को हुई ऑटो हादसे का वजह भी लंबी दूरी का सफर ही है। ऑटो में सवार होकर लोग बहरी से अमिलिया तक करीब १५ किलोमीटर की दूरी का सफर कर रहे हैं, इतनी लंबी दूरी के दौरान ऑटो पलटने सहित भारी वाहन की टक्कर से ऑटो दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं, जिससे लोग अपनी जिंदगी गंवा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को आटो में सवार होकर ९ यात्री बहरी से लेकर अमिलिया के आसपास के गांव में सफर कर रहे थे, रास्ते में बल्कर की टक्कर से घटना स्थल पर ही दो की मौत हुई, जबकि चार की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें रीवा रेफर कर दिया गया है, जो जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। यदि समय पर जोगदहा सोन नदी पुल का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाता तो इस तरह के हादसे घटित न होते, और लोग बसों से सफर करते।
तीन वर्ष से बंद है सोन पुल पर भारी वाहनों का परिवहन-
सोन नदी के जोगदहा घाट पर अंग्रेजो के समय का बना पुल काफी जर्जर हो चुका है। जिसके कारण इस पुल से भारी वाहनों के परिवहन से पुल धसने का खतरा बना हुआ है, जिसके कारण विगत तीन वर्ष पूर्व से इस पुल पर भारी वाहनों के परिवहन पर रोक लगा दी गई है। जिससे लोगों को अमिलिया कमर्जी होकर घूमकर आवागमन करना पड़ रहा है। मजबूरी में लोग ऑटो से इस पुल से गुजर रहे हैं, लंबी दूरी तक सफर के दौरान ऑटो हादसे के शिकार हो रहे हैं।
बसों पर प्रतिबंध,रेत से लदे वाहनों को इंट्री-
इस पुल पर प्रशासन द्वारा भारी वाहनों के परिवहन पर प्रतिबंध लगाया गया है। किंतु इस पुल पर परिवहन की सख्ती सिर्फ बसों पर दिखाई दे रही है, जबकि इस पुल से रेत से लदे भारी वाहनों का परिवहन हो रहा है। किंतु प्रशासन नवीन पुल निर्माण का काम कर रहे संविदाकार पर सख्ती नहीं दिखा पा रहा है, जिसका कारण पुल का संविदाकार सत्ता पक्ष से संबंधित है, जिससे उसे टोकने की हिम्मत प्रशासन नहीं जुटा पा रहा है।