मेडिकल शिक्षा के नाम पर जिले मे चल रहा गोरखधंधा।
मेडिकल शिक्षा के नाम पर जिले मे चल रहा गोरखधंधा
तत्कालीन तहसीलदार की नोटिस भी हो गई गायब
आदिवासी क्षेत्रों में कागजों पर चल रहा फर्जीवाड़ा
सीधी:- पैरामेडिकल एवं नर्सिंग कालेेज के नाम पर जिले में बड़े स्तर पर गोरखधंधा चलाया जा रहा है। यह सब जिले में जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के संरक्षण में यह कारोबार जमकर फल-फूल रहा है। हैरानी की बात यह है कि नियम विरुद्ध तरीके से छात्रों के नाम फर्जी छात्रवृत्ति आहरित करने के मामले में तत्कालीन तहसीलदार द्वारा नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। लेकिन अगस्त 2023 में जारी की वसूली की नोटिस के संबंध में आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है।
उल्लेखनीय है कि आदिवासी क्षेत्रों में नर्सिंग कालेज संचालन में सरकार द्वारा काफी छूट प्रदान की जाती है जिसके चलते नर्सिंग कालेज संचालकों द्वारा कुसमी ब्लाक के नाम पर मान्यता लेकर धड़ल्ले से कागजों में कालेजों का संचालन किया जा रहा है। आदिवासी क्षेत्र में कालेज संचालित करने के लिए सरकार द्वारा कई प्रकार की छूट प्रदान की जाती है। कई नर्सिंग कालेजों के पास न तो स्वयं का भवन है और न ही अस्पताल फिर भी धड़ल्ले से उन बच्चों का एडमीशन कराकर जिला अस्पताल में प्रशिक्षण के बाद उनको परीक्षा दिला दी जा रही है। कई बार जांच करने टीमें भी आती है लेकिन नर्सिंग कालेज संचालकों द्वारा उनको भी गुमराहकर मनमानी जगहों का निरीक्षण कराकर उनको रवाना कर दिया जाता है। कई नर्सिंग कालेज तो धड़ल्ले से कागजों में संचालित हो रहे है इसकी जानकारी भी अधिकारियों को है लेकिन कार्रवाई करने में उनके हांथ-पांव कांपने लग जाते है जिससे ये मनमानी ढंग से अपने कार्यो में लिप्त देखे जा रहे है। जिले में कई नर्सिंग कालेजों का संचालन हो रहा है इनमें से कुछ को छोड़कर बाकी संस्थाओं में आईएनसी यानी इंडियन नर्सिंग काउंसिल के नियमों का पालन कतई नहीं हो रहा है।
शासन को गुमराह कर रहे नर्सिंग कालेज के संचालक
पैरामेडिकल कालेज एवं नर्सिंग कालेज के कागजों में संचालन के लिए पूरे जिले में रैकेट चलाया जा रहा है। जिले में राजनैतिक संरक्षण में नर्सिंग एवं पैरामेडिकल का धंधा काफी जोरो से फल-फूल रहा है। कई नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कालेज संचालक सत्तादल के पदाधिकारी है इनके द्वारा अधिकारियों के पास राजनैतिक धौंस देकर अपने कार्य करा लिए जाते है। राजनैतिक दलों के संरक्षण में नर्सिंग कालेज एवं पैरामेडिकल कालेज चल रहा है वह शासन के मापदण्डों को पूरा नही करते है बावजूद धड़ल्ले से शहर में कालेजों का संचालन किया जा रहा है।
नही पूरे हो रहे मापदण्ड
नर्सिंग कॉलेज संचालन के लिए नियमानुसार निर्धारित पैमाने के अनुसार बिल्डिंग और सभी सुविधाएं होनी चाहिए। मसलन सुविधा युक्त लैब, विद्यार्थियों के लिए बसों की सुविधा, टॉयलेट आदि संपूर्ण सुविधाएं होनी चाहिए। लेकिन अधिकतर नर्सिंग कॉलेजों में ऐसा देखने में नहीं आ रहा है। नियमानुसार पंजीयन के 3 वर्ष बाद खुद का हॉस्पिटल होना चाहिए, अथवा 50 बेड से ऊपर के अस्पतालों से संबद्धता हो जानी चाहिए। भरकम फीस लिए जाने के बावजूद 3 महीने की बजाय कई नर्सिंग कॉलेज द्वारा महीने भर की ट्रेनिंग दी जाती है, जबकि विद्यार्थियों से पूरी रकम वसूली जाती है। बताया गया है कि 50 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक की वसूली होती है।
रोगी कल्याण समिति जिला चिकित्सालय में पैसा जमा कराया जाता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो जिले में नर्सिंग कॉलेजों का संचालन अधिकतर कागजों में ही हो रहा है। नियमों का पालन ज्यादातर कॉलेजों में नहीं हो रहा है। फैकल्टी की भी कमी है। हर सब्जेक्ट के लिए एमएससी नर्सिंग टीचर अनिवार्य है लेकिन अधिकतर नर्सिंग संस्थाओं में इनकी कमी है। कहीं-कहीं तो एक दो कमरों में ही कॉलेजों का संचालन किया जा रहा है।