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जेब कटने से बचाइए,जेनेरिक दवाएँ खाइए।

जेब कटने से बचाइए,जेनेरिक दवाएँ खाइए
मोगली पलटन की कछुआ चाल निकाली गई साइकल रैली
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ऋषिकेश फ़ाउण्डेशन की बाल सेना मोगली पलटन द्वारा रविवार सुबह कछुआ चाल साइकल रैली आयोजित की गयी। रैली के विषय में ऋषिकेश फ़ाउण्डेशन के प्रवक्ता रहीस गुप्ता ने बताया कि ऋषिकेश फ़ाउण्डेशन द्वारा अप्रैल 2024 से अगले एक वर्ष तक मिशन रामबाण चलाया जाएगा। मिशन रामबाण का उद्देश्य जेनेरिक दवाओं के प्रति जन जागरुकता लाना है। श्री गुप्ता ने बताया कि आम तौर पर सभी दवाएं एक तरह का केमिकल सॉल्ट होती हैं। इन्हें शोध के बाद अलग-अलग बीमारियों के लिए बनाया जाता है। जेनेरिक दवा जिस सॉल्ट से बनी होती है, उसी के नाम से जानी जाती है। जैसे दर्द और बुखार में काम आने वाले पैरासिटामोल सॉल्ट को कोई कंपनी इसी नाम से बेचे तो उसे जेनेरिक दवा कहेंगे। वहीं, जब इसे किसी ब्रांड जैसे क्रोसिन के नाम से बेचा जाता है तो यह उस कंपनी की ब्रांडेड दवा कहलाती है। सर्दी-खांसी, बुखार और बदन दर्द जैसी रोजमर्रा की तकलीफों के लिए जेनरिक दवा महज 10 पैसे से लेकर डेढ़ रुपए प्रति टैबलेट तक में उपलब्ध है। ब्रांडेड में यही दवा डेढ़ रुपए से लेकर 35 रुपए तक पहुंच जाती है।
ब्रांडेड दवाओं की तुलना में सस्ती जेनरिक
ऋषिकेश फाउंडेशन के प्रवक्ता ने बताया कि जब कोई कंपनी एक नई दवा बनाती है तो इसके लिए रिसर्च, डेवलपमेंट, मार्केटिंग, प्रचार और ब्रांडिंग पर पर्याप्त लागत आती है, लेकिन जेनेरिक दवाएं, पहले डेवलपर्स के पेटेंट की अवधि समाप्त होने के बाद उनके फार्मूलों और सॉल्ट का उपयोग करके विकसित की जाती है। इसलिए जेनरिक दवा निर्माताओं को रिसर्च और उत्पादन की लागत कम लगती है। इसके अलावा, जेनरिक दवाओं के निर्माण में मनुष्यों और जानवरों पर बार-बार क्लिनिकल ट्रायल करने का भी कोई खर्च नहीं होता, क्योंकि ये सभी परीक्षण मूल निर्माताओं द्वारा पहले किए जा चुके होते हैं।