सीधी
जारी है अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में नियमों की अनदेखी,हवा में उड़ रहा लोक शिक्षण संचालनालय का आदेश।

जारी है अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में नियमों की अनदेखी,हवा में उड़ रहा लोक शिक्षण संचालनालय का आदेश।
सीधी
जिले में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में सिफारिश एवं भाई-भतीजावाद के चलते नियमों को भी पूरी तरह से ताक पर रख दिया गया है। लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के पत्र क्रमांक/अ.शि./निर्देश/27/2023-24/167, भोपाल दिनांक 5 जुलाई 2023 के द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009(आरटीई 2009) के अनुसार प्रशिक्षक शिक्षकों द्वारा ही विद्यार्थियों को अध्यापन कार्य करवाया जाना है। इसके लिए सत्र 2023-24 में भी प्रशिक्षत अतिथि शिक्षकों से अध्यापन कार्य सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए थे। साथ ही स्पष्ट रूप से कहा गया था कि अनियमितता पाए जाने पर संबंधित संस्था प्रमुख की जवाबदेही तय की जावेगी। किंतु सीधी जिले में लोक शिक्षक संचालनालय का यह आदेश हवा में ही उड़ रहा है। संस्था प्रमुखों एवं संकुल प्राचार्यों द्वारा सैकड़ों की संख्या में सीधी जिले में अप्रशिक्षित अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति सालो से की जा रही है। लाखों रुपए खर्च करके डीएड एवं बीएड करने वाले सैकड़ों योग्य अभ्यर्थी घूम रहे हैं लेकिन स्कूलों में उनके लिए जगह नहीं हैं। जिन स्कूलों में संपर्क किया जाता है तो यही बताया जाता है कि यहां पूर्व से ही अतिथि शिक्षकों का पैनल कार्यरत है। जबकि पूर्व से कई ऐसे अतिथि शिक्षक विद्यालयों में पठन-पाठन का कार्य करा रहे हैं जो कि अप्रशिक्षत हैं उनके पास डीएड, बीएड की कोई डिग्री नहीं है। फिर भी उनकी नियुक्ति इसलिए हर साल हो रही है क्योंकि उनके सगे संंबंधी शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। काफी संख्या में अप्रशिक्षित अभ्यर्थी स्कूलों में सालों से पठन-पाठन करा रहे हैं। वर्षों से उनके द्वारा विद्यालय में अतिथि शिक्षक का कार्य किया जा रहा है। इसी वजह से उनको हर वर्ष प्राथमिकता के साथ रख लिया जाता है।
अतिथि शिक्षक पोर्टल में जब अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति का विवरण दर्ज किया जाता है तो संकुल प्राचार्यों द्वारा यह दर्शा दिया जाता है कि प्रशिक्षित अभ्यर्थी न मिलने के कारण यह नियुक्ति की जा रही है। अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में यह फर्जीवाड़ा कई सालों से सीधी जिले में चल रहा है। योग्य एवं प्रशिक्षित अभ्यर्थी घर में बैठने को मजबूर है और अप्रशिक्षितो को अतिथि शिक्षक बनाया गया है।
प्रशिक्षित अभ्यर्थियों में दिख रही मायूसी
चर्चा के दौरान कई डीएड एवं बीएड डिग्रीधारियों ने बताया कि उनके द्वारा भारी-भरकम शुल्क देकर यह डिग्री ली गई है। इसका उपयोग केवल अध्यापन कार्य में ही हो सकता है। बावजूद इसके सीधी जिले की काफी स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षकों को सालों से तरजीह दी जा रही है। संस्था प्रमुखों के साथ ही इसमें संकुल प्राचार्यों की भूमिका भी संदिग्ध बनी हुई है। अभ्यर्थियों का कहना था कि कई स्कूलों के संबंध में जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कई बार आवेदन भी दिए गए लेकिन उनके द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जाती। कुछ अधिकारियों का तो यह भी कहना होता है कि जो जहां सालों से कार्य कर रहा है उसको हटाना जरूरी नहीं है। संबंधित व्यक्ति को भी नौकरी की जरूरत है। यदि वह इतने सालों से विद्यालय में पठन-पाठन करा रहा है तो उसको हटाकर बेरोजगार नहीं किया जा सकता। यदि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की यही सोच एवं मंशा रही तो अप्रशिक्षित शिक्षकों के भरोसे ही छात्र-छात्राओं के भविष्य का निर्धारण होगा।
सूत्रों का कहना है कि सीधी जिले में अप्रशिक्षित शिक्षकों की संख्या 25-30 फीसदी तक है। इसमें कुछ ऐसे भी लोग अतिथि शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं जिनके द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था से डीएड एवं बीएड नहीं किया गया है। बाहरी राज्यों की अमान्य डिग्री का उपयोग करके उन्हें प्रशिक्षित दर्शाया जा रहा है। ऐसे में अतिथि शिक्षकों के डीएड एवं बीएड डिग्री की जांच भी होनी चाहिए। जिससे यह स्पष्ट हो सके कि उनकी डिग्री मान्य है या अमान्य ?