सीधी

हर काम के बदले दाम…सिस्टम मे रिश्वतखोरी का मकड़जाल,आंकडों से खुलासा।

हर काम के बदले दाम…सिस्टम मे रिश्वतखोरी का मकड़जाल,आंकडों से खुलासा।

36 माह मे 116 रिश्वतखोरो को लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथों किया था ट्रैप।

 ब्यूरो सीधी: जिले में रिश्वतखोरी चरम पर है।सरकारी काम के बदले अधिकारी-कर्मचारी लोगों की मेहनत की कमाई पर सेंध लगा रहे है।घूसखोरी का खेल वर्षो से फल-फूल रहा है लेकिन भ्रष्ट सिस्टम के उच्च पद पर बैठे जिम्मेदार इसे रोकने मे नाकाम है।रिश्वतखोर के मकड़जाल का खुलासा लोकायुक्त की रिपोर्ट से हुआ है।

 

आकड़े कहते है कि जिले मे औसतन तीन वर्ष में 116 सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथों ट्रैप किया गया है।सूत्र बताते है कि सरकारी सिस्टम मे हर काम के दाम तय हैं।रोज लाखों की घूंसखोरी का खेल चुपके से चल रहा है?लोकायुक्त की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022-23 मे 1लाख 98 हजार400 रुपए की रिश्वत जब्त की गई है।116 घूसखोरों को रंगेहाथों दबोचा भी गया।

यह कार्यवाही इस बात का गवाह है कि रिश्वतखोरी बंद होने का नाम नहीं ले रही हैं।बिना नजराना लिए काम नहीं हो रहे है।तभी तो 36 माह के अंदर लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचारियों को पकड़ने का अर्धशतक पूरा कर लिया।लोकायुक्त के हाथों छोटी मछलियां तो लगी ही लगी बड़े साहबों के गिरेबां तक भी उनके हाथ पहुंचे।जब यह साहब पकड़े गए तो उनके चेहरे से हकीकत का नकाब भी उतर गया।लोकायुक्त पुलिस ने इस साल सबसे बड़ी ट्रैप की कार्यवाही यानी की रंगे हाथों रिश्वत लेते प्रभारी सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को पकड़ा।जो हजार-दो-हजार नहीं बल्कि 80 हजार रुपए रिश्वत लेते धरा गया।इसके साथ एक अन्य छात्रावास का अधीक्षक भी सहायक आयुक्त के साथ ट्रैप हुआ।ऐसे अन्य सरकारी मुलाजिम भी पकड़े गए जो काम करने के एवज मे रिश्वत मांग रहे थे।जिसमें राजस्व, बिजली विभाग,पंचायत एव ग्रामीण विकास विभाग, महिला बाल विकास, लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी-अधिकारी शामिल हैं।

दलाल तय,बिना दलाली काम नहीं-
मध्यप्रदेश के तमाम सरकारी कार्यालयों मे ईमानदारी से काम करने की समय-समय पर कमर्चारियों को शपथ दिलाई जाती हैं लेकिन भ्रष्टाचार का जिन्न इस कदर घर कर गया है कि बिना रिश्वतखोरी के काम होता ही नहीं है।छोटे से छोटे और बड़े से बड़े काम करवाने के लिए रुपयो की मांग की जाती हैं।कर्ई विभागों मे तो खुले तौर पर दलाली होती हैं।यहां दलाल सक्रिय हैं।बकायदा इसकी जानकारी जिम्मेदारों को है लेकिन इन विभागों मे यह दलाली बंद नहीं होती।मानो यह सिस्टम का हिस्सा हो गया है।दूसरी तरफ हकीकत ये होती हैं कि इन विभागों मे सरकारी कर्मचारी सीधे रिश्वत नहीं लेते वह दलालों के माध्यम से काम करते है। इस कारण भ्रष्टाचार रोकने वाली एजेंसियो को भी कार्यवाही करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।अब तो रिश्वत को लेकर ऐसा कोई विभाग नहीं बचा है जो ना मांग रहा हो।ऐसे लोक सेवकों को लोकायुक्त ने खूब बेनकाब भी किया है।कोई 2हजार की रिश्वत लेते पकड़ा गया तो कोई 50 से 80 हजार की रिश्वत मांग रहा था तो अपने ओहदे के अनुसार लाखों की डील कर रहा था।

 

2021 मे 25,2022 मे 55 तो 2023 मे 36 हुए ट्रैप-
रीवा लोकायुक्त पुलिस ने सीधी और उसके आसपास के जिलों मे रिश्वतखोरी के मामले इस कदर बढ़ गए हैं कि इसका ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ ही रहा है।पिछले दो सालो के आकड़ो का अध्ययन किया जाए तो पता चलता है कि कोरोना की पहली लहर मे जहां सब कुछ थम गया था उस वक्त साल 2020 मे महज लगभग 10 लोगों को रंगे हांथो रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था लेकिन कोरोना की दूसरी लहर मे भ्रष्टाचार के मामलों मे एकाएक इजाफा हो गया।कोविड की दूसरी लहर मे लॉकडाउन के लगने के बाद भी साल 2021 मे 25 सरकारी मुलाजिमों को रंगे हाथों ट्रैप कर लिया गया।तो साल 2022 मे ट्रैप होने वालो की संख्या बढ़कर 55 हो गई वही साल 2023 मे यह आकड़ा 36 पहुंच गया।यह आकड़े बता रहे हैं कि सरकारी विभागों मे बिना लिए दिए काम ही नहीं हो रहे है।

बड़ी कार्यवाही-
1- प्रभारी सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग का अधिकारी सहित प्राथमिक शिक्षक प्रभारी अधीक्षक शासकीय बालक छात्रावास जनजातीय कार्य विभाग टमसार को रीवा लोकायुक्त पुलिस ने 80 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों ट्रैप किया।
– लोक निर्माण विभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री अधिकारी को 50 हजार की रिश्वत लेते लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथो ट्रैप किया।
-महिला बाल विकास कुसमी कार्यालय के परियोजना अधिकारी सहायक ग्रेड 2 के बाबू को 25 हजार की रिश्वत लेते लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथों ट्रैप किया।

खूब कमाई आय से अधिक संपत्ति-
लोकायुक्त की कार्यवाही मे वह धन कुबेर भी पकड़े गए हैं।जिनके पास आय से अधिक संपत्ति थी उनको भी पकड़ा गया।साल 2021 मे ऐसे 06 सरकारी कमर्चारियों को पकड़ा गया, वही साल 2022 मे 08 और 2023 मे अब तक मे 03 ऐसे भ्रष्टाचारी बेनकाब हुए जिन्होंने आय से अधिक की संपत्ति बनाई कमाई थी।

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