खाली पड़े प्लॉटों में पानी और गंदगी पर भोपाल में जुर्माना,शहर में 10 साल से नहीं हुई कोई कार्रवाई।
लापरवाहीः नगर पालिका कागज मे निभा रहा औपचारिकतका
खाली पड़े प्लॉटों में पानी और गंदगी पर भोपाल में जुर्माना,शहर में 10 साल से नहीं हुई कोई कार्रवाई
सीधी:- शहर में खाली पड़े लगभग 5 हजार प्लॉटों में बारिश का पानी भरा हुआ है, साथ ही गंदगी भी भरी पड़ी है। इसके कारण डेंगू और मलेरिया की बीमारियाँ फैल रही हैं। लोग भयभीत और दहशत में हैं। इस पर अंकुश लगाने हेतु भोपाल नगर निगम खाली प्लॉटों के मालिकों पर जुर्माना लगाने जा रहा है, जुर्माने की राशि प्लॉट मालिक के संपत्ति कर में जोड़ी जाएगी। वहीं शहर में पिछले 10 साल से खाली प्लॉट के मालिकों के खिलाफ नगर पालिक ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
शहर में हर साल बारिश के दौरान खाली प्लॉटों में भरे पानी और गंदगी से डेंगू और मलेरिया की बीमारियाँ फैलती हैं। शहर में सबसे ज्यादा खाली प्लॉट नई बसाहट वाले क्षेत्र पड़ैनिया,डैनिहा, नौढ़िया,थनहवा टोला, मधुरी सहित आसपास की कॉलोनियों में हैं। नागरिकों की शिकायत पर नगर पालिका सिर्फ कागजों मे नोटिस जारी करने की औपचारिकता निभा देता है। यह सिलसिला पिछले 10 साल से चल रहा है। किसी भी प्लॉट मालिक पर जुर्माना नहीं लगाया जाता। नगर पालिका की लचर कार्रवाई के कारण प्लॉट मालिक भी अपने खाली प्लाटों की साफ-सफाई नहीं कराते। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है।
पाँच साल तक प्लॉट खाली होने पर पैनाल्टी लगाने का है प्रावधान:-
जब की नगर पालिका की स्पष्ट गाइड लाइन है कि प्लांट आवंटन के पांच साल के भीतर मकान निर्माण कराना होगा।यदि कोई पाँच साल बाद भी मकान का निर्माण नहीं कराता और खाली प्लॉट में पानी भरने के साथ ही गंदगी फैलती है तो नगर पालिका प्लॉट मालिक पर पैनाल्टी लगा सकता है।खाली प्लांटों मे पानी भर जाने के कारण डेंगू और मलेरिया फैल रहा है, लेकिन नगर पालिका ने आज तक किसी भी प्लॉट मालिक पर पैनाल्टी नहीं लगाई। इसके कारण वहाँ रहने वाले रहवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जनसुरक्षा होनी चाहिए मुख्य उद्देश्य:-
जानकारों का कहना है कि खाली प्लॉटों पर कार्रवाई करने का उद्देश्य महज जुर्माना नहीं, बल्कि जनसुरक्षा है। खाली प्लॉटों में पानी भरने और गंदगी फैलने से डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलती हैं। इसके साथ ही साँप, बिच्छू और अन्य जहरीले जीव-जन्तुओं का भी खतरा रहता है, जिससे मानव जीवन पर संकट आ सकता है। खाली प्लॉटों पर कार्रवाई का उद्देश्य नगरीय निकायों और प्लॉट मालिकों में जागरूकता लाना है।