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मार्बल खदान संचालन में नियमो की उड़ाई जा रही धज्जियां…

मार्बल खदान संचालन में नियमो की उड़ाई जा रही धज्जियां…

सैंपलिंग जांच के नाम पर सिल्लियों का हो रहा धड़ल्ले से परिवहन…

कार्यवाही ना होने पर जिम्मेदारों के रवैए पर उठे सवाल…

संजय सिंह मझौली पोल खोल

एक तरफ जहां खनिज संपदा के उत्खनन परिवहन एवं दोहन को लेकर खनिज विभाग द्वारा सख्त कानून बनाए गए हैं जिनमें पर्यावरण की क्षति ना हो, मानव हितों की पर्याप्त सुरक्षा एवं स्थानीय भूमि स्वामियों को लीज देने पर बाजार भाव के दर से मुआवजा राशि दिया जाना चाहिए साथ ही परिवहन के भी कड़े नियम बनाए गए हैं लेकिन इन सब नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ग्राम करमाई में ओनेक्स मार्बल की खदान धड़ल्ले से चल रही है हद तो तब हो जाता है जब इसी खदान से सैंपल जांच के नाम पर हाईवा ट्रकों से मार्बल की सिल्लियां परिवहन हो रही हैं जिनके ऊपर कार्यवाही ना होना जिम्मेदारों के कार्यप्रणाली पर भी सवाल पैदा करता है?

लीज के नाम पर किसानों की हो रही लूट
ग्रामीणों की माने तो खदानों के संचालन में पट्टेदारों से औने पौने दाम में सहमति लेकर खनिज संपदा का दोहन कर रहे हैं और किसानों की खुली लूट की गई है जो अनवरत जारी है।

जानकारों की माने तो किसी भी खनिज संपदा की लीज स्वीकृत करते समय सारे नियमों व शर्तों को पालन करने की अनिवार्यता रहती है जिसका पालन करना लीज धारक की जिम्मेदारी रहती है और किसी भी प्रकार लापरवाही ना हो जिसकी निगरानी करना स्थानीय प्रशासन की होती है लेकिन करमाई में ओनेक्स मार्बल की खदान में सारे नियम को ताक पर रखकर खदान का संचालन हो रहा है।

 

स्थानीय मजदूरों का हो रहा शोषण
ग्रामीणों की माने तो मार्बल खदान में स्थानीय मजदूर जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर हैं लेकिन जिस हिसाब से जोखिम का काम मेहनत के साथ कराया जाता है उस हिसाब से ना तो मजदूरी दी जाती है और ना ही लीज धारक द्वारा कार्यरत मजदूरों का बीमा कराया गया है और ना ही किसी लेख या दस्तावेज में ऐसे मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की जाती है जबकि मजदूरों की सूची स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस थाना में एक प्रति जमा करनी चाहिए क्योंकि भविष्य में किसी मजदूर की दुर्घटना में मृत्यु होती है अथवा विकलांग होता है तो उसके एवं उसके परिवार के भरण पोषण और रोजगार देने की जिम्मेदारी लीज धारक की होगी इन सब नियमों का भी पालन नहीं किया जा रहा है।

 

पर्यावरण के नियम भी हो रहे तार-तार
पर्यावरण के नियम का पालन करना भी लीज धारक के लिए अनिवार्य होता है जिसमें यह प्रावधान है कि जितने रकवा में खदान संचालित होती है उससे दूने रकवा में उसी ग्राम में वृक्षारोपण कराया जाना चाहिए लेकिन ऐसा कार्य भी नहीं कराया गया है।अब देखना है कि जिला कलेक्टर के द्वारा ऐसे लीज धारक के खिलाफ किस तरह जांच कार्यवाही कराई जाती है।

 

बंद पड़ी पड़ी खुली खदानों में हो रहे हादसे
इसी ग्राम में लगभग आधा दर्जन मार्बल एवं पत्थर की खदानें बरसों से बंद पड़ी हैं जिनमें लंबी और गहरी खाईयां जिम्मेदारों द्वारा कराई गई हैं जहां सुरक्षा के कोई इंतजाम ना होने के कारण आए दिन जानवरों के साथ साथ कई ग्रामीणों की जान भी जा चुकी हैं जिस ओर भी ग्रामीणों ने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया है। कई बार घटित घटनाओं को लेकर समाचार भी प्रकाशित किए जाने के बावजूद सुरक्षा के इंतजाम आज दिनांक तक नहीं कराए गए हैं।

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