सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: नाबालिग को मां की जाति पर मिलेगा एससी प्रमाणपत्र

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए पुडुचेरी की एक नाबालिग बच्ची को उसकी मां की जाति ‘आदि द्रविड़’ के आधार पर अनुसूचित जाति (एससी) प्रमाणपत्र जारी करने की अनुमति दे दी। अदालत का यह फैसला परंपरागत व्यवस्था से अलग है, जिसमें अब तक बच्चों की जाति पिता की जाति से तय होती रही है।मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि समय पर जाति प्रमाणपत्र न मिलने से बच्चे के भविष्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए बच्ची के हित में यह राहत दी गई।
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने टिप्पणी की कि बदलते दौर में यह सवाल उठता है कि मां की जाति के आधार पर बच्चे की जाति क्यों तय नहीं की जा सकती। इस टिप्पणी के बाद जाति प्रमाणपत्र और आरक्षण व्यवस्था को लेकर नई कानूनी बहस की संभावना बढ़ गई है।
यह मामला पुडुचेरी की एक महिला से जुड़ा है, जिसने अपनी दो बेटियों और एक बेटे के लिए मां की जाति पर आधारित एससी प्रमाणपत्र की मांग की थी। महिला का कहना था कि उसका पूरा परिवार ‘आदि द्रविड़’ जाति से है और शादी के बाद भी उसका सामाजिक परिवेश नहीं बदला।
केंद्र सरकार की 1964 और 2002 की अधिसूचनाओं के अनुसार बच्चों की जाति पिता की जाति के आधार पर मानी जाती रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2003 के ‘पुनित राय बनाम दिनेश चौधरी’ केस में इसी सिद्धांत को स्वीकार किया था। हालांकि, 2012 में आए ‘रमेशभाई नाइका’ फैसले में अदालत ने कहा था कि यदि बच्चा यह साबित कर दे कि उसका पालन-पोषण मां के सामाजिक माहौल में हुआ है, तो उसे उस जाति का माना जा सकता है।अदालत ने स्पष्ट किया कि बच्ची को तत्काल लाभ देने के लिए यह आदेश दिया गया है, जबकि जाति निर्धारण से जुड़े व्यापक संवैधानिक प्रश्नों पर अंतिम निर्णय बाद में दिया जाएगा।कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि यह फैसला भविष्य में आरक्षण, जाति प्रमाणपत्र और अंतरजातीय विवाह से जुड़े अधिकारों पर बड़े बदलाव की दिशा दिखा सकता है।












