उत्तर प्रदेश

घोटा जा रहा लोकतंत्र का गला बीएचयू में

वाराणसी। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी जैसी एशिया की सबसे बड़ी प्रतिष्ठित संस्था को कर्मयोगी पंडित मदन मोहन मालवीय ने देश की तमाम संस्थाओं से एक -एक पैसा दान लेकर अपने खून पसीने से सींचा है, आज वह संस्था भ्रष्टाचारियों एवं अपराधी प्रवृति के अधिकारियों की कारगुजारियों की भेंट चढ़ रही है।

देश के नामी- गिरामी बी एच यू के ह्रदय रोग विभाग में विभाग के ही प्रोफेसर धर्मेन्द्र जैन द्वारा वित्तीय वर्ष -2020-21 में 2.56 करोड़ की मशीन खरीदी गयी थी। इस पूरे मशीन खरीद प्रकरण की जाँच की गयी, और जाँच कमेटी ने यह निर्णय दिया की सामानों की खरीद में अनियमितता और धांधली की गयी है। जाँच कमेटी के निर्णयो को ताक पर रख कर कुलपति ने उस पार्टी को धनराशि की भुगतान कर दी,जो जाँच में अनियमितता एवं भ्रस्टाचार पाया गया था।

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यह जानकारी बी एच यू ह्रदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ ओमशंकर ने आज 31जुलाई, 2024 को अपने विभाग में प्रेस प्रतिनिधियों को दी है। उन्होंने बताया कि बी एच यू के कुलपति ने अपने ढाई वर्ष के कार्यकाल में अबतक एक्सक्यूटिव कौंसिल तक का गठन नहीं किया है, यद्यपि की बी एच यू में किसी भी तरह की नियुक्तियां कुलपति स्वयं बिना एक्सक्यूटिव कौंसिल के नहीं कर सकते, लेकिन कुलपति द्वारा मनमाने ढंग से टीचिंग एवं नॉन टीचिंग के पदों पर भाई- भतीजा वाद कर या रिश्वत लेकर क़ानून की अनदेखी कर नियुक्तियां किया जा रहा है।

डॉ ओमशंकर ने बताया कि मई, 2024 में मेरे द्वारा कुलपति और चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ 20 दिन तक अनशन चलाया गया, लेकिन इन भ्रष्ट अधिकारिओं के ऊपर कोई असर नहीं पड़ा, उल्टे 93 ऐसे प्रोफेसरो को नोटिस जारी कर भारत सरकार के सी सी एस रूल का हवाला देकर एडवाइजरी जारी किया गया, जिन्होंने मानवीय आधार पर मेरे अनशन का समर्थन किया था।

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बी एच यू के कुलपति द्वारा 93 प्रोफेसरो को एडवाइजरी जारी करना गैर कानूनी है क्यों कि माननीय इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2015 में सुमित्रा मित्रा बनाम भारत सरकार के केस में केंद्र सरकार के विश्व विद्यालयों के कर्मचारियों को केंद्र सरकार का कर्मचारी नहीं माना है, न ही उनपर सी सी एस रूल्स लागू किया जा सकता है।

कुलपति द्वारा विश्व विद्यालय के कर्मचारियों को डराया धमकाया जा रहा है। लोकतान्त्रिक ढंग से विश्व विद्यालय प्रशासन और कुलपति के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले को प्रताड़ित किया जा रहा है। कुलपति के भ्रष्टाचार में बी एच यू हॉस्पिटल का चिकित्सा अधीक्षक भी सम्मिलित है क्यों कि चिकित्सा अधीक्षक का कार्यकाल सुनियोजित ढंग से एक षड़यंत्र के तहत बढ़ाया गया है।

डॉ ओमशंकर ने बताया कि कुलपति का षड़यंत्र है कि मुझे विभागाध्यक्ष पद से हटा कर विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर और कई पद भरे जाय। इस प्रकार से विश्वविद्यालय के अंदर कुलपति द्वारा लोकतंत्र का गला घोटा जा रहा है और भ्रस्टाचार चरम पर है। इस पर रोक लगनी चाहिए।

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