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बीच बाजार अवैध मीट मंडी का कारोबार जारी।

बीच बाजार अवैध मीट मंडी का कारोबार जारी 
लालता चौक सहित विभिन्न प्रतिबंधित क्षेत्र में चल रहा अवैध कारोबार 
प्रशासन के आदेश के 7 साल बाद भी खुलेआम चल रही अवैध मीट मण्डी
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शहर में बीच बाजार लालता चौक सहित विभिन्न प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रशासन के आदेश के 7 साल बाद भी खुलेआम चल रही अवैध मीट मण्डी को हटाने के लिए प्रशासन से सिर्फ तारीख ही मिल रही है। सार्वजनिक स्थलों में संचालित अवैध मीट की दुकानों का मीट मार्केट में विस्थापन प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है।
ऐसा आभास होता है कि मीट कारोबारी शासन-प्रशासन पर पूरी तरह से भारी है।
शहर के सार्वजनिक स्थलों में मीट बिक्री को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के लिए लालता चौक में एसडीएम गोपद बनास द्वारा सूचना बोर्ड भी 7 साल पहले लगवा दिया गया था। ये सूचना बोर्ड 7 साल से उपहास बना हुआ है क्योंकि यही पर दर्जन भर मीट की अवैध दुकानें निर्बाध रूप से संचालित है। प्रतिबंध के बावजूद मीट कारोबारी मुख्य बाजार क्षेत्र में डटे हुए हैं। ऐसे में लाखों की लागत से बना नवीन मीट मार्केट भी औचित्य हीन हो चुका है।
हैरत की बात तो यह है कि जिम्मेदार अधिकारियों के समक्ष जब भी बाजार क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित मीट दुकानों के मीट मार्केट में विस्थापन की बात उठती है उन्हें सांप सूंघ जाता है। वो गोलमाल जवाब देने लगते हैं। ऐसा आभास होता है कि उनकी दिलचस्पी मीट मार्केट में कारोबार संचालन को लेकर नहीं है। संगठनों का विरोध ज्यादा बढ़ता है तो प्रशासन की ओर से मीट व्यापारियों को दुकान हटाने का नोटिस जारी कर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है। प्रशासनिक सख्ती बढऩे पर कुछ दिन दुकान बाजार क्षेत्र में मीट विक्रय बंद कर चोरी छिपे बेंचा जाता है। कुछ दिन बाद फिर बाजार क्षेत्र में मीट बिक्री खुलेआम शुरू हो जाती है।
सालों से जारी है जनता का विरोध
बाजार क्षेत्र में मीट बिक्री के चल रहे अवैध कारोबार को बंद कराने के लिए लोगों का विरोध सालों से चल रहा है किंतु आज तक सार्थक कार्यवाही नहीं हो सकी है। यदि प्रशासन चाह ले तो शहर के बाजार क्षेत्र से सभी मीट दुकानें मीट मार्केट में स्थाई रूप से स्थानांतरित हो सकती है लेकिन इसके लिए महीनों सख्ती के साथ बड़े अधिकारियों को नजर रखनी पड़ेगी। अभी तक जो कार्रवाई हुई महज औपचारिकता के लिए। मीट कारोबारी भी जानते हैं कि आधिकारी कार्रवाई को लेकर दिखावा ही करते हैं। प्रशासनिक लापरवाही के चलते ही लाखों की लागत से बना मीट मार्केट संचालित नहीं हो पा रहा है। जब भी विस्थापन की बात आती है मीट व्यापारी सुविधाओं की कमी बताकर जाने को तैयार नहीं होते। सामाजिक संगठनों का विरोध जब बढ़ता है कार्रवाई शुरू होती है। कुछ दिन बाद सब कुछ शांत हो जाता है।
विरोध करने वाले भी चुप्पी साध लेते हैं। हिंदूवादी एवं सामाजिक संगठनों द्वारा भी कई बार सामने आकर विरोध प्रदर्शन जताया जा चुका है। कोई सार्थक कार्रवाई न होने के कारण इन संगठनों के पदाधिकारी भी अब इस गंभीर समस्या को नजर अंदाज करते नजर आ रहे हैं।
राजस्व, नपा और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई की जरूरत 
शहर के बाजार क्षेत्र में प्रतिबंध के बावजूद छ: वर्षों से अवैध रूप से चल रहे मीट के कारोबार को रोंकने एवं संबंधित व्यवसाईयों को मीट मार्केट में विस्थापित करानें के लिए प्रशासन को संजीदा होकर कार्यवाई सुनिश्चित करनें की जरूरत है। इसके लिए राजस्व, नगर पालिका और पुलिस की संयुक्त टीम गठित की जानी चाहिए। टीम में जिनकी भी ड्यूटी लगे वो प्रति दिन बाजार क्षेत्र एवं मीट मार्केट का निरीक्षण करें। यदि कोई भी व्यवसाई प्रतिबंधित क्षेत्र में मीट का अवैध रूप से कारोबार करता मिले तो जब्ती का कार्यवाई के साथ ही गिरफ्तारी भी होनी चाहिए। साथ ही संयुक्त टीम में शामिल लोगों की लापरवाही से यदि मीट का अवैध कारोबार बाजार क्षेत्र में होता मिले तो उनपर भी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। यदि यह व्यवस्था शहर में लगातार कुछ दिनों के लिए बना दी जाए तो निश्चित ही मीट का अवैध कारोबार शहर में स्थाई रूप से रुक सकता है।

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