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स्वतंत्र निर्णय एकीकृत पेंशन योजना राज्यों के लिए जरुरी नहीं, ले सकते हैं

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) राज्यों के लिए जरुरी नहीं है। राज्य स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं। वित्तमंत्री ने उम्मीद जताई कि ज्यादातर राज्य यूपीएस को लागू करेंगे क्योंकि इसमें कर्मचारियों के लिए बहुत दिए गए लाभ हैं। उन्होंने कहा कि एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) मौजूदा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में सुधार करने का प्रयास है।

यूपीएस पेंशन की गारंटी लागू करना किसी निर्णय को वापस लेना यू-टर्न नहीं है। यह एक नया पैकेज है। केंद्र सरकार यूपीएस लाने की घोषणा के बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी ने पहले इसे रोलबैक सरकार कहते हुए चुटकी ली थी। वित्तमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी नारेबाजी करने वाली पार्टी बन गई है। 9 सितंबर को जीएसटी परिषद की बैठक के एजेंडे पर चर्चा करते हुए सीतारमण ने कहा कि इसमें जीएसटी दरों को वाजिब बनाने पर विचार किया जाएगा।

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उन्होंने कहा कि मंत्रियों का समूह रिपोर्ट को अंतिम रूप देने और बैठकें करेगा। यूपीएस उन समस्याओं का समाधान करेगा जो पुरानी पेंशन योजना और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में सामने आई है। उन्होंने कहा कि यदि कर्मचारियों की सेवा 25 साल से कम है तो यूपीएस के तहत लाभ आनुपातिक आधार पर दिया जाएगा।

पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण यूपीएस के कोष की जिम्मेदारी संभालेगा। वित्तमंत्री ने साफ किया कि यूपीएस के लिए कर में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को पेंशन से जुड़े लाभ देने के लिए केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने बीते शनिवार को यूपीएस को मंजूरी दी थी।

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यह योजना 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी और केंद्र सरकार के 23 लाख कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। सरकार के मुताबिक यूपीएस में बकाया भुगतान के मद में 800 करोड़ रुपए की जरूरत होगी और पहले साल इस योजना पर करीब 6,250 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

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