महिला बाल विकास परिसर अपनी दुर्दशा पर बहा रहा आंसू..अधिकारी।
सिहावल महिला बाल विकास परिसर अपनी दुर्दशा पर बहा रहा आंसू..अधिकारी।
सीधी मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर स्थित जनपद पंचायत सिहावल में स्थित महिला विकास कार्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।
कार्यालय का भ्रमण आप करेंगे तो स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस प्रकार से कार्यालय की स्थिति है इससे साफ जाहिर होता है कि अधिकारी कर्मचारी किस तरह से इस क्षतिग्रस्त बिल्डिंग में अपना काम करते होंगे।
चारों तरफ गंदगी का अखबार
महिला बाल विकास कार्यालय में अधिकांश तौर पर इस विभाग से जुड़ी महिलाएं की भी मीटिंग ली जाती है बिल्डिंग की स्थिति यह है कि कब छत का प्लास्टर गिरता है तो किसी दिन बारिश होने पर पानी टपकता है बिल्डिंग की हालत देखेंगे तो अंदर बैठने वाले स्वयं जान जोखी में डालकर अंदर कार्य करते हैं।
वही चारों तरफ गंदगी का इतना अंबार है कि खड़ा होना पड़ा मुश्किल हो जाता है शाम होते ही दारू घोरी के लिए यह जगह कारगर होती है पूरे परिसर पर दारू की बोतल डिस्पोजल का गिलास देखा जा सकता है।
साथ बिल्डिंग से लगे बाउंड्री पर शौचालय न होने की वजह से जनपद कार्यालय में आने वाले लोग खुले में शौच करते हैं जिसकी पूरी गंदगी और बदबू महिला बाल विकास में आने वाली महिलाओं को नाक में रुमाल बांधने पर मजबूर कर देती।
ऐसी गाड़ी में बैठकर हफ्ते में एक दिन आते अधिकारी
महिला बाल विकास अधिकारी हफ्ते में एक या दो दिन खाना पूर्ति करने के लिए कार्यालय में उपस्थित हो जाते हैं बाकी दिन जिले में बैठे-बैठे ही अपना पूरा काम कर लेते हैं ऐसा हम नहीं कह रहे क्षेत्रीय लोगों ने साफ तौर पर बताया जिस दिन मीटिंग या फिर विशेष कार्यक्रम होता है तो महिला बाल विकास के अधिकारी उपस्थित रहते हैं अन्यथा सारा काम तो फोन से ही हो जाता है तो फिर आने की क्या आवश्यकता है जरा सोच…
महिला बाल विकास के पास स्वयं की बिल्डिंग नहीं
कई वर्षों से संचालित महिला बाल विकास का कार्यालय सिहावल में बनाया गया परंतु आज तक महिला बाल विकास के लिए अलग से कोई बिल्डिंग स्वीकृति नहीं दी गई जनपद पंचायत की बिल्डिंग को ही महिला बाल विकास की बिल्डिंग दे दी गई जो पूर्णता वर्तमान में जर्जर हो चुकी है और किसी दिन बड़ा हादसा भी हो सकता है बिल्डिंग को देखकर आप नहीं कह सकते कि यह महिला बाल विकास का कार्यालय है इतनी गंदगी थी देखा नहीं जा सकता साथ ही यहां पर आने वाली महिलाओं को भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है अधिकारी कर्मचारी के पूछने पर उनके द्वारा बताया जाता है कि हमारे पास कोई एडिशनल फंड नहीं आता जिससे हम इसका मेंटेनेंस कर सके या फिर रंगे और पुताई कर सकते हैं। बिल्डिंग देखी तो आपको ऐसा लगता है कि यह कोई खंडहर है ना की महिला बाल विकास का कार्यालय।
बच्चों को खाने के लिए आने वाले पोषण आहार पर भी कालाबाजारी
वहीं सूत्रों की माने तो प्रदेश सरकार के द्वारा हर आंगनबाड़ी केदो में बच्चों के पोषण आहार के लिए जो सामग्री दी जाती है उसमें भी कालाबाजारी का खेल खेल दिया जाता है बच्चों को पोषण आहार सरकार द्वारा मुहैया कराई जाती है वह समय पर नहीं मिल पाता कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तो ऐसे भी हैं कि जो पोषण आहार को पशुओं के लिए बड़े ही इमानदारी से किसानों को बेच देते हैं।
अगले अंक में और कुछ महत्वपूर्ण खबर के साथ होंगे हाजिर दिखाएंगे कैसे होता है पूरा खेल तो बनें रहें हमारे साथ…!