सीधी

भिखारी बन रहे या बनाए जा रहे नाबालिग बच्चे?

चौराहों पर अचानक बढ़ गई संख्या भिक्षावृत्ति के दौरान झुंड में आ रहे नजर

भिखारी बन रहे या बनाए जा रहे नाबालिग बच्चे?

सीधी:- शहर के चौराहों पर भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या अचानक बढ़ गई है। इतनी तादाद में ये नाबालिग बच्चे कहाँ से आ गए।इस पर असमंजस बना हुआ है। ये बच्चे भिखारी बन रहे हैं वा इन्हें भिखारी बनाया जा रहा है, यह भी सोचनीय प्रश्न है, क्योंकि ज्यादातर बच्चों के माता-पिता का भी अता-पता नहीं है। चौराहे-चौराहे भीख माँगकर दिन गुजारने वाले इन बच्चों की रातें कहाँ गुजर रही हैं, इसे देखने वाला भी कोई नहीं है। चौराहे पर भीख माँगने वाले ज्यादातर बच्चे नशे का शिकार भी हो चुके हैं, जिसके कारण चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देना भी इनकी आदत में शुमार होता जा रहा है। बावजूद इसके जिम्मेदार जिला प्रशासन के अधिकारी मौन बैठे हैं। इन बच्चों के उत्थान को लेकर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।

शहर में चल रहा भीख माँगने का अवैध धंधा :-
जानकारों का कहना है कि इन नाबालिग बच्चों को चौराहे पर छोड़कर भीख मांगने का अवैध धंधा करवाया जा रहा है। यही वजह है कि इस समय चौराहों पर इनकी संख्या ज्यादा नजर आने लगी है। पहले बच्चों को गोद में लिए महिलाएँ भीख माँगती थीं, लेकिन अब वे कही-कही नजर आ रही हैं, अब उनकी जगह नाबालिग बच्चों ने सर्वाधिक ले ली है, जो चौराहे चौराहे घूम रहे हैं।

नशा के बाद करते हैं अभद्रता:-
चौराहे-चौराहे पर भीख माँगने वाले ये बच्चे नशे में भी अव्वल हैं। इन बच्चों के द्वारा सिलोचन, स्प्रिंट, फेवीक्विक, फेविकोल को रुमाल में रखकर नशा किया जाता है। नशे की हालत में ये नाबालिग चौराहों पर भीख मांगने के दौरान न देने वालों से अभद्रता भी करते हैं। कभी-कभी चौराहो पर खड़ी होने वाली कारों से भी चोरी का प्रयास करते हैं।

इंदौर में लग चुकी है रोक :-
भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए इंदौर जिले ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। यहाँ पर सार्वजनिक जगहों पर भीख माँगना प्रतिबंधित कर दिया गया है। वहीं भीख माँगने वालों को चिन्हित कर उनके पुनर्वास की व्यवस्था शुरू कर दी गई है। भिक्षावृत्ति करने वालों को रोजगार से भी जोड़ा जा रहा है ताकि वे अपना जीवन यापन कर सकें।

सामाजिक संगठन, बाल आयोग का अता-पता नहीं:-
शहर में भीख माँगने वाले नाबालिग बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन जिला प्रशासन, सामाजिक संगठन और बाल आयोग को कोई चिंता नहीं है। बच्चों के बचपन को लेकर चिंतित होने वाली संस्थाओं ने इन नाबालिगों को उनके हाल पर ही छोड़ दिया है। यही वजह है कि बिना रोक-टोक के ये नाबालिग चौराहे पर भीख माँग रहे हैं।

आज तक नहीं चलाया गया अभियान :-
सड़क और चौराहों पर भीख माँगने वाले नाबालिग बच्चों के लिए जिला प्रशासन ने आज तक कोई अभियान नहीं चलाया। अगर अभियान चलाया गया होता तो उस दौरान जितने भी बच्चे फकड़े जाते, उन सभी को बाल सुधार गृह भेजा जाता,लेकिन आज तक उन बच्चों को चिन्हित तक नहीं किया गया,क्या इसकी किसी ने सुध तक नहीं ली।

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