गनियारी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा व्यवसायिक प्लाजा
पोल खोल पोस्ट सिंगरौली
सवा चार करोड़ के नुकसान का जिम्मेदार कौन?, क्या भ्रष्ट जिम्मेदारों पर होगी कार्यवाही, एक दशक भी नही टीका प्लाजा
नपानि सिंगरौली के जिम्मेदारों की भ्रष्ट कार्यप्रणाली की वजह से जिला मुख्यालय सवा चार करोड़ की लागत का व्यवसायिक प्लाजा गनियारी बैढ़न महज एक दशक में ही जर्जर हो गया है। प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा लोकार्पित व्यवसायिक प्लाजा के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने जाने को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं आम है।
डिसमेन्टल की कार्यवाही की कवायद में जुटे ननि अमले से क्षेत्र के बुद्धिजीवी व आमजन सवाल करने लगे है कि जनता के टैक्स के सवा चार करोड़ की भरपाई कौन करेगा और क्या जिम्मेदार भ्रष्ट अधिकारियों व संविदाकार पर कार्यवाही होगी।
गौरतलब हो कि तत्कालीन पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने अम्बेडकर चौक में निर्मित व्यवसायकि प्लाजा का 24 मई 2010 को लोकार्पण किया गया था।
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लोकार्पण के बाद तकरीबन 5 वर्ष का समय दुकान आवंटन के नीलामी प्रक्रिया में समय व्यतीत हो गया। प्लाजा की दुकानों का दर अत्यधिक होने की वजह से लोग प्लाजा की दुकान लेने में रूचि नही ले रहे थे। काड़ी कवायदो के बाद 2014-15 में दुकानों का आवंटन शुरू हुआ और प्लाजा के सामने तरफ की दुकानों मे जैसे ही ग्राहकों का आना जाना शुरू हुआ, उसके तुरंत बाद से ही प्लाजा के प्लास्टर छोड़ने लगा।
कहना गलत न होगा की प्लाजा में दुकानदारों व आमजन के आवागमन शुरू होते ही प्लाजा के घटिया कार्य की पोल खुलने लगी। प्लास्टर छोड़ने और फिर धीरे-धीरे बरजा व छत गिरने लगे। 25 से 30 लाख रूपये की पूंजी फंसा चुके दुकानदार आज खून के आंसू बहा रहे है। इधर सीएम के आदेश के बाद प्लाजा के डिसमेन्टल प्रक्रिया में लगी प्रशासनिक व ननि की टीम द्वारा जबरन दुकानों पर ताला लगाकर व्यवसाइयों को रोड पर ला दिया गया।
इस बारिश के सीजन में व्यापारियों को कारोबार के लिए ठोस इंतजामात की व्यवस्था न किये जाने पर सवाल उठाते हुए क्षेत्र के प्रबुद्ध जन सवाल करने लगे कि डिसमेन्टल हो रहे प्लाजा के सवा चार करोड़ के नुकसान की भरपाई किससे करवाई जाएगी। क्या प्लाजा निर्माण के संविदाकार, इंजिनियर व अन्य के खिलाफ रिकवरी व दंडात्मक कार्यवाही होगी?
…इससे ज्यादा तो लाईफ कच्चे मकानों की है लोगों का कहना है कि जिले में भारी भरकम बजट से निर्मित बिल्डिंग की उम्र मिट्टी से निर्मित मकानों से भी कमजोर है। मिट्टी के बने मकानों की उम्र लगभग 40 से 50 वर्ष है। लेकिन जिले में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से सीमेंट, सरिया से बना आरसीसी बिल्डिंग महज 5 से 10 वर्ष में जीर्णक्षीर्ण हो जा रहे है। 2008 के बाद बने अधिकांश बल्डिंग पक्के सरकारी दफ्तरों एवं आवासों का यही हाल है।
आरोप है कि संविदाकार निर्धारित प्राकलन के अनुसार कार्य नही कराते। संबंधित संविदाकार द्वारा सरिया सहित सीमेन्ट के इस्तेमाल में भारी कंजूसी एवं कटौती कर दी जा रही है और इसमें जमकर संबंधित सीविल का तकनीकी अमला भी कमीशनखोरी में संलिप्त हैं। लिहाजा सरकारी बिल्डिंग कम समय में ही जर्जर हालत में पहुंच जा रहे हैं।
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इस पर अभी तक किसी जिम्मेदार पर जवाबदेही नही थोपी जा रही है।भ्रष्टाचारियों ने कलेक्टर भवन को भी नही छोड़ा
भ्रष्टाचार की पाराकाष्ठा को पार कर चुके जिम्मेदारों ने शॉपिंग प्लाजा के बजट का ही केवल बंदरबांट नही किया, बल्कि कलेक्टर भवन को भी कमीशन की भेंट चढ़ा दिया।
एक ओर जहाँ व्यवसायिक प्लाजा जर्जर हो जमीदोज होने के कगार पर है। वही कलेक्टर भवन की छत में सीपेज व बाहरी दीवारों के प्लास्टर छोड़ने लगे है। कमोंवेश यही हाल प्रधान मंत्री आवास गनियारी का भी है। बताया गया की जिस हिसाब से बारिश के समय आवासो के छत से पानी टपक रहा है उस हिसाब से पीएम आवास के लम्बे लाइफ की भी उम्मीद बेमानी है।